नेपाल ने फिर अपने मैप में दिखाया Limpiyadhura, जानिए कहां है लिंपियाधुरा और क्या है विवाद

नेपाल ने हाल में 100 रुपये का नया नोट छापा है। इस नोट में पड़ोसी देश ने अपना नक्शा भी छापा है, जिसमें उसने लिपु लेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे भारतीय क्षेत्रों को अपने में दिखाया है। इसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता दिख रहा है। जानिए कहां है लिंपियाधुरा और क्या है पूरा विवाद -

India-Nepal Limpiyadhura.

नेपाल ने फिर दिखाया भारत के हिस्सों को नेपाल में

भारत और नेपाल के बीच वैसे तो शांतिपूर्ण रिश्ते (India-Nepal Relations) हैं। दोनों देशों के बीच बॉर्डर पर भी सख्ती नहीं देखी जाती है। बॉर्डर के दोनों ओर रोटी-बेटी का रिश्ता है। यहां तक कि एक शहर ऐसा भी है, जिसे एक नदी दो देशों में बांटती है। जी हां, भारत में इस शहर को धारचुला (Dharchula) कहते हैं जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) जिले में है। इसी शहर को नेपाल (Nepal) में दारचुला कहा जाता है। धारचुला और दारचुला (Darchula) को दो देशों में बांटने वाली नदी का नाम काली नदी है। यही काली नदी (Kali River) दोनों देशों के बीच बॉर्डर का काम करती है और इसी काली नदी के उद्गम को लेकर विवाद के चलते लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) पर नेपाल अपना दावा करता है। दरअसल ताजा विवाद तब सामने आया, जब नेपाल ने अपना नया 100 रुपये (Nepal 100 Rupee new Note) का नोट छापा और उस पर लिपुलेख (Lipu-Lekh), लिंपियाधुरा और कालापानी को भी नेपाल के नक्शे में दर्शाया। जबकि यह तीनों क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग हैं।

इससे पहले नेपाल ने 20 मई 2020 को पहली बार बड़ा क्लेम करते हुए इन इलाकों को अपना हिस्से में दिखाया था। उस समय नेपाल ने कुटी यांक्ती नदी के संपूर्ण पूर्वी क्षेत्र को अपने नक्शे में दर्शाया था। उसी साल जून में नेपाली संसद की निचले सदन ने सर्वसम्मति से उस मैप को पास भी कर दिया था। काठमांडु पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा की जनगणना को 1961 के बाद से ही नेपाल के जनगणना में शामिल नहीं किया जा रहा था। साल 2022 की नेपाली जनगणना के आंकड़ों में इस इलाकों को जोड़ दिया गया।

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क्या है विवादसाल 1911 के अल्मोड़ा जिला गैजेटियर के अनुसार कालापानी गांव के पास कई छोटी-छोटी धाराएं निकलती हैं, जिसके कारण इसका नाम कालापानी पड़ा। यह धाराएं 14, 220 फीट ऊंचे ब्यांस-रिखी पर्वत से निकलती हैं और घाटी में बहती हैं, जिसे कालापानी नदी कहा जाता है। गैजेटियर के अनुसार इसमें दो प्रमुख धाराएं हैं। एक लिपुलेख दर्दे के पश्चिमी छोर से निकलती है, जिसे लिपु गाड़ कहा जाता है और दूसरी कुंटास पर्वत के पश्चिमी हिस्से से बहती है। आधुनिक मैप के अनुसार दक्षिण-पूर्व से आने वाली दो अन्य धाराएं भी इनमें मिलती हैं, जो ओम पर्वत और प्वाइंट 6172 से निकलती हैं। गैजेट के अनुसार धारा पांच मील तक दक्षिण-पश्चिम में बहती है, यहां यह कुटी यांक्ती नदी से मिलती है। इस पूरे क्षेत्र को नेपाल अपना बताता है।

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कहां है लिंपियाधुरालिंपियाधुरा को लेकर नेपाल की ओर से विवाद जरूर है, लेकिन और इस क्षेत्र में स्पष्ट है कि यह भारत का हिस्सा है। यहां से निकलने वाली नदी कुटी यांक्ती में जब कालापानी नदी मिलती है तो काली नदी का जन्म होता है। कई बार कुटी यांक्ती नदी को ही काली नदी मान लिया जाता है और इसी के चलते नेपाल लिंपियाधुरा को भी अपना हिस्सा बता रहा है। लिंपियाधुरा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में तिब्बत बॉर्डर के पास है। यहां के नजदीकी शहर धारचुला और मुनस्यारी हैं। आदि कैलाश (Adi Kailash) और ओम पर्वत (Om Parvat) की ओर जाने वाले रास्ते पर गुंजी (Gunji), नाभीढांग (Nabhidhang) जैसे चर्चित नाम भी लिंपियाधुरा के आसपास ही हैं। लिंपियाधुरा दो शब्दों के जोड़ से बना है, लिंपिया और धुरा से बना है। इसमें धुरा शब्द का अर्थ जंगल से है।

क्या है ब्यांस इलाका काली नदी के दोनों तरफ के क्षेत्र को ब्यांस कहा जाता है, जो मुगल काल में परगना था। यहां के निवासियों को ब्यांसी कहा जाता था। यह लोग पश्चिमी हिमालयी भाषा बोलते थे, जो एक समय पश्चिमी तिब्बत में बोली जाने वाली झांग-जुंग भाषा के करीब थी। यह लोग ऊंचे पहाड़ी इलाकों में रहते थे और सर्दियों के दिनों में तराई के इलाकों, जैसे धारचुला आ जाते थे। लिंपियाधुरा और लिपुलेख दर्रे के का इस्तेमाल यह लोग तिब्बत के साथ व्यापार के लिए करते थे। कालापानी नदी के दक्षिण में तिनकर घाटी है, जो अभी मौजूदा समय में नेपाल का हिस्सा है।

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क्षेत्र को लेकर नेपाल का दावाजैसा कि हमने ऊपर जाना, नेपाल का मानना है कि काली नदी लिंपियाधुरा से निकलती है, जो लिपुलेख के उत्तर-पश्चिम में मौजूद है। इसी बात को आधार बनाकर नेपाल, कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताता है। नेपाल मानता है कि यह सभी क्षेत्र काली नदी के पूर्व में हैं और नेपाल के दारचुला जिले का हिस्सा है। नेपाल का यह भी दावा है कि राजा ने भारत का समर्थन हासिल करने के लिए लिपुलेख को नेपाल के मैप से हटा दिया था। यही नहीं, नेपाल का तो यह भी दावा है कि साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय राजा महेंद्र ने कालापानी का क्षेत्र भारत को दे दिया था, क्योंकि वह भारत की मदद करना चाहते थे। वह यह भी मानते हैं ने कालापानी, कभी भी भारत-नेपाल विवाद का हिस्सा था ही नहीं, यह तो हमेशा से नेपाल का हिस्सा था, जिसे राजा ने अस्थायी तौर पर भारत को दिया था। नेपाल अपने नए मैप का यह कहते हुए बचाव करता है कि यह नया नहीं है, बल्कि 1950 के दशक तक यही मैप इस्तेमाल होता था।

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भारत की दलीलभारत का कहना है काली नदी लिपु-लेख दर्रे के दक्षिण में धारा के रूप में उत्पन्न होती है और सुगौली की संधि में काली नदी की धारा से उत्तर का डिमार्केशन नहीं हुआ था। यही नहीं 19वीं सदी के आधिकारिक और रेवन्यू रिकॉर्ड से साफ होता है कि कालापानी भारत का हिस्सा था, जो आज उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले में आता है।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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