Mumbai में बेकरी परोस रहीं बीमारियां, धधकती भट्ठियां सेहत का कर रहीं भारी नुकसान

मुंबई में बीईएजी द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि 200 बेकरियों में से 47% बेकरी अपने उत्पाद के लिए जलाऊ लकड़ी पर निर्भर है। इन लकड़ियों का इस्तेमाल स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक है, जिससे अस्थमा और दूसरी कई तरह की बिमारियों का खतरा बना हुआ है-

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पर्यावरण और सेहत के लिए खतरा जलाऊ लकड़ी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Mumbai News: बॉम्बे एनवॉयर्मेंट एक्शन ग्रुप (बीईएजी) ने छह महीने तक शहर भर में 200 बेकरी का सर्वेक्षण किया। जिसमें पाया गया कि इनमें से लगभग 47% अपने उत्पाद के लिए जलाऊ लकड़ी पर निर्भर हैं। ये लकड़ी मुख्य रूप से फर्नीचर की दुकानों से प्राप्त अनुपयोगी लकड़ी होती हैं, जिन्हें इस्तेमाल में लाया जाता है। वहीं पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले एक गैर-लाभकारी संगठन ने मुंबई की अधिकतर बेकरी में ईंधन के रूप में जलाऊ लकड़ी के इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही इससे लोगों की सेहत को गंभीर खतरा होने की चेतावनी दी है।

जलाऊ लकड़ी के इस्तेमाल से खतरा

अध्ययन के अनुसार बायखला और मध्य मुंबई क्षेत्रों (ई-वार्ड) में सबसे अधिक 84 बेकरी हैं। इसके बाद अंधेरी (के-वेस्ट वार्ड) में 53 और मोहम्मद अली रोड (बी-वार्ड) में 39 ब्रेड और केक इकाइयां हैं। बीईएजी अध्ययन में यह भी कहा कि सर्वेक्षण में शामिल 72 बेकरी ने 80,381 किलोग्राम पीएम 2.5 उत्सर्जित किया, जो इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करता है।

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अस्थमा और अन्य बीमारियों का कारण

बीईएजी ने एक रिपोर्ट में कहा है कि इस लकड़ी के प्रयोग से हानिकारक वाष्प शील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) और सूक्ष्म कण (पीएम 2.5) हवा में उत्सर्जित होते हैं। जो अस्थमा और अन्य बीमारियों का कारण बनते हैं। पीएम 2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले सूक्ष्म कण से है। यह फेफड़ों और यहां तक कि रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं, जिससे यह विशेष रूप से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

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पर्यावरण की रक्षा की मांग

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिजली दूसरा सबसे साधारण ईंधन स्रोत है, जिसका उपयोग 28 प्रतिशत बेकरी द्वारा किया जाता है, जबकि लगभग 21 प्रतिशत बेकरी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) और बिजली पर निर्भर हैं। एनजीओ ने कहा कि अध्ययन का उद्देश्य जागरुकता बढ़ाना और मुंबई के लोगों के स्वास्थ्य तथा शहर के पर्यावरण की रक्षा के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग करना है।

(इनपुट- भाषा)

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Maahi Yashodhar author

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