Mumbai News: बेहद दिलचस्प है मुंबई के शिव मंदिर बाबुलनाथ की कहानी, हर वक्त रहती है हजारों भक्तों की भीड़
Mumbai News: मुंबई का बाबुलनाथ मंदिर पूरे देश में मशहूर हैं। बाबुलनाथ भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर सोलंकी राजवंश के समय का है, जिसने 13 वीं शताब्दी तक पश्चिमी भारत पर शासन किया था। सदियों से, श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचने के लिए 110 सीढ़ियां चढ़ते हैं। मंदिर के निर्माण से बहुत पहले इस जगह पर एक शिवलिंग मौजूद था।
बाबुलनाथ मंदिर है काफी मशहूर (फाइल फोटो)
मुख्य बातें
- बाबुलनाथ मंदिर पूरे देश में मशहूर है
- बाबुलनाथ है भगवान शिव को समर्पित
- श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचने के लिए 110 सीढ़ियां चढ़ते हैं
Mumbai News: मुंबई का बाबुलनाथ मंदिर पूरे देश में मशहूर हैं। दूर-दूर से लोग यहां भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। बाबुलनाथ मंदिर पर हर सोमवार हजारों भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए आती हैं। वहीं शिवरात्रि पर यह भीड़ कई गुना बढ़ जाती हैं। शिवरात्रि के मौके पर हम आपको बाबुलनाथ मंदिर के जुड़ी खास बातों के बारे में बताते हैं। यह मंदिर मालाबार हिल्स के दक्षिण में एक छोटी सी पहाड़ी पर मौजूद है। बाबुलनाथ भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। मरीन ड्राइव के आखिर में स्थित, यह मंदिर सोलंकी राजवंश के समय का है, उन्होंने 13 वीं शताब्दी तक पश्चिमी भारत पर शासन किया था।
माना जाता है कि मंदिर के निर्माण से बहुत पहले इस जगह पर एक शिवलिंग मौजूद था, यहां मुख्य देवता की पूजा की जाती है। सदियों से, श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचने के लिए 110 सीढ़ियां चढ़ते आए हैं। बाबुलनाथ मंदिर मराठी शैली की वास्तुकला से सजा हुआ है।
यह है दिलचस्प कहानी माना जाता है कि पांडुरंग नाम के एक सुनार के पास ढेर सारी गाय थीं। अपनी गायें के लिए वह एक चरवाहे को लेकर आए जिसका नाम बाबुल था। बाबुल बांसुरी बजाता था, गायें जी भर कर घास चरती थीं और पांडुरंग की जरूरतों के लिए पर्याप्त दूध देती थीं। एक दिन, पांडुरंग ने देखा कि उनकी पूरी तरह से स्वस्थ गायों में से एक के पास देने के लिए दूध नहीं है। इसका कारण पूछने पर बाबुल ने अपने मालिक से कहा कि इस विशेष गाय के साथ अक्सर ऐसा ही होता था और इससे भी अधिक उत्सुकता यह थी कि यह कैसे हुआ। वह गाय अक्सर पहाड़ी पर एक खास स्थान पर अपना रास्ता बनाती थी और अपना दूध जमीन पर छोड़ देती थी।
इस तरह हुआ मंदिर का निर्माणपांडुरंग को यह अविश्वसनीय लगा और दोनों ने अधिक जानने के लिए गाय का चोरी-छुपे पीछा किया। इसके बाद जमीन पर एक खास जगह पर गाय को दूध छोड़ता देख पांडुरंग और बाबुल हैरान हो गए। फिर दोनों ने रहस्य की तह तक जाने के लिए उस सटीक स्थान को खोदने का फैसला किया। जिसके नीचे उन्हें एक शिवलिंग दबा हुआ मिला। श्रद्धा और कृतज्ञता में, पांडुरंग ने इसी स्थान पर शिवलिंग को प्राथमिक देवता के रूप में रखकर एक मंदिर का निर्माण किया। इसके बाद इस मंदिर का नाम चरवाहे के नाम पर रखा दिया गया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | मुंबई (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited