Mumbai Metro: जमीन के अंदर दौड़ी मेट्रो ट्रेन, दिखा रफ्तार का रौब; अब लोकल से भी कम किराये में करें सैर

Mumbai Metro: मुंबई में 14 कॉरिडोर पर मेट्रो ट्रेनें संचालित करने का रूट मैप तैयार है। आखिर, ब्लू लाइन (Mumbai Blue Line Metro) के बाद अब एक्वा लाइन (Mumbai Aqua Line Metro) पर मेट्रो ट्रेन का शुभारंभ कर दिया गया है। अब भूमिगत ट्रैक पर कफ परेड (Cuff parade) से आरे रोड (Aare Road) तक लोगों का सफर आसान होगा। तो आइये जानते मायानगरी के किन-किन रूटों को कवर करने वाले मेट्रो प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं और ये कब तक चालू होंगे?

मुंबई मेट्रो

Mumbai Metro: मुंबई यानी मायानगरी...दिन रात दौड़ने वाला शहर। समुद्र के किनारे बसे इस शहर में उम्मीद और संभावनाएं कभी कम नहीं हुईं। 2 करोड़ से ज्यादा आबादी का बोझ उठाने वाले शहर में यातायात को लेकर बड़ी दुश्वारियां नजर आती हैं। मुंबई लोकल ट्रेन और बीएसटी की बसें आखिर कितना बोझ उठाएं? आज जनसंख्या 2 करोड़ के मीटर पर है, लेकिन 2050 तक यह जनसंख्या 3 करोड़ की दहलीज के पार पैर रख चुकी होगी। तो मन में एक सवाल उठता है कि आखिर कैसे मैनेज होगी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था। तो सरकार ने इसके लिए एक बड़ा प्लान तैयार कर मायानगरी में मेट्रो का जाल फैलाना शुरू कर दिया। आर्थिक नगरी को नए ट्रैफिक कलेवर में उतारने के लिए 14 से अधिक रूटों पर मेट्रो ट्रेनों को संचालित करने का खाका और रोडमैप तैयार हो चुका है। वैसे तो मुंबई में 2014 से संचालित ब्लू लाइन मेट्रो अंधेरी से साकी नाका तक स्टेशनों को कवर करती है। अगर, मुंबई में पूर्ण रूप से मेट्रो ट्रेनों का संचालन शुरू होता है तो लोकल ट्रेनों की धक्का मुक्की से राहत मिलेगी। साथ ही लोगों को समय और सहूलियत के साथ गंतव्य तक पहुंचने में आसानी होगी। तो आइये जानते आने वाले समय में कितने रूटों पर मेट्रो ट्रेन दौड़ती नजर आएगी।

मुंबई मेट्रो

जुलाई में चल सकती है एक्वा लाइन मेट्रो

मुंबई मेट्रो की लाइन नंबर-तीन के तहत आर्थिक राजधानी का पहला भूमिगत मेट्रो रेल कॉरिडोर 24 जुलाई से शुरू हो जाएगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव विनोद तावडे ने बुधवार को यह जानकारी दी। मुंबई मेट्रो की लाइन नंबर-तीन को एक्वा लाइन या कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज लाइन के नाम से भी जाना जाता है। इस लाइन की लंबाई 33.5 किलोमीटर है जो कि भूमिगत है। यह लाइन दक्षिण मुंबई को शहर के पश्चिमी उपनगरों से जोड़ेगी और इससे उपनगरीय रेल सेवाओं पर बोझ कम होने की उम्मीद है।
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