IIT कैंटीन की दीवार पर 'Only Vegetarians' का पोस्टर: विवाद के बीच फाड़ा गया, बना खाने में भेदभाव का मुद्दा
IIT-B Canteen Controversy: घटना के बाद छात्रावास के महासचिव ने सभी छात्रों को यह कहते हुए एक ई-मेल भेजा है, ''छात्रावास की कैंटीन में जैन वितरण का एक काउंटर है लेकिन जैन भोजन करने वाले लोगों के लिए ऐसी कोई निर्धारित जगह नहीं है।''
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
IIT-B Canteen Controversy: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे (आईआईटी-बी) एक बार फिर से सुर्खियों में आया है। वजह है- महाराष्ट्र के मुंबई में स्थित कैंपस की कैंटीन में कुछ रोज पहले लगा एक पोस्टर। दीवारों पर चिपकाए गए इस पोस्टर में बड़ा-बड़ा लिखा था- 'सिर्फ शाकाहारी'। स्टूडेंट्स की नजर में जैसे ही यह पोस्टर आने लगा तो यह मामला तूल पकड़ने लगा। विवाद गर्माया तो कुछ लोगों ने इस पोस्टर्स को फाड़ दिया, जिसके बाद वहां खाने में भेदभाव का मुद्दा बन गया।
रविवार (30 जुलाई, 2023) को इस पूरे मामले पर समाचार एजेंसी एएनआई को एक छात्र प्रतिनिधि ने ये जानकारियां दीं। वैसे, ये पोस्टर पिछले हफ्ते इस नामचीन संस्थान के छात्रावास संख्या-12 की कैंटीन पर लगाया गया था, जिसमें यह लिखा था कि 'सिर्फ शाकाहारियों को ही यहां बैठने की अनुमति हैं'। इस बीच, मामले से जुड़ी एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई।
वहीं, आईआईटी-बी के अफसर की ओर से दावा किया गया कि उन्हें ऐसा एक पोस्टर लगा मिला है, लेकिन इसे कैंटीन के बाहर किसने लगाया इसकी जानकारी नहीं है। अलग-अलग तरह का भोजन करने वाले लोगों के लिए यहां कोई निश्चित सीटें नहीं हैं। संस्थान को इस बात की जानकारी नहीं है कि पोस्टर किसने लगाए हैं।
उधर, छात्र समूह आम्बेडकर पेरियर फुले स्ट्डी सर्किल (एपीपीएससी) के प्रतिनिधियों ने घटना की निंदा की और पोस्टरों को फाड़ दिया। एपीपीएससी पदाधिकारियों के अनुसार, ''छात्रावास के महासचिव को लिखी गई आरटीआई और ई-मेल के माध्यम से यह सामने आया है कि संस्थान में अलग-अलग भोजन के लिए कोई नीति नहीं है। कुछ छात्रों ने कैंटीन के कुछ हिस्सों को 'केवल शाकाहारियों' के रूप में नामित कर दिया, जिसकी वजह से दूसरे छात्रों को वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।''
घटना के बाद छात्रावास के महासचिव ने सभी छात्रों को यह कहते हुए एक ई-मेल भेजा है, ''छात्रावास की कैंटीन में जैन वितरण का एक काउंटर है लेकिन जैन भोजन करने वाले लोगों के लिए ऐसी कोई निर्धारित जगह नहीं है।'' महासचिव ने लिखा कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि कुछ छात्रों ने कैंटीन के कुछ हिस्सों को 'जैन के बैठने वाली जगह' के रूप में नामित कर दिया है और वे छात्र, जो मासांहार लाते हैं उन्हें उन जगहों पर बैठने नहीं दे रहे हैं।
महासचिव ने ईमेल के जरिए बताया,''इस तरह का बर्ताव अस्वीकार्य है और किसी छात्र को किसी अन्य छात्र को कैंटीन के किसी भी हिस्से से भगाने का अधिकार नहीं है और वह भी इस आधार पर कि कोई जगह किसी विशेष समुदाय के लिए आरक्षित है। अगर ऐसी घटना दोहराई जाती है तो हम इसमें शामिल छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।'' (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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