Deoria Murder Case: देवरिया हत्याकांड में दारोगा समेत चार और पुलिसकर्मी सस्पेंड, 27 आरोपियों पर लगेगा NSA

यूपी के देवरिया हत्याकांड मामले में अब तक 20 नामजद अरोपी जेल जा चुके हैं, जबकि अन्य की तलाश जारी है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या के प्रतिशोध में आधे घंटे के भीतर सत्यप्रकाश दुबे और उनके परिवार के पांच लोगों की हत्या को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए 27 आरोपियों पर NSA लगाने की तैयारी में है। अब तक रुद्रपुर एसडीएम और सीओ समेत राजस्व व पुलिस के 15 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।

4 more policemen suspended including inspector in deoria murder case

देवरिया हत्याकांड में इंस्पेक्टर समेत 4 और पुलिसकर्मी निलंबित

देवरिया: रुद्रपुर के फतेहपुर में सोमवार को हुए नरसंहार के बाद से योगी सरकार का एक्शन लगातार जारी है। आठ बीघा जमीन को लेकर उपजे विवाद में दोनों पक्षों से छह लोगों की हत्या ने पूरे राज्य में सनसनी फैली दी। हत्याकांड के बाद अपराधियों समेत जिला प्रशासन और पुलिस आधिकारियों पर भी गाज गिरी है। मामले में अब तक रुद्रपुर तहसील के एसडीएम और सीओ समेत राजस्व व पुलिस के 15 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया। जिनमें से गुरुवार की देर रात दो दारोगा समेत चार पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया। इस सामूहिक हत्याकांड को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए पुलिस नामजद 27 आरोपितों पर रासुका एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने की तैयारी में है।

IGRS पोर्टल पर लापरवाही पर गिरी गाज

दरअसल, इस हत्याकांड के बाद मृतक सत्य प्रकाश दुबे की बेटी ने राजस्व और पुलिस के कई अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया है। उसने कहा था कि अगर अधिकारी समय से कार्रवाई करते तो आज हमारा परिवार जिंदा होता। उसने कई बड़े अधिकारियों के नाम लिए हैं जिन पर योगी सरकार ने कार्रवाई की है। वहीं, गुरुवार देर रात इस मामले में दोषी दो दारोगा समेत चार पुलिस कर्मियों को एसपी संकल्प शर्मा ने निलंबित कर दिया। इसमें राम प्रताप, सुनील कुमार, दीवान सुभाष यादव और कैलाश पटेल शामिल हैं। इन पर आईजीआरएस पोर्टल में प्राप्त संबंधित शिकायत के निस्तारण में लापरवाही बरतने का आरोप है। शासन से इन सभी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

इस पूरे प्रकरण के जांच में सामने आया कि आईजीआरएस (समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली) पर सत्यप्रकाश की ओर से लगातार शिकायतें की जा रही थी। लेकिन, निस्तारण में संबंधित अधिकारियों ने घोर लापरवाही बरती। घटना की सभी पहलुओं की समीक्षा करते हुए सीएम योगी ने कहा कि दोषी कोई भी हो, बचेगा नहीं। एक-एक पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने सख्त लहजे में कहा कि जनशिकायतों के निस्तारण में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, अब इस मामले में यूपी सरकार की ओर से की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई से पीड़ित परिवार ने भी संतुष्टि जाहिर की है।

क्या था मामला

घटना के पीछे का कारण गांव के दो परिवार पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव और सत्यप्रकाश दुबे के बीच लंबे समय से चल रहा जमीन विवाद बताया गया है। कहते हैं सत्य प्रकाश दुबे के भाई साधु दुबे ने अपनी जमीन प्रेमचंद यादव को बेच दी थी। यह मामला सात साल पहले ही सुलझ गया था। लेकिन, एक बार फिर 2 अक्टूबर को मामले ने तूल ले लिया। पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव को पता चला कि जिस जमीन को उसने साधु दुबे से खरीदा है उस पर सत्यप्रकाश मेड़ रख रहे हैं। लिहाजा, प्रेमचंद यादव सत्यप्रकाश दुबे के घर पहुंच कर गाली गलौज करने लगे। इसी दौरान कहासुनी और धक्कामुक्की के बीच प्रेमचंद यादव की मौत हो गई। इसके तुरंत बाद बड़ी भीड़ ने उसका बदला लेने के लिए सत्य प्रकाश दुबे, उनकी पत्नी दो बेटी और एक बेटे समेत पांच लोगों की हत्या कर दी। इस हत्याकांड में दोनों पक्षों (प्रेमचंद्र यादव और सत्यप्रकाश दुबे) की ओर से 33 नामजद और 50 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज कराया गया। पुलिस के मुताबिक, अब तक इस मामले में 20 नामजद अरोपी जेल जा चुके हैं, जबकि सात की तलाश में पुलिस की दबिश जारी है। इस सामूहिक हत्याकांड को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए पुलिस नामजद 27 आरोपितों पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने की तैयारी में है।

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Pushpendra kumar author

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