शिंदे ने उद्धव पर बोला हमला, कहा- मेरे कहने पर फडणवीस ने छोड़ा था बीएमसी महापौर का पद

Maharashtra News: एकनाथ शिंदे ने कहा, अगर फडणवीस ठान लेते, तो महापौर भाजपा का ही होता। लेकिन मैंने उनसे कहा कि हम सरकार में हैं, एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। और हमारे बॉस (उद्धव) का दिल मुंबई में है, इसलिए आप शिवसेना के लिए मुंबई छोड़ दीजिए।

Eknath Shinde- Devendra Fadnavis

Eknath Shinde- Devendra Fadnavis

तस्वीर साभार : भाषा

Maharashtra News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने 2017 के निकाय चुनावों के बाद उनके अनुरोध पर शिवसेना की खातिर मुंबई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का महापौर बनाने का मौका छोड़ दिया था।

मुख्यमंत्री ने यहां शिवसेना (शिंदे गुट) के एक सम्मेलन में शनिवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने दो साल बाद भाजपा से गठबंधन तोड़कर इसका कर्ज चुकाया। शिंदे ने कुछ दिन पहले अजित पवार की अगुवाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक समूह के उनकी सरकार में शामिल होने के बाद अपनी पार्टी के सहकर्मियों को किसी बात की फिक्र न करने का आश्वासन दिया।

राजनीति में कुछ समीकरण बनाने पड़ते हैं

एकनाथ शिंदे ने कहा, राजनीति में कुछ समीकरण बनाने पड़ते हैं। घटनाक्रम को देखिए, अजित पवार ने भी हमारी सरकार का समर्थन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, भाजपा 2017 के निकाय चुनाव में बीएमसी लगभग जीत चुकी थी। उस समय देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे। हमारे प्रमुख (उद्धव ठाकरे) ने कहा कि बीएमसी पर हमारा नियंत्रण रहा है और यह हमारे हाथ से नहीं जानी चाहिए।

फडणवीस ठान लेते तो भाजपा का होता महापौर

शिंदे ने कहा, अगर फडणवीस ठान लेते, तो महापौर भाजपा का ही होता। लेकिन मैंने उनसे कहा कि हम सरकार में हैं, एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। और हमारे बॉस (उद्धव) का दिल मुंबई में है, इसलिए आप शिवसेना के लिए मुंबई छोड़ दीजिए। मुख्यमंत्री ने कहा, मेरे अनुरोध पर देवेंद्र जी ने मुंबई छोड़ दी थी, लेकिन उद्धव ने इसका कर्ज कैसे चुकाया?

उद्धव ने नहीं उठाए मेरे फोन

उन्होंने कहा कि उद्धव ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर 40 से 50 फोन कॉल नजरअंदाज किए और आखिरकार राकांपा तथा कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। शिंदे ने उद्धव पर निशाना साधते हुए कहा, पिछले सात वर्षों में देवेंद्र फडणवीस ने एक बार भी इसका जिक्र नहीं किया कि वह चाहते तो बीएमसी जीत सकते थे और भाजपा का महापौर बना सकते थे, लेकिन उन्होंने यह पद शिवसेना को दे दिया था। ऐसे में एहसान फरामोश कौन है?

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