अनोखा है अल्मोड़ा का यह देवी मंदिर, माचू-पीच्चू और स्टोनहेज से है खास संबंध!

चैत्र नवरात्र के अवसर पर आज जानते हैं उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित कसार देवी मेदिर के बारे में। यह मंदिर अनोखा और चमत्कारी है। यहां के चमत्कार के आगे वैज्ञानिक भी नतमस्तक होते हैं। कुछ लोग तो Kasar Devi Temple की तुलना Stonehenge और Machu Picchu से भी करते हैं।

Kasar Devi Temple.

कसार देवी मंदिर

माता के नवरात्र (Navratra) चल रहे हैं, ऐसे में आप अपने आसपास के देवी मंदिरों में तो जा ही रहे होंगे। आज हम आपको लेकर चलते हैं एक अनोखे और अद्भुत शक्तियों वाले देवी मंदिर में। इस देवी मंदिर में बड़ी शक्ति है। बड़ी बात यह है कि यह सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति नहीं है, बल्कि इस शक्ति को विज्ञान भी मानता है। जी हां आपके अपने अल्मोड़ा (Almora) शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित कसार देवी मंदिर दुनियाभर में मशहूर है। इसकी शक्तियों की वजह से इस मंदिर का संबंध स्टोनहेंज (Stonehenge) और माचू-पीचू (Machu Picchu) से भी जोड़ा जाता है। चलिए जानते हैं, यहां की मान्यता क्या है? यहां की वो कौन सी शक्ति है, जिसे विज्ञान भी मानता है और क्यों इसे स्टोनहेंज और माचू-पीच्चू से जोड़कर देखा जाता है -

सबसे पहले बात लोकेशन की

बात है कसार देवी मंदिर के लोकेशन की तो यह अल्मोड़ा शहर से मात्र 8 किमी की दूरी पर स्थित है। उत्तराखंड की सुरम्य वादियों में मौजूद यह मंदिर बहुत ही मशहूर है और देश व दुनिया से श्रद्धालु यहां आते हैं। अल्मोड़ा की पहाड़ियों में मौजूद इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि देवी मां यहां साक्षात अवतार में आई थीं। इस मंदिर का धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है। यह प्राचीन मंदिर दूसरी सदी का है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है यह जगह। यहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कसार मेले का आयोजन होता है। इस मेले में हजारों-लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।
यह मंदिर बिनसर वाइलडलाइफ सेंचुरी के पास है। बांज और देवदार के जंगलों से घिरे इस इलाके की हरियाली और नजारे देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ टूरिस्ट भी आते हैं। यहां पर कई प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलते हैं। यहां योग और मेडिटेशन के लिए भी लोग पहुंचते हैं। स्वयं स्वामी विवेकानंद भी यहां आए थे और उन्होंने यहां ध्यान किया था।

चुंबकीय शक्ति है यहां

कसार देवी मंदिर और इस क्षेत्र में अद्भुत चुंबकीय शक्ति है, जिसे लोग मां का चमत्कार मानते हैं। इस चमत्कार को विज्ञान की तरफ से भी स्वीकृति मिल चुकी है। यहां अक्सर वैज्ञानिक भी इस चमत्कार को अनुभव करने के लिए पहुंचते हैं। यहां मंदिर और आसपास के इलाके में जमीन के अंदर भू-चुंबकीय पिंड हैं। यहां आने वाले लोगों को मानसिक शांति का अनुभव होता है।

कसार देवी मंदिर में कहां से आती है इतनी ऊर्जा

कहा जाता है कि कसार देवी मंदिर वैन एलेन बेल्ट पर मौजूद है। दरअसल वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट (Van Allen Belt), एनर्जेटिक चार्ज्ड पार्टिकल्स का क्षेत्र होता है, जो ज्यादातर सौर अंधड़ (Solar Wind) से आते हैं। इन पार्टिकल्स को धरती की चुंबकीय शक्ति (Magnetic Field) कैप्चर करती है और धरती के आसपास बनाए रखती है। यह पूरी धरती को घेरे हुए है और तेज व ज्यादातर एनर्जेटिक इलेक्ट्रॉन को धरती पर पहुंचने से रोकती है। इसकी बाहरी परत सूर्य से निकले वाले हाई एनर्जी पार्टिकल्स से बनी है, जो धरती के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में फंस गए हैं। इन्हें ही मैग्नेटोस्फेयर कहते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिक जेम्स ए वैन एलेन ने साल 1958 में वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट की खोज की थी। यही जियो मैग्नेटिक एक्टिविटी इस क्षेत्र को हाय कॉस्मिक एनर्जी देती है। पेरू में माचू-पिच्चू और युनाइटेड किंगडम में स्टोनहेंज भी इसी वैन एलेन बेल्ट पर मौजूद हैं और वहां भी कसार देवी मंदिर की ही तरह चुंबकीय शक्ति है।

हिप्पी हिल

जहां कसार देवी मंदिर स्थित है, उसे हिप्पी हिल या क्रैंक्स रिज भी कहा जाता है। कसार देवी मंदिर परिसर हमेशा से ही कला, संस्कृति और कविता के लिए मशहूर रहा है। मशहूर गायक बॉब डैलान और एक्टर उमा थुरमन यहां आ चुके हैं। आज भी कई कलाओं से संबंध रखने वाले लोग यहां आते हैं और जीवन के मुश्किल प्रश्नों के उत्तर खोजते हैं।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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