Indori Zayka: ठंड में एनर्जी का बूस्टर है इंदौरी केसरिया दूध, अटल जी के बाद गुलजार भी हैं दीवाने
Indori Zayka: मध्य प्रदेश का इंदौर शहर अपने खानपान के लिए जाना जाता है। यहां लक्ष्मी नारायण जैन दूध वाले की पुस्तैनी दुकानें हैं, जहां मिलने वाले केसरिया दूध के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के बाद कई खिलाड़ी और एक्टर भी दीवाने हैं।
लक्ष्मी नारायण जैन दूध वाले
इंदौर: इंदौर चटोरों का शहर कहा जाता है। यहां का जायका अपने आप में सबसे जुदा है। खासकर, इंदौर के छावनी स्थित लक्ष्मी नारायण जैन दूध वाले की पुस्तैनी दुकान ठंड में लोगों के लिए स्वर्ग है। यहां मिलने वाले गर्मा-गर्म मलाईदार लच्छे वाली रबड़ी और कैसारिया दूध लोगों की जुबान पर घुला हुआ है। इस दुकान के दूध के दीवाने देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद गुलज़ार साहब भी हैं। इस शहर में कई ऐसी नायाब डिश भी मिलती हैं, जो ग्राहकों को हमेशा अपनी ओर खीच कर लाती हैं। कहा जाता है कि लोग खाते-खाते थक जाते हैं लेकिन, इंदौर का जायका कभी खत्म नहीं होता है।
72 वर्ष पुरानी दूध की दुकान
इंदौरी लक्ष्मी नारायण जैन दूध वाले की पुस्तैनी दुकान की शुरुआत 72 वर्ष पहले लक्ष्मी नारायण जैन ने अपने घर के बाहर ओटले से की थी। उनकी इस दुकान में मिलने वाले दूध के देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और गुलज़ार साहब भी मुरीद हैं। कहते हैं अटल जी जब भी इंदौर आते थे, बिना जैन की दुकान का गर्मा गर्म लच्छेदार रबड़ी से युक्त दूध पिए बिना वापस नहीं जाते थे। वहीं, कई फिल्म अभिनेता और संगीतकार सोनू निगम, क्रिकेटर राहुल द्रविड़ समेत कई दिग्गज इनके यहां के स्पेशल दूध का लुत्फ उठा चुके हैं।
दूध के लिए लगती है कतार
खासकर, मौसम में बदलते मिजाज और शीतलहर के बीच कड़ाके वाली ठंड में इस गर्मा गर्म लच्छेदार रबड़ी युक्त दूध की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है। एक बड़े से पतीले में एक बार में 151 लीटर दूध कई ड्राइ फूड को मिलाकर तैयार किया जाता है,जिसे पीने के लिए लोगों को कभी-कभी 15 से 20 मिनट लंबी लाइन में खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के साथ इंदौरवासी भी इस दूध के मुरीद हैं। लोग अलग-अलग क्षेत्रों से सिर्फ दूध पीने के लिए ही शहर आते हैं। वहीं, शाम से लेकर रात तक दूध पीने वालों का दुकान में जमावड़ा लगा रहता है।
एक गिलास के लिए चुकाने होंगे इतने दाम
दुकान के मालिक अशोक जैन बताते हैं कि दुकान सुबह 10 बजे खुल जाती है। लोग दूध के अलावा मिठाइयां, गुलाब जामुन, गाजर का हलवा खाने के लिए आते हैं। लेकिन, जैसे ही शाम के 7 बजते हैं दुकान के बाहर 51 किलो का पतीला भट्ठी पर रख दिया जाता है, जिसमें 151 लीटर दूध डालकर गर्म किया जाता है, जिसे पीने के लिए प्रतिदिन 1000 से 1500 लोग आते हैं। कभी-कभी तो दूध की मात्रा लगातार बढ़ानी पढ़ती है। अशोक जैन कहते हैं कि रात 11:30 बजे तक दुकान खुली रहती है। हमारी कोशिश होती है कि किसी को निराश न करें और हर कोई हमारे यहां के दूध का लुत्फ लेकर ही जाए। अशोक जैन बताते हैं कि उनके पिताजी ने जब दुकान की शुरुआत की थी, उस समय 35 पैसे में एक गिलास दूध मिला करता था। वहीं, अब मलाई वाला दूध 40 और लच्छेदार रबड़ी युक्त केसरिया दूध 60 रुपये में मिलता है
लक्ष्मी नारायण के बेटे संभाल रहे पुस्तैनी धंधा
वहीं, लक्ष्मी नारायण के देहांत के बाद उनके तीनों बेटों शांतिलाल,अशोक जैन और दिलीप जैन इस पुस्तैनी व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं। आज उनका पूरा परिवार यही कारोबार करता है। साथ ही तीनों भाईयों के बच्चे भी उनके इस काम में उनका साथ देते हैं। यही वजह है कि अब इस दुकान को पुस्तैनी दूध वालों की दुकान के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने शहर के दो अन्य स्थानों पर भी अपनी दुकान का संचालन शुरू किया है।
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