Paras Kund: एमपी की इस नदी में है पारस मणि! हैरान कर देगी कहानी

एमपी में घूमने की कई सुंदर जगहें हैं, लेकिन आज हम यहां के एक कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं। इस कुंड को पारस कुंड कहा जाता है। यहां के इस कुंड को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

एमपी, पारस कुंड

Paras Kund: भारत में कई तरह की नदी, तालाब और कुंड मौजूद हैं। जिसे लेकर लोगों का ऐसा मानना है कि इस कुंड में पारस पत्थर है। इस पत्थर की खोज में आज भी लोग छुप-छुपाकर यहां जाते हैं और इस कुंड में अपनी किस्मत आजमाते हैं। तो चलिए बिना देर किए जानते हैं इस कुंड के इतिहास के बारे में।

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बुंदेलखंड के सागर में भी एक ऐसा पारस कुंड है, जिसको लेकर यहां के लोगों का मानना है कि इसमें लोहे को सोना बनाने वाला पारस पत्थर मौजूद है। दरअसल, सागर में एक प्रसिद्ध रानगिर माता मंदिर है, जो विंध्य पर्वत पर मौजूद है। इन चट्टानों के बीच से लगभग 200 फीट की गहराई में देहार नदी निकलती है। बताया जाता है कि इसी नदी के बीच में कुंड, जिसके गहराई की कोई सीमा नहीं है। इस कुंड को पारस पत्थर कुंड के नाम से जाना जाता है।

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पारस नदी की कहानी

आपको बता दें कि इस कुंड को लेकर एक कहानी प्रचलित है, ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां के राजा को पता चला कि उसके क्षेत्र में एक लोहार रहता है और उसके पास लोहे को सोना बनाने वाली एक मणि है। तब राजा ने उसे महल में आने का बुलावा भेजा, लेकिन लोहार ने आने से मना कर दिया। जिसके बाद राजा के सैनिक उसे जबरन महल लेकर आ गए। लेकिन लोहार ने राजा के पास जाने से पहले ही पत्थर को नदी में फेक दिया। जब राजा को इस बात का पता चला तो लोहार को बंदी बना लिया गया और सैनिकों को नदी से उस पत्थर को ढूंढकर लाने का आदेश दिया।

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