मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का कार्य तेज, नर्मदा नदी पर बन रहा 1.4 किमी लंबा पुल; यहां पढ़ें पूरी खबर
Mumbai-Ahmedabad Bullet Train: मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए गुजरात की नर्मदा नदी पर पुल बनाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। 25 वेल फाउंडेशन में से 19 वेल फाउंडेशन का कार्य पूरा हो गया है।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना
मुंबई-अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन परियोजना का कार्य तेजी से किया जा रहा है। परियोजना के लिए पुल का निर्माण गुजरात की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी के ऊपर किया जा रहा है। मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ने वाली बुलेट ट्रेन नर्मदा नदी के ऊपर से गुजरेगी। नर्मदा नदी सांस्कृतिक के साथ भौगोलिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। बता दें कि गुजरात के भरूच जिले से नर्मदा नदी पर बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 1.4 किमी लंबा पुल बनाया जा रहा है। ये पुल सूरत और भरूच के बुलेट ट्रेन स्टेशनों के बीच तैयार किया जा रहा है।
नर्मदा नदी पर बुलेट ट्रेन का पुल
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर परियोजना के लिए नर्मदा नदी पर पुल के निर्माण का कार्य वेल फाउंडेशन पर किया जा रहा है। वेल फाउंडेशन एक प्रकार की गहरी नींव है, जो नदियों में बनाई जाती है। इसका मुख्य तौर पर प्रयोग पुलों जैसी भारी संरचनाओं को सपोर्ट देने के लिए किया जाता है। इसकी संरचना खोखली और सिलिंडिराकार होती है। जो स्थिरता और भार वहन करने की क्षमता के साथ जमीन में धंसी होती है। वेल फाउंडेशन का प्रयोग रेलवे, राजमार्गों, चौड़ी नदियों पर पुलों/वायडक्टों के लिए किया जाता है। ये सबसे पुराने और सबसे प्रभावी नींव के प्रकारों में से एक मानी जाती है। बता दें कि वेल फाउंडेशन का उपयोग गहरे और अस्थिर नदी तल वाले क्षेत्रों में किया जाता है क्योंकि यहां अन्य प्रकार की नींव बनाना संभव नहीं है।
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25 में से 19 वेल फाउंडेशन का काम पूरा
मिली जानकारी के अनुसार, नर्मदा एचएसआर पुल में 25 वेल फाउंडेशन है। 5 वेल की गहराई 70 मीटर से अधिक है तथा सबसे गहरी वेल फाउंडेशन 77.11 मीटर है। नदी में अन्य वेल फाउंडेशन की गहराई लगभग 60 मीटर है। 4 वेल फाउंडेशन की गहराई कुतुब मीनार (72.5 मीटर) की ऊंचाई से भी अधिक है। सितंबर 2023 में मानसून और बाढ़ की स्थिति के कारण नर्मदा नदी पर पुल का निर्माण बाधित हो गया। जलस्तर के बढ़ने के कारण बिजली व्यवस्था भी बाधित हुई। इस दौरान सरदार सरोवर बांध से करीब 18 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। कई कठिनाईयों का सामना करते हुए भी जैक-डाउन पद्धति का प्रयोग करके वेल फाउंडेशन के टिल्ट और शिफ्ट की समस्या को टाइम से सुलझाया गया। बता दें कि पुल का निर्माण करने वाली ऑन-साइट टीम ने 25 वेल फाउंडेशन में 19 का काम पूरा कर लिया है। तेजी के साथ जल्द ही सभी वेल फाउंडेशन का कार्य पूरा किया जाएगा और सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण शुरू किया जाएगा।
मुंबई-अहमदाबाद बुलेट परियोजना कुल पुलों की संख्या
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस परियोजना में कुल 24 नदी पुल हैं। जिसमें 4 पुल महाराष्ट्र में है तो वहीं 20 पुर गुजरात में हैं। बताया जा रहा है कि गुजरात के 20 पुलों में 10 का कार्य पूरा कर लिया गया है। इन पुलों के नाम इस प्रकार है -
पार | 320 मीटर | वलसाड जिला |
पूर्णा | 360 मीटर | नवसारी जिला |
मिंधोला | 240 मीटर | नवसारी जिला |
अंबिका | 200 मीटर | नवसारी जिला |
औरंगा | 320 मीटर | वलसाड जिला |
वेंगानिया | 200 मीटर | नवसारी जिला |
मोहर | 160 मीटर | खेड़ा जिला |
धाधर | 120 मीटर | वडोदरा जिला |
कोलक नदी | 160 मीटर | वलसाड जिला |
वात्रक | 280 मीटर | खेड़ा जिला |
नर्मदा नदी का महत्व
गुजरात और मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी जल संसाधन, कृषि, पेयजल और जलविद्युत के लिए महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही नदी आध्यात्मिक और आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी लाखों लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट कॉरिडोर से पहले नर्मदा नदी पर भारत का तीसरा सबसे ऊंचा कंक्रीट बांध - सरदार सरोवर बांध बनाया गया। जिसकी लंबाई 1210 मीटर है।
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