MP: पहले इस नाम से जाना जाता था खंडवा, गौरवशाली है इतिहास, जानिए क्या-क्या है खास

खंडवा की चारों दिशाओं में कुंड हैं। पूरब में सूरज कुंड, पश्चिम में पद्म कुंड, उत्तर में रामेश्वर कुंड और दक्षिण में भीम कुंड। यहां कलेक्टर कार्यालय, गर्ल्स डिग्री कॉलेज और घंटाघर की इमारतें प्राचीन स्मारकों में एक हैं, जिनका इतिहास काफी पुराना है। आइए आज यहां से जुड़ी खास बातें जानते हैं-

मध्य प्रदेश, खंडवा

Khandwa: मध्य प्रदेश का खंडवा की इतिहास अनोखा है, जो भी यहां आता है बस यहीं का होकर रह जाता है। खंडवा का वैभवशाली इतिहास रहा है,जो इसे दूसरे राज्यों से अलग और खास बनाता है। यहां के लोग अपनेपन के महत्व को समझते हैं और अच्छे-बुरे समय में एक दूसरे की मदद को भी हमेशा तैयार रहते हैं। स्कृतिक नगर के रूप में खंडवा की पहचान प्राचीनकाल से रही है। यह खांडव वन का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी रहा है। यहां बहुत सी खूबसूरत जगहें हैं। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि चारों ओर से कुंड से घिरे खंडवा को पहले किसी और नाम से जाना जाता था। आइए आज इस शहर के इतिहास से रूबरू होते हैं।

चारों ओर हैं 4 ऐतिहासिक कुंड

खंडवा की चारों दिशाओं में कुंड हैं। पूरब में सूरज कुंड, पश्चिम में पद्म कुंड, उत्तर में रामेश्वर कुंड और दक्षिण में भीम कुंड। यहां कलेक्टर कार्यालय, गर्ल्स डिग्री कॉलेज और घंटाघर की इमारतें प्राचीन स्मारकों में एक हैं, जिनका इतिहास काफी पुराना है। इसके साथ ही यहां दादा धुनी वाले की समाधि, तुरजा भवानी मंदिर, नव-चंडी देवी धाम हिंदुओं की आस्था और पूजा स्थल हैं। पार्श्‍वगायक किशोर कुमार की समाधि भी है।

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