Jhansi News: दिन में 3 बार रंग बदलती है मूर्ति-आल्हा ने दी बेटे की बलि, माता ने कर दिया जिंदा!

झांसी के सीपरी में मनिया देवी का चमत्कारिक मंदिर मौजूद है। इस मंदिर में स्थापित लहर की देवी की प्रत‍िमा द‍िन में तीन बार रंग बदलती है। कथाओं के अनुसार, इसी मंदिर में आल्हा ने अपने पुत्र की बलि दी थी।

maniya devi tempal

मनिया देवी का चमात्कारिक मंदिर

झांसी: भारत मंदिरों का देश है। यहां पौराणिक और ऐतहासिक नजरिये से जुड़े कई प्राचीन देवी-देवताओं के मंदिर मिल जाएंगे। इनमें से कई मंदिरों का इतिहास हजारों साल या उससे भी पुराना है। ज्यादातर माता के ख्याति प्राप्त मंदिर पहाड़ों में बसे हैं। लेकिन, आज हम एक बेहद चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां एक ऐसा मंदिर स्थापित है, जहां माता की मूर्ति तीन पहर में अलग-अलग स्वरुप बदलती है। भक्‍त मां के इस मंद‍िर में बदलते स्‍वरूपों का दर्शन करके आशीर्वाद प्राप्‍त करते हैं। आइए जानते हैं लहर की देवी के इस खास मंद‍िर के बारे में। आखिर क्यों है अन्य मंदिरों से अलग...

आल्हा-उदल ने बेटे की चढ़ाई थी बलि

लहर की देवी मंदिर झांसी के सीपरी में स्‍थापित है। इस मंद‍िर का निर्माण बुंदेलखंड के शक्तिशाली चंदेल राज के समय हुआ। प्राचीन काल में बुंदेलखंड को जेजाक भुक्ति प्रदेश के नाम से जाना जाता था। इस प्रदेश का राजा परमाल देव था। कहते हैं, राजा के दो भाई थे, जिन्हें आल्हा-उदल के रूप में जाना जाता था। महोबा की रानी मछला को पथरीगढ़ का राजा ज्वाला सिंह अपह्त कर ले गया था। रानी को वापस लाने व राजा ज्वाला सिंह से पार पाने के लिए आल्हा ने इसी मंदिर में अपने भाई उदल के सामने अपने पुत्र की बलि चढ़ा दी थी, लेकिन देवी ने चढ़ाई गई इस बलि को नहीं स्वीकार क‍िया और बलि चढ़ाने के कुछ देर बाद ही बालक जिंदा हो गया। आल्हा ने जिस पत्थर पर पुत्र की बलि दी थी, वह आज भी मंदिर परिसर में सुरक्षित है।

लहर की देवी को मनिया देवी के रूप में भी जाना जाता है। जानकार कहते हैं कि मनिया देवी मैहर की मां शारदा की बहन हैं। यह मंद‍िर 8 शिला स्तंभों पर खड़ा हुआ है। प्रत्येक स्तंभ पर आठ योगिनी अंकित हैं। इस प्रकार कुल चौसठ योगिनी के स्‍तंभों पर मंद‍िर टिका हुआ है। मंदिर के सभी स्‍तंभ गहरे लाल स‍िंदूरी रंग में रंगे हैं। परिसर में भगवान सिद्धिविनायक, शंकर, शीतला माता, अन्नपूर्णा माता, भगवान दत्तात्रेय, हनुमानजी और काल भैरव का मंद‍िर मौजूद है।

इतने रंग बदलती है मूर्तिझांसी के पत्रकार अजय झा बताते हैं कि लहर की देवी की प्रत‍िमा द‍िन में तीन बार रंग बदलती है। प्रात:काल में बाल्‍यावस्‍था में, दोपहर में युवावस्‍था और सायंकाल में देवी मां प्रौढ़ा अवस्‍था में नजर आती हैं। तीनों ही पहर में मां का अलग-अलग श्रृंगार क‍िया जाता है। इसलिए इस मंदिर को मानने वाले अधिक हैं।

तान्त्रिक क्रियाएं भी होती हैं

बता दें क‍ि कालांतर में पहूज नदी का पानी पूरे क्षेत्र में पहुंच जाता था। नदी की लहरें माता के चरणों को स्पर्श करती थीं, इसलिए इसका नाम ‘लहर की देवी’ पड़ गया। मंद‍िर में विराजमान देवी तांत्रिक हैं। इसलिए यहां अनेक तान्त्रिक क्रियाएं भी होती हैं। यहां वर्षभर श्रद्धालु दर्शन पूजन को पहुंचते हैं, लेक‍िन नवरात्रि में व‍िशेष भीड़ रहती है। नवरात्रि की अष्‍टमी को रात्रि में भव्‍य आरती का आयोजन क‍िया जाता है। मान्‍यता है क‍ि इस आरती में शाम‍िल होने से भक्‍तों की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं। लिहाजा, आरती के वक्त बड़ी संख्या भक्त यहां मौजूद रहते हैं।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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