गैंगरेप मामले में बंबई हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- दोषी करार देने के लिए साझा मंशा होना पर्याप्त

Bombay High Court: हाई कोर्ट ने 2015 में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में चारों दोषियों की अपील खारिज कर दी। दरअसल, सत्र अदालत ने दो आरोपियों को सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी करार देते हुए 20 साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी।

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बंबई हाई कोर्ट

मुख्य बातें
हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका। सत्र अदालत ने सुनाई थी 20 साल की सजा।

Bombay High Court: बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा है कि सामूहिक बलात्कार के मामले में अगर किसी एक आरोपी ने यौन कृत्य किया और बाकियों का ऐसा करने का इरादा था तो यह उन्हें अपराध में शामिल मानने के लिए पर्याप्त है, लेकिन इस बारे में पर्याप्त सबूत होने चाहिए।

हाई कोर्ट ने पूर्वी महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के चंद्रपुर में 2015 में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किये जाने और उसके पुरुष मित्र पर हमला करने को लेकर चार लोगों की दोषसिद्धि बरकरार रखी। दो दोषियों ने अपनी अपील में दावा किया कि उन्हें सामूहिक बलात्कार के लिए दोषी करार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वे महिला के यौन उत्पीड़न में शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि अपराध से पहले उनकी ऐसा करने की कोई मंशा भी नहीं थी।

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कोर्ट ने ठुकरा दी दोषियों की दलील

न्ययामूर्ति जी. ए. सनप की एकल पीठ ने मंगलवार को उपलब्ध हुए चार जुलाई के आदेश में दोनों दोषियों की इन दलीलों को ठुकरा दिया और कहा कि उन्होंने उस समय पीड़िता के मित्र को पकड़ रखा था। पीठ ने कहा कि अगर दोनों ने पुरुष मित्र को पकड़ कर न रखा होता तो वह शोर मचाकर दो अन्य व्यक्तियों को पीड़िता के साथ घिनौनी हरकत करने से रोक सकता था।

अदालत ने कहा कि सामूहिक बलात्कार के मामले में अगर किसी एक आरोपी ने यौन कृत्य किया और बाकी आरोपी उसमें किसी तरह से शामिल थे तो यह उन्हें अपराध में शामिल मानने के लिए पर्याप्त है, लेकिन इसके पर्याप्त सबूत होने चाहिए। न्यायाधीश ने कहा, “मुझे लगता है कि दो दोषियों की हरकत ने बलात्कार के कृत्य में दो अन्य दोषियों की मदद की।”

हाई कोर्ट ने खारिज की अपील

अदालत ने सामूहिक बलात्कार के मामले में दोषी करार देने और 20 साल जेल की सजा सुनाने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली चारों दोषियों की अपील खारिज कर दी।

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क्या है पूरा मामला?

अभियोजन पक्ष के अनुसार, जून 2015 में पीड़िता और उसका पुरुष मित्र एक मंदिर गए थे और बाद में एक वन क्षेत्र में बैठे थे, तभी चार आरोपियों ने खुद को वन रक्षक बताते हुए उनसे पैसे मांगे। जब पीड़िता शौच के लिए गई तब दो आरोपियों ने उसका यौन उत्पीड़न किया, जबकि बाकी दो ने उसके पुरुष मित्र को पकड़ रखा था। इलाके से गुजर रहे वन रक्षक ने महिला की चीख सुनी और मौके पर पहुंचे, तब चारों आरोपी फरार हो गए। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

अपराध में शामिल थे चारों आरोपी

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने चारों दोषियों के खिलाफ मामले को संदेह से परे साबित कर दिया है। पीठ ने कहा कि पीड़िता के साक्ष्य, गवाहों के बयान और अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत अन्य साक्ष्य चारों आरोपियों के अपराध को साबित करते हैं।

(इनपुट: भाषा)

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अनुराग गुप्ता author

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