रामेश्वरम तक तैयार हो रहा आधुनिक 'रामसेतु', छुक-छुक ट्रेन से होगा सुहाना सफर
भारतीय रेलवे रामेश्वरम को मेन लैंड से जोड़ने के लिए नया पंबन ब्रिज बना रही है। नए पंबन रेलवे ब्रिज का काम 1.6 किमी लंबा हिस्सा तैयार भी हो चुका है, अब करीब 500 मीटर हिस्से का काम बचा है। जानिए पुराने पंबन ब्रिज का इतिहास और इसे क्यों बंद कर दिया गया -
रेलवे बना रहा नया पंबन ब्रिज
हिंदू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान श्रीराम (Lord Ram) ने अयोध्या तक रामसेतु (Ramsetu) का निर्माण करवाया था। माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने और धरती को रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए रामसेतु का निर्माण हुआ था। भगवान राम ने रामेश्वरम (Rameswaram) से लंका तक पुल बनवाया था। लेकिन आज के आधुनिक युग में रामेश्वरम तक जाने के लिए 'रामसेतु' का निर्माण किया जा रहा है। नल-नील को तो हममे से किसी ने रामसेतु का निर्माण करते नहीं देखा, लेकिन रामेश्वरम तक बन रहे नए रेलवे ब्रिज का वीडियो हम आपके लिए लेकर आए हैं।
रामेश्वरम द्वीप को मेन लैंड से जोड़ने वाले नए पंबन रेलवे ब्रिज (Pumban Railway Bridge) का काम साल 2020 से लगातार चल रहा है। इस रेलवे ब्रिज का 1.6 किमी लंबा हिस्सा तैयार हो चुका है, जबकि बाकी का 500 मीटर का काम अभी जारी है। इस ड्रॉब्रिज (Drawbridge) को 13 मार्च 2023 को उसकी जगह पर रखा गया। इस ब्रिज को आधुनिक इलेक्ट्रिक लिफ्ट टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है। इंजीनयरों ने हाइड्रोलिक सिस्टम का इस्तेमाल करके ड्रॉब्रिज को ऊपर उठाने के लिए चार स्टील के खंबे लगाने के साथ ही लोहे की प्लेटें और पहिए लगा दिए हैं। उम्मीद की जा रही है कि नया पंबन रेलवे ब्रिज जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा और फिर कुछ ही समय में इस ट्रेनों की आवाजाही भी शुरू हो जाएगी।
क्या होता है ड्रॉब्रिजड्रॉब्रिज को ड्रॉ-ब्रिज भी लिखा जाता है। यह खास तरह के पुल होते हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर खोलकर एक तरफ या ऊंचा उठाया जा सकता है। आमतौर पर ऐसे ब्रिज बड़ी नदियों या समुद्र में ही बनते हैं, ताकि जल परिवहन में किसी तरह की समस्या न हो। जब नदी या समुद्र के उस हिस्से में ऐसा कोई जहाज आता है जो पुल की ऊंचाई तक होता है तो ऐसे में ड्रॉब्रिज को उठाकर या खोलकर एक तरफ किया जाता है। जहाज का गुजर जाने के बाद ड्रॉब्रिज को वापस उसकी जगह पर रख दिया जाता है। लंदन का मशहूर ब्रिज इसी प्रकार का एक ब्रिज है, जो बीच में से खुलकर दोनों छोरों पर खड़ा हो जाता है। नए पंबन ब्रिज को हाइड्रोलिक सिस्टम के जरिए ऊपर उठाने के लिए डिजाइन किया गया है।
पंबन ब्रिज क्यों है खासनए बन रहे पंबन ब्रिज की खासियत तो आपने जान ली। यहां पहले से मौजूद पंबन ब्रिज भी खास है। मंडपम से पंबन द्वीप (रामेश्वरम) को जोड़ने वाले इस ब्रिज को बनाने की शुरुआत 1911 में हुई और 1914 में इसे परिवहन के लिए खोल दिया गया था। पुराना पंबन ब्रिज एक पारंपरिक ब्रिज है, जो कंक्रीट के पिलरों पर खड़ा है। लेकिन इसके बीच में एक डबल लीफ बेसक्यूल सेक्शन है, जिसे समुद्री जहाजों के वहां से गुजरने के लिए खुलने वाला यानी ड्रॉब्रिज बनाया गया है।
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पुराने पंबन रेलवे ब्रिज की खास बातें | |
लंबाई | 2.06 किमी |
कब खुला | फरवरी 1914 |
कब बंद हुआ | दिसंबर 2022 |
कुल पिलर | 143 |
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1964 का वो भयानक तूफानपुराने पंबन ब्रिज ने साल 1964 में आए भयंकर समुद्री तूफान का सामना किया और इसे भारी नुकसान पहुंचा था। इसी तूफान में रामेश्वरम के पास धनुषकोडी शहर बर्बाद हो गया था। इसके बाद धनुषकोडी को फिर से बसाने के लिए सुरक्षित नहीं माना गया और आज इसे घोस्ट टाउन के रूप में जाना जाता है। इस तूफान में पंबन-धनुषकोडी पैसेंजर ट्रेन समुद्र में समा गई थी और लगभग 200 यात्रियों की मौत हुई थी।
नौसैनिक जहाज की टक्कर से हुआ नुकसानसाल 2009 में ई. श्रीधरन की देखरेख में पुराने पंबन पुल को मजबूती देने का काम शुरू हुआ। साल 2013 में एक नौसैनिक जहाज से पुल को मामूली नुकसान पहुंचा, जिसके कारण इसके खंबों की मरम्मत की जरूरत महसूस की गई। इसके बाद पुल की मरम्मत के लिए रेल मंत्रालय ने बजट भी पास किया। दिसंबर 2018 से मार्च 2019 तक इस पर ट्रेनों की आवाजाही बंद रही। साल 2020 में सरकार ने 250 करोड़ की लागत से नया पंबन ब्रिज बनाने की घोषणा की। दिसंबर 2022 में पुराने पंबन ब्रिज को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।
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