UP में वक्फ बोर्ड के पास 1,24,720 संपत्तियां; संभल की 1150 सरकारी संपत्तियों पर ठोका दावा; जानें पूरा मामला

Waqf Board: वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लगने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ संपत्तियों की पहचान के लिए एक विशेष अभियान चलाया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी जिलाधिकारियों से वक्फ की अवैध संपत्तियों को चिह्नित करने का निर्देश दिया है। जिसके तहत पता चला कि वक्फ बोर्ड ने संभल जिले में कुल 1150 सरकारी संपत्तियों पर दावा ठोका हुआ है।

Waqf Board

वक्फ संपत्तियां

Waqf Board: वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लगने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ संपत्तियों की पहचान के लिए एक विशेष अभियान चलाया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी जिलाधिकारियों से वक्फ की अवैध संपत्तियों को चिह्नित करने का निर्देश दिया है। साल 2014 के आंकड़ो के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड के पास 1,24,720 वक्फ प्रॉपर्टीज हैं इनमें से सुन्नी वक्फ बोर्ड की 1,19,451, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की 5,269 संपत्तियां हैं।

लखनऊ में कितनी हैं संपत्तियां

अगर बात राजधानी लखनऊ की करें तो वहां पर वक्फ बोर्ड के पास कुल 3,072 वक्त संपत्तियां हैं जिनमें से सुन्नी वक्फ के पास 2,386 और शिया वक्फ के पास 686 प्रॉपर्टीज हैं। इससे इतर राजस्व विभाग के अनुसार, उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड की ओर से जिन संपत्तियों का दावा किया गया है, उनमें से अधिकांश का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है।

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संभल का क्या है हाल

राजस्व अभिलेखों के अनुसार, सुन्नी वक्फ बोर्ड की केवल 2,533 संपत्तियां दर्ज हैं, जबकि शिया वक्फ बोर्ड की 430 संपत्तियां ही अधिकृत रूप से पंजीकृत हैं। वक्फ बोर्ड ने संभल जिले में कुल 1150 सरकारी संपत्तियों पर दावा ठोका हुआ है जिसका कुछ क्षेत्रफल 256.1157 हेक्टेयर है। संभल जिलाधिकारी ने इन सभी जमीनों को चिह्नित किया है।

सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद

ऐसे में लखनऊ की वह कौन सी प्रॉपर्टीज है,जिस पर सरकार और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद है? इसमें सबसे पहला नाम आता है लखनऊ की ऐतिहासिक धरोहर माने जाने वाले बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा का। इतिहास के इन दोनों धरोहरो को लेकर विवाद सबसे पहले तब सामने आया जब वक्फ संशोधन बिल को लेकर बनी जेपीसी की बैठक लखनऊ में हुई। इस बैठक में शिया वक्फ बोर्ड ने यह दावा किया कि लखनऊ का छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा और बेगम हजरत महल पार्क शिया वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। हालांकि, इस बैठक के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा था कि सरकार ने यूपी में जिन करीब एक लाख वक्फ संपत्तियों का सर्वे जिलों के डीएम से कराया था। उस दौरान लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और बेगम हजरत महल पार्क को लेकर कोई वाजिब दस्तावेज शिया बक्फ बोर्ड ने पेश नहीं किया था। ऐसे में यह वक्फ की संपत्ति है, इसको लेकर पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हालांकि, शिया वक्फ बोर्ड कहता है कि दफा 37 के तहत यह जमीन शिया बोर्ड की है।

इमामबाड़ा का इतिहास

इमामबाड़ा के अंदर आशिफी मस्जिद भी है, जिसमें खुद शिया धर्मगुरु मौलाना कल्वे जव्वाद नमाज पढ़ने भी आते हैं। हालांकि, अभी यह संपत्ति हुसैनाबाद ट्रस्ट के नाम पर है। जिसका रिसीवर लखनऊ जिले का डीएम होता है। कहा जाता है कि नवाब ने इन प्रॉपर्टीज को हुसैनाबाद ट्रस्ट को दिया था, और उसमें यह क्लाज जोड़ा गया कि इसका देखरेख प्रशासन के तहत होगा। लिहाजा सरकार ने इसे जिला प्रशासन के अधीन कर दिया। इसी बड़े इमामबाड़े के ठीक पीछे फूल वाली मंडी भी है जिसमें अवैध कब्जा था और कुछ ही महीना पहले सरकार ने बुलडोजर चला कर उसे अवैध कब्जे को भी हटा दिया है। ऐसे में हुसैनाबाद ट्रस्ट से जुड़े बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा के साथ ही करोड़ों की प्रॉपर्टीज का मालिक वक्फ है या इस पर मालिकाना हफ सरकार का होगा। इसका फैसला अब नया वक्फ कानून बनने के बाद ही हो पाएगा।

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    विनोद मिश्रा author

    दिल्ली से लेकर यूपी की राजधानी लखनऊ में करीब दो दशक से टीवी पत्रकारिता कर रहें है। यूपी की सियासत की नब्ज और ब्यूरोकेसी की समझ है। पत्रकारिता एक पैशन ...और देखें

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