आखिर यह नई दरगाह किसकी है, अगर नहीं हुई ध्वस्त तो खुद गिरा देंगे, राज ठाकरे की चेतावनी

New Haji Ali Dargah: एमएनएस के मुखिया राज ठाकरे ने कहा कि माहिम के पास बीच समंदर में नई दरगाह किसकी बनाई जा रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई को तो वो खुद उस दरगाह को ध्वस्त कर देंगे।

raj thackeray mns

राज ठाकरे, एमएनएस चीफ

New Haji Ali Dargah: एमएनएस मुखिया राज ठाकरे ने कहा कि माहिम तट पर यह दरगाह किसकी है। उन्होंने ड्रोन से ली गई तस्वीर का हवाला देते हुए कहा कि आखिर किसकी दरगाह बनाई जा रही है। अगर उस दरगाह को तुरंत ध्वस्त नहीं किया गया तो उसी जगह पर वो भव्य गणपति का मंदिर बनाएंगे। गुड़ी पड़वा के दिन उन्होंने एक वीडियो क्लिप के जरिए दावा किया कि माहिम तट के पास दरगाह बनाया जा रहा है। पहले तो इस जगह पर कुछ भी नहीं था। अगर इस अवैध निर्माण पर रोक नहीं लगी तो वो उसे ध्वस्त करने से नहीं हिचकेंगे। यह वीडियो एमएनएस(MNS) के ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया है। वीडियो में बताया गया है कि समंदर के बीच में नए हाजी अली दरगाह(Haji ali Dargah) को बनाया जा रहा है। दिन के उजाले में अवैध निर्माण किया जा रहा है। लेकिन पुलिस और नगरपालिका के अधिकारियों को यह सब दिखाई नहीं दे रहा है।

राज ठाकरे की खुली चेतावनी

वीडियो में कुछ खंभों के साथ तट के पास एक द्वीप-प्रकार का छोटा खंड दिखाया गया है। इसने कुछ लोगों को सीट के पानी से गुजरते हुए और राज ठाकरे को 'दरगाह' के रूप में दावा करने के लिए अपना सम्मान पेश करते हुए देखा। मैं देश के संविधान का पालन करने वाले मुसलमानों से पूछना चाहता हूं: क्या आप इसकी निंदा करते हैं? मैं झुकना नहीं चाहता, लेकिन जरूरत पड़ने पर मुझे यह करना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर किस तरह की राजनीति हो रही है। इसके साथ यह भी कहा कि चाहे उद्धव ठाकरे हों या एकनाथ शिंदे दोनों नाकाम रहे हैं। शिवसेना के प्रतीक चिन्ह को संभालने की क्षमता इन दोनों में से किसी की नहीं है।

हाजी अली दरगाह

हाजी अली दरगाह एक मस्जिद और दरगाह है या पीर हाजी अली शाह बुखारी का स्मारक है जो दक्षिणी मुंबई में वर्ली के तट पर एक टापू पर स्थित है। इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। दरगाह हाजी अली शाह बुखारी की कब्र शामिल है। बुखारी एक सूफी संत और उज्बेकिस्तान के एक धनी व्यापारी थे। हाजी अली दरगाह का निर्माण 1431 में एक धनी मुस्लिम व्यापारी, सैय्यद पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में किया गया था, जिन्होंने मक्का की तीर्थ यात्रा करने से पहले अपनी सारी सांसारिक संपत्ति छोड़ दी थी। बुखारा के रहने वाले बुखारी ने 15वीं शताब्दी के प्रारंभ से लेकर मध्य तक दुनिया भर में यात्रा की और बाद में वर्तमान मुंबई में बस गए।
किंवदंतियों के अनुसार एक बार पीर हाजी अली ने एक गरीब महिला को खाली बर्तन पकड़े सड़क पर रोते हुए देखा। उसने उससे पूछा कि क्या समस्या है। उसने रोते हुए कहा कि उसका पति उसे मारेगा पीटेगा क्योंकि वह ठोकर लगने से वो गिरी और गलती से तेल गिर गया जिसे लेकर वो जा रही थी। उन्होंने उस पर ले जाने के लिए बोला जहां तेल गिरा था। पीर ने मिट्टी में एक उंगली गड़ाई और तेल बाहर निकल आया। बाद में पीर हाजी अली शाह बुखारी को सपना आया कि उन्होंने अपने इस काम से पृथ्वी को घायल कर दिया है। पछतावे और दु:ख की वजह से अस्वस्थ रहने लगे। फिर अपनी मां की इजाजत से उन्होंने अपने भाई के साथ भारत की यात्रा की और अंत में वर्ली के पास या वर्तमान मकबरे के करीब पहुंचे। हालांकि उनके भाई अपने मूल स्थान पर वापस चले गए। पीर हाजी अली शाह बुखारी ने उनके साथ उनकी मां को एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने बताया कि उनका स्वास्थ्य अच्छा है और उन्होंने इस्लाम के प्रसार के लिए स्थायी रूप से उस स्थान पर रहने का फैसला किया है।
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ललित राय author

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