Mumbai Trans Harbor Link: मुंबई में बना भारत का सबसे बड़ा समुद्री पुल इस साल खुलेगा, ट्रांस हार्बर लिंक होगा बेहद खास
Mumbai Trans Harbor Link: भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल एमटीएचएल का 90 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो गया है। इस पुल को यातायात के लिए इस साल नवंबर माह में खोल दिया जाएगा। बुधवार को पुल पर 180 मीटर लंबा ओएसडी स्थापित किया गया। पुल के शुरू होने के बाद सेवरी क्षेत्र से रायगढ़ के चिर्ले तक का सफर हो जाएगा 20 मिनट का।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पुल निर्माण का निरीक्षण करते हुए
मुख्य बातें
- 22 किमी लंबा पुल जोड़ेगा सेवरी और चिर्ले को
- दोनों जगह आने जाने में लगेंगे मात्र 20 मिनट
- मुख्यमंत्री शिंदे ने किया पुल निर्माण का निरीक्षण
Mumbai Trans Harbor Link: भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) बनकर लगभग तैयार हो चुका है। इस पर बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में 180 मीटर लंबा ऑर्थोट्रोपिक स्टील डेक (ओएसडी) स्थापित किया गया। यह डेक पानी के जहाजों को पुल के नीचे से गुजरते समय नेविगेट करने का काम करेगा। समुद्र से करीब 25 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस डेक का वजन लगभग 2,300 मीट्रिक टन है। इस मौके पर सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक का 90 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इस पुल को इसी साल नवंबर माह में यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। संबंधित खबरें
बता दें कि, इस पुल पर यातायात शुरू होने के बाद यह देश का सबसे लंबा समुद्री पुल बन जाएगा। साथ ही यह देश का ऐसा पहला पुल भी होगा जिस पर ‘ओपन रोड टोलिंग' (ओआरटी) प्रणाली की सुविधा होगी। अधिकारियों के अनुसार इस 22 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण कार्य तेज गति से किया जा रहा है, इसका 16.5 किलोमीटर का हिस्सा समुद्र पर बना है, बाकि का 5.5 किमी जमीन पर है। पुल का बचा हुए हिस्से का निर्माण भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। यह पुल मुंबई के सेवरी क्षेत्र को रायगढ़ के चिर्ले से जोड़ेगा। अभी दोनों जगहों पर आने-जाने में 2.5 घंटे का समय लगता है। इस पुल के तैयार हो जाने के बाद यात्रा का यह समय घटकर मात्र 20 मिनट रह जाएगा। संबंधित खबरें
पुल पर लगेंगे कुल 70 ओएसडी
मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए के प्रमुख एसवीआर श्रीनिवास ने बताया कि, भारत में पहली बार पुल निर्माण में ऑर्थोट्रोपिक स्टील डेक (ओएसडी) का उपयोग किया जा रहा है। यह पुल के नीचे से जहाजों के परिवहन को सुरक्षित बनाएगा। इस पुल में कुल 70 ओएसडी स्थापित किए जाने हैं, जिनमें से 36 ओएसडी स्थापित हो चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार, यहां पर स्थापित हो रहे ओएसडी जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और म्यांमार में बनाए गए और फिर उन्हें समुद्र के रास्ते भारत के करंजा पोर्ट के असेंबली यार्ड में लाया गया। यहां पर इन्हें असेंबल कर लगाया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, इस पुल पर ‘ओपन टोलिंग सिस्टम' लगेगा, जिसकी वजह से वाहन चालकों को टोल भरने के लिए रुकना नहीं पड़ेगा।संबंधित खबरें
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