Mulayam Singh Yadav Birthday: 28 की उम्र में पहली बार मुलायम सिंह को मिला था टिकट, यहां पढ़ें पूरा सियासी सफर

Mulayam Singh Yadav Birthday: मुलायम सिंह यादव को सबसे पहला टिकट 1967 में 28 वर्ष की अल्पायु में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने दिया था। वे पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से व‍िधानसभा चुन गए। हालांकि इससे पहले वे जैन इंटर कॉलेज करहल मैनपुरी में प्रवक्ता भी रहे।



मुलायम सिंह यादव। (फोटो क्रेडिट: समाजवादी पार्टी/एक्‍स)

Mulayam Singh Yadav Birthday: जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है... ये नारा उत्‍तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की रैली और सभाओं में गूंजता हुआ कई बार आपने सुना होगा। मुलायम सिंह यादव के व्‍यक्तित्‍व को बयां करता ये नारा आज भी समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का काम करता है। ये बातें आज हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्‍योंकि आज सपा के पूर्व संरक्षक स्‍व. मुलायम सिंह यादव की जयंती है। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जन्‍म हुआ। यूपी के छोटे से गांव से निकले मुलायम ने जनता जनार्दन के समर्थन और स्‍नेह से प्रदेश से निकलकर केंद्र की राजनीति तक का सफर तय किया। यही वजह है कि, लोगों ने तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार देश के रक्षामंत्री बने मुलायम को कभी किसान नेता, नेताजी और धरती पुत्र जैसे नामों से संबोधित किया।

छोटी सी उम्र में मिला था टिकट

मुलायम सिंह यादव को सबसे पहला टिकट 1967 में 28 वर्ष की अल्पायु में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने दिया था। वे पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से व‍िधानसभा चुन गए। हालांकि इससे पहले वे जैन इंटर कॉलेज करहल मैनपुरी में प्रवक्ता भी रहे। विधानसभा सदस्‍य बनने के बाद 1977 में उन्‍हें राज्‍य मंत्री बनने का अवसर मिला, तत्‍पश्‍चात 1980 में यूपी के लोक दल अध्‍यक्ष पद पर काम करने का मौका मिला। बता दें कि, यूपी की राजनीति में लोकदल जनता दल का घटक बना तब 1982 में मुलायम उप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष निर्चाचित हुए।

मुद्दतों बाद मिली उत्‍तर प्रदेश की सत्‍ता

मुलायम सिंह यादव को उत्‍तर प्रदेश की सत्‍ता भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से 5 दिसंबर 1989 को मिली। उन दिनों यूपी में श्रीराम जन्‍मभूमि का मुद्दा गर्माया हुआ था और भाजपा की रथयात्रा निकल रही थी। बतौर मुख्‍यमंत्री मुलायम ने यात्रा को सांप्रदायिक बताते हुए अयोध्‍या जाने से इंकार कर दिया और इसके बाद उनके संबंध भाजपा से बिगड़ गए। जब 1990 में वीपी सरकार का पतन हुआ तो मुलायम ने जनता दल की सदस्‍यता ली और कांग्रेस से समर्थन मांगा। फिर समर्थन मिलने के बाद भी उनकी गद्दी बची रही। लेकिन 1991 में कांग्रेस ने जैसे ही मुलायम सरकार से समर्थन वापस लिया तो यूपी में मुलायम कर सरकार भी गिर गई।
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