Water Crisis in Jalna: आसमान से बरस रही आग, नदियां झील पोखर दे रहे जवाब ; बिन पानी कैसै बुझेगी प्यास

Water Crisis in Jalna: महाराष्ट्र के जालना के कई गांवों में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए वे रोजमर्रा के काम के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। ऐसे में इन टैंकर चालकों दिन में 20 घंटे तक काम कर रहे हैं।

Water Crisis in Jalna

पानी की किल्लत

Water Crisis in Jalna: महाराष्ट्र में इन दिनों गर्मी चरम पर है। कई क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री के पार चुका है और लू का अलर्ट भी जारी है। प्राकृतिक जल स्रोत नदियां, झील और पोखर भी अब धोखा देने लगे हैं। कई जगह प्राकृतिक जल स्रोत सूखने की कगार पर हैं। यही कारण है कि पेयजल का संकट गहराता जा रहा है। इधर, जालना जिले के कई गांवों में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए वे रोजमर्रा के काम के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। ऐसे में इन टैंकरों के चालकों को एक दिन में 20 घंटे तक भी काम करना पड़ रहा है। कई वाहन चालकों ने दावा किया कि बिजली आपूर्ति में रुकावट और पानी के टैंकर भरने वाले स्थानों पर लंबी कतारों की वजह से कई घंटों तक काम करना पड़ रहा है। मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित जिले के विभिन्न हिस्से पिछले मानसून सीजन में अपर्याप्त वर्षा के कारण पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। एक स्थानीय राजस्व अधिकारी के अनुसार, जालना में 26 अप्रैल तक 148 गांव और 55 बस्तियां 235 टैंकरों पर पानी की आपूर्ति के लिए निर्भर थीं।

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20 घंटे तक करते हैं काम

छत्रपति संभाजीनगर से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित जालना-भोकरदान रोड पर स्थित बनेगांव में सिंचाई परियोजना के तहत खुदाई किए गए एक कुएं से इन टैंकरों में पानी भरा जाता है। टैंकरों के लिए बनेगांव नोडल केंद्र है, जिसके बाद यहां से तुपेवाडी, धामनगांव, तपोवन और गारखेड़ा में पानी की आपूर्ति की जाती है।

बनेगांव में पानी का टैंकर भरने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे सोमीनाथ राठौड़ ने कहा कि उनके काम के घंटे तय नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारे काम करने का समय कभी-कभी आठ से 20 घंटे तक हो जाता है। मैं छह महीने से यह काम कर रहा हूं और कभी भी काम के घंटे तय नहीं किए गए। बिजली आपूर्ति में रुकावट और टैंकर की स्थिति (मरम्मत और रखरखाव के मुद्दे) से हमारे काम करने का समय तय होता है।

गांव में दिनभर पानी की जरूरत

सैयद हबीब को धामनगांव में पानी का टैंकर पहुंचाना होता है। उन्होंने कहा कि उन्हें इन गांवों में हर दिन दो-तीन बार पानी पहुंचाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि लेकिन पानी भरने के स्थान और जिस गांव में पानी पहुंचाना है वहां बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए। यदि बिजली आपूर्ति बंद हो तो हमें इन स्थानों पर काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। हम टैंकर छोड़कर घर नहीं जा सकते। हबीब ने कहा, "कभी-कभी हम खाना ले जाते हैं, कभी-कभी हम नहीं ले जाते क्योंकि हम घर से दूर रहते हैं। उन्होंने कहा कि टायर पंक्चर या टैंकर की खराबी जैसी समस्याओं से निपटने में भी समय लगता है।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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