MP Assembly Election 2023: सिंधिया राजघराने की कुछ यूं हुई राजनीति में एंट्री, इस परिवार के ईद गिर्द घूमती है 2 राज्यों की सियासत

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 - ग्वालियर के राजघराने की विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर 1957 में गुना से लोकसभा चुनाव लड़कर परिवार की राजनीति में एंट्री कराई थी। इस आर्टिकल में जानिए 1957 से लेकर अबतक का सिंधिया परिवार का राजनीतिक सफर...

सिंधिया राजघराने की राजनीति में एंट्री

ग्वालियर: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) के लिए नामांकन के बाद जनसभाएं कर प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने में लगे हैं। कई बड़ी सियासी उठापठक के बीच बीजेपी और कांग्रेस पार्टी सत्ता की चाबी हथियाने के लिए जोर आजमाइश कर रही है। वहीं, 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खेवनहार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बीजेपी की गाड़ी में सवार हैं। सिंधिया परिवार कांग्रेस पार्टी की विचारधारा के अलावा बीजेपी के साथ भी राजनीति में सक्रिय रहा है। लेकिन, महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को भगवा रथ पर सवार होकर चुनावी नैया पार करने में कितनी आसानी और कितनी कठिनाई होने वाली है, इस पर तो आने वाले समय में चुनाव परिणाम ही मुहर लगाएंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो ग्वालियर संभाग में सिंधिया परिवार की तूती बोलती रही है, लेकिन पार्टी में पाला बदलने के बाद महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक रसूख कम हुआ है। आज हम इस आर्टिकल में ग्वालियर सिंधिया परिवार की राजनीति में एंट्री और वर्तमान में बढ़ते कद के बारे में बात करेंगे।
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जयविलास महल रजवाड़ों की राजनीति का केंद्र

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ग्वालियर का जयविलास महल रजवाड़ों की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के गांधी दौर में सिंधिया राजघराने के राजा जीवाजीराव सिंधिया का झुकाव गांधी जी की ओर हुआ। 1947 में आजादी के बाद महाराज जीवाजीराव सिंधिया ने ग्वालियर रियासत को भारत में विलय की स्वीकृति दे दी। कहा जाता है जब देश के मध्य में स्थित अलग-अलग रियासतों को जोड़कर मध्य भारत नाम का एक राज्य बनाया गया तो ग्वालियर परिवार के मुखिया जिवाजीराव इसकी धुरी थे। वैसे तो जिवाजीराव की राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन, ग्वालियर क्षेत्र में सिंधिया परिवार के प्रभाव के कारण कांग्रेस चाहती थी कि जिवाजीराव कांग्रेस में शामिल हो जाएं। हालांकि, जिवाजीराव राजनीति से दूर रहे, लेकिन उनकी पत्नी विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस के टिकट पर 1957 में गुना से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर आधिकारिक तौर पर राजनीति में एंट्री कर ली। यहीं से सिंधिया परिवार का भारतीय राजनीति में सुहाना सफर शुरू हो जाता है।
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