मुंबई में नहीं चलेंगे डीजल-पेट्रोल वाहन! सिर्फ ये गाड़ियां भरेंगी फर्राटा; जानिए क्या है माजरा
मुंबई हाई कोर्ट ने मायानगरी में संचालित पेट्रोल और डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने पर विचार के लिए समिति गठित करने के लिए कहा है। समिति रिपोर्ट तैयार कर बताएगी क्या मुंबई की सड़कों से डीजल और पेट्रोल आधारित वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना और केवल सीएनजी या बिजली से चलने वाले वाहनों को अनुमति देना व्यवहार्य होगा?
मुंबई में डीजल-पेट्रोल वाहन प्रतिबंधिंत होंगे (फाइल फोटो)
मुंबई: उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को डीजल और पेट्रोल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है कि मुंबई की सड़कों पर जाम लगाने वाले वाहन शहर की खराब होती वायु गुणवत्ता के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने सरकार को एक पखवाड़े के भीतर विशेषज्ञों और सिविल प्रशासकों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया, जो इस बात पर विचार करेगी कि क्या मुंबई की सड़कों से डीजल और पेट्रोल आधारित वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना और केवल सीएनजी या बिजली से चलने वाले वाहनों को अनुमति देना व्यवहार्य होगा।
प्रदूषण की वजह से लिया गया फैसला
यह आदेश स्वत: संज्ञान वाली एक जनहित याचिका पर पारित किया गया। उच्च न्यायालय ने 2023 में शहर के खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। अदालत ने नौ जनवरी को मामले की सुनवाई की थी। पीठ ने बुधवार को उपलब्ध कराए गए अपने विस्तृत आदेश में कहा कि शहर में वायु गुणवत्ता को खराब करने में वाहनों से होने वाला प्रदूषण एक प्रमुख योगदानकर्ता है।
न्यायालय ने कहा कि मुंबई महानगर क्षेत्र की सड़कें वाहनों से अटी पड़ी हैं और सड़कों पर वाहनों का घनत्व चिंताजनक है, जिसके परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण से संबंधित समस्याएं और भी बढ़ जाती हैं, जिसे कम करने के लिए किए गए सभी उपाय अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। न्यायालय ने इस बात पर गहन अध्ययन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया कि क्या "डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना उचित या व्यवहार्य होगा।
बीएमसी को पीठ ने दिया निर्देश
पीठ ने कहा कि सरकार द्वारा गठित समिति तीन महीने के भीतर अपना अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। अदालत ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि लकड़ी और कोयले का उपयोग करने वाली शहर की बेकरी अपनी इकाइयों को अधिकारियों द्वारा निर्धारित एक वर्ष की समय सीमा के बजाय छह महीने के भीतर गैस या अन्य हरित ईंधन पर चलाने के लिए परिवर्तित करें।
पीठ ने कहा कि हमारी राय में ऐसी बेकरी इकाइयों के खिलाफ तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, ताकि शहर में बड़ी संख्या में मौजूद ऐसी इकाइयां वायु प्रदूषण न पैदा करें और खास तौर पर खतरनाक कणों को सीमित करें। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को तय की।
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