85 किमी के एक्सप्रेसवे में 68 सुरंगें, 13 घंटे का समय बचेगा; जानें कहां बन रहा यह Expressway

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से लेकर दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे तक देश में एक के बाद एक एक्सप्रेसवे का जाल बिछाया जा रहा है। इससे न सिर्फ दूरियां कम हुई हैं, बल्कि समय के बचने के साथ ही ईंधन की भी बचत होती है। आज बात NHAI के एक और प्रोजेक्ट की बात जिसमें 68 टनल बनाई जा रही हैं।

Tuneel Expressway.

हिमाचल प्रदेश में हाईवे पर टनल प्रोजेक्ट्स

देश में हर तरफ एक्सप्रेसवे का जाल बिछ रहा है। देश के सबसे लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से लेकर सबसे छोटे द्वारका एक्सप्रेसवे तक हर तरफ रफ्तार को एक नया नाम और आयाम मिल रहा है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे जैसे एक्सप्रेसवे भी हैं, जिनके खुलने का आम लोग वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। इस बीच देश में एक और एक्सप्रेसवे पर काम चल रहा है। यह एक्सप्रेसवे इस मायने में खास है कि यह सिर्फ 85 किमी लंबा होगा, लेकिन इसमें कुल 68 टनल बनाई जा रही हैं। इस तरह से तो टनलों का एक्सप्रेसवे बनेगा। चलिए जानते हैं इस एक्सप्रेसवे के बारे में -

एक्सप्रेसवे का नाम

भारतमाला परियोजना के तहत देश के हर हिस्से में एक्सप्रेसवे बन रहे हैं। इससे देश कश्मीर से कन्याकुमारी तक और इम्फाल से अहमदाबाद तक एक सूत्र में बंध रहा है। तमाम बड़े-बड़े एक्सप्रेसवे के बीच में सिर्फ 85 किमी के जिस रोड प्रोजेक्ट की हम बात कर रहे हैं वह हिमाचल प्रदेश में ऑल वेदर रोड का हिस्सा है। जिसमें राज्य के पांच हाईवे पर टनल बनाकर उनकी दूरी कम की जाएगी। इसमें सबसे प्रमुख नाम 41 किमी लंबे कीरतपुर-मनाली एक्सप्रेसवे (Kiratpur-Manali Expressway) का है। इन प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने से हिमाचल में पर्यटन उद्योग को और बल मिलेगा। 85 किमी लंबे इन प्रोजेक्ट पर कुल 68 सुरंगें बनाई जा रही हैं। कुल मिलाकर इन प्रोजेक्ट्स का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ों के नीचे से ही होकर गुजरेगा।

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प्रोजेक्ट्स से क्या फायदा होगा?

किसी भी परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यही है कि उससे फायदा क्या होगा? सबसे पहला फायदा तो यह है कि इन प्रोजेक्ट्स के बन जाने के बाद दूरी 126 किमी तक कम हो जाएगी। ऐसे में आप सोच सकते हैं कि जब इन रूट्स पर हर रोज सैकड़ों-हजारों वाहन चलेंगे तो कितने ईंधन की बचत होगी। इसके अलावा सिर्फ 85 किमी के इन प्रोजेक्ट्स से करीब 13 घंटे का समय भी बचेगा। इस लिहाज से देखा जाए तो एक पूरा दिन ही बचेगा और इस समय का इस्तेमाल आप कई तरह की एक्टिविटीज में कर सकते हैं।

तेजी से चल रहा काम

खबरों के अनुसार इन प्रोजेक्ट्स का काम तेजी से चल रहा है। कुल 68 में से 11 टनल का काम भी पूरा हो चुका है और 27 अन्य टनल पर अभी काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। जबकि इन प्रोजेक्ट्स पर 30 टनल और बनाई जानी हैं।

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टूरिज्म को लगेंगे पंख

इन प्रोजेक्ट्स का काम पूरा हो जाने के बाद आप किसी भी मौसम में हिमाचल की सैर कर पाएंगे। आमतौर पर मानसून के दौरान लैंडस्लाइड की वजह से हिमाचल की सड़कें टूट जाती हैं और सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं। बरसात और सर्दियों में मनाली व शिमला सहित राज्य के कई इलाकों में आवागमन पूरी तरह से ठप पड़ जाता है। जिसकी वजह से पर्यटकों के साथ ही राज्य के दूर-दराज के इलाकों में रोजमर्रा का सामान भी नहीं पहुंच पाता।

किन इलाकों को जोड़ेंगे ये प्रोजेक्ट्स

ये प्रोजेक्ट्स हिमाचल प्रदेश के कई पर्यटन क्षेत्रों को आपस में जोड़ेंगे। इन हाईवे का नाम है पठानकोट-मंडी, कालका-शिमला, शिमला-मटौर, कीरतपुर-मनाली और पिंजौर-नालागढ़ को जोड़ेगा। 85 किमी के यह प्रोजेक्ट्स पूरी तरह से टनल के अंदर यानी अंडरग्राउंड होंगे। कीरतपुर और मनाली के बीच बनने वाले 41 किमी लंबे हाईवे के लिए ही 28 सुरंगें बनाई जाएंगी।

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पिछले साल की तबाही

बात पिछले साल के बरसात के मौसम की करें तो तबाही के मंजर आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। भारी आपदा की तस्वीरें मीडिया की सुर्खियों और प्राइम टाइम पर छायी रहीं थी। तमाम हाईवे बाढ़ में बह गए थे। भारी बारिश और बाढ़ ने पूरे राज्य में तबाही मचा दी थी। राज्य के दूरदराज के इलाकों तक तो दूर, शिमला, मनाली, कुल्लू और मंडी तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया। ऐसे में NHAI ने 85 किमी की रास्ता सुरंगों के जरिए बनाने का फैसला किया है।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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