Govind Ballabh Pant Death Anniversary: जानिए कौन हैं गोविंद बल्लभ पंत?
गोविंद बल्लभ पंत की आज पुण्यतिथि है। वह उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे। उनके कार्यकाल में ही विवादित ढांचे में रामलला की मूर्तियां रखी गई थी। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी थीं।
भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत।
कौन थे गोविंद बल्लभ पंत?
गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को अल्मोड़ा में हुआ था और वह आजादी की लड़ाई में काफी सक्रिय थे। उन्होंने वकालत की पढ़ाई की थी। गोविंद बल्लभ पंत को काकोरी कांड में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान और काकोरी मामले में शामिल अन्य क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए कांग्रेस ने नियुक्त किया गया था और उन्होने काकोरी कांड की लड़ाई लड़ी थी।
आगे चलकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी और कई बार जेल भी गए। उन्होंने साइमन कमीशन के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया। गोविंद बल्लभ पंत भारत की आजादी की लड़ाई में बड़े चेहरों में शुमार थे। आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल के बाद गोविंद बल्लभ पंत को गिना जाता था।
गोविंद बल्लभ पंत बने यूपी के पहले सीएम
गोविंद बल्लभ पंत आजाद भारत में उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने थे। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 1950 से लेकर 27 दिसंबर, 1954 तक रहा था। इससे पहले वह संयुक्त प्रांत के दूसरे मुख्यमंत्री (United Provinces) रह चुके थे। इसके अलावा वह देश के केंद्रीय गृह मंत्री भी रह चुके हैं। गोविंद बल्लभ पंत 10 जनवरी, 1955 से लेकर सात मार्च, 1961 तक देश के पांचवें गृह मंत्री रहे थे।
राम जन्म भूमि विवाद में गोविंद बल्लभ पंत का योगदान
गोविंद बल्लभ पंत जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उनके कार्यकाल में ही राम जन्म भूमि का मुद्दा उभरा था। दरअसल, 22 और 23 दिसंबर, 1949 की रात को जब बाबरी ढांचे के अंदर रामलला और मां सीता की मूर्तियां स्थापित की गईं थी और अगले दिन से लोग वहां जमा होने लगे थे, तब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री वल्लभ भाई पटेल ने गोविंद बल्लभ पंत को वहां से मूर्तियां हटाने का निर्देश दिया, लेकिन गोविंद बल्लभ पंत ने वहां से मूर्तियां नहीं हटवाई।
उस वक्त गोविंद बल्लभ पंत ने कहा था कि यह सफलता मिलने की सही संभावना है और चीजें अभी अस्थिर स्थिति में हैं। मूर्ति हटाने पर यह यह खतरनाक हो सकता है। इसके बाद राज्य सरकार ने विवादित ढांचा को सीआरपीसी की धारा 145 के तहत अपने नियंत्रण में ले लिया। साथ ही हिंदुओं को उस स्थान पर पूजा करने की अनुमति दे दी।
बता दें कि गोविंद बल्लभ पंत का निधन सात मार्च, 1961 को हर्ट अटैक के कारण हुआ था। गोविंद बल्लभ पंत को गृह मंत्री रहते हुए 26 जनवरी, 1957 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उनके नाम से कई सारे अवार्ड्स दिए जाते हैं।
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