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7 अलग-अलग द्वीपों को जोड़कर कब और कैसे बसाई गई माया नगरी मुंबई; कितना आया खर्च

बॉम्बे के सात टापुओं को जोड़कर एक शहर के रूप में बसाना एक बड़ी चुनौती था। यह कार्य आसान नहीं था, लगभग डेढ़ सदी का समय लगा और यह काम पूरा हुआ। यह अपने आप में बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था, जिसका नतीजा आज हमारे सामने सपनों की नगरी मुंबई के रूप में सामने है।

My City and its Story - Mumbai.My City and its Story - Mumbai.My City and its Story - Mumbai.

मायानगरी मुंबई के बनने की कहानी

आज हम और आप जिस शहर को मुंबई के नाम से जानते हैं। उसे मायानगरी, देश की आर्थिक राजधानी, हॉलीवुड सिटी ऑफ इंडिया, सपनों का शहर और टापुओं का शहर भी कहा जाता है। पूर्व में इस शहर को बॉम्बे, बंबई और बोंबुहिया भी कहा जाता था। यह अपने आप में अनोखा शहर है। सात द्वीपों के ऊपर बसे इस शहर में आज भले ही द्वीप नजर न आते हों, लेकिन कभी एक द्वीप से दूसरे तक जाने में बड़ी परेशानी होती थी। फिर बाद में इन द्वीपों को आपस में जोड़कर आज के आधुनिक मुंबई की नींव रखी गई थी। तो फिर देर किस बात की, चलिए 'मेरा शहर और उसकी कहानी' में आज मुंबई शहर और उसकी रोचक कहानी को जानते हैं -

2300 साल पुराना इतिहास

आज का मुंबई भले ही हमेशा से ऐसा नहीं था, बल्कि यह 7 अलग-अलग टापू के रूप में थे। लेकिन इसका इतिहास काफी पुराना है। नॉर्थ मुंबई के उत्तरी कांदीवली में मिले प्राचीन अवशेषों के अनुसार यह द्वीप पाषाण युग से मौजूद है। यहां उस काल के मानव हथियार मिले हैं। यही नहीं यहां पर मानव इतिहास का 2300 साल पुराना लिखित प्रमाण है, उस समय इसे हेप्टानेशिया कहा जाता था। ईसापूर्व 300 साल पहले यह टापू मौर्य राजवंश के अंतर्गत आते थे और सम्राट अशोक यहां राज करते थे। ईसा के बाद शुरुआती वर्षों में यहां सातवाहन वंश का राज रहा, इसके बाद हिंदू सिलहारा वंश ने यहां पर 1343 तक राज किया। इसके बाद गुजरात के राजा बहादुर शाह ने इन द्वीपों पर कब्जा कर लिया।

विदेशी शासन की शुरुआत

इन सातों टापुओं पर पहली बार विदेशी कब्जा तब हुआ, जब पुर्तगालियों ने बहादुर शाह से इन टापुओं को हथिया लिया। 1534 में बहादुर शाह और मुगलों के साथ बेसिन की संधि के बाद पुर्तगालियों का इन सातों टापुओं पर कब्जा हो गया। इसी के साथ इन टापुओं की शक्ल-ओ-सूरत बदलने लगी थी, लेकिन इसमें तेजी आनी अभी बाकी थी। पुर्तगालियों ने यहां कॉजवे बनाने शुरू कर दिए थे और उनके समय में ही टापू आपस में जुड़ने लगे। उनके समय में ही सात टापू मिलकर अब चार रह गए थे। एक तरफ यह टापू पुर्तगालियों के कब्जे में थे और दूसरी तरफ अंग्रेज पूरे भारत को अपने कब्जे में लेने के अभियान पर थे। पुर्तगालियों ने यहां पर अपना नौसेना बेस भी बनाया हुआ था। इसी बेस के चलते अंग्रेजों की यहां पर दिलचस्पी बढ़ी।

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