नेशनल Highway पर नहीं परेशान करेगी गर्मी, NHAI खास तकनीक से लगाएगी पेड़
जब भी आप शहर से बाहर जाते हैं तो दूर-दूर तक एक काली पट्टी बिछी हुई दिखती है, यानी सड़क के अलावा आसपास की चीजों पर ध्यान कम ही जाता है। NHAI ने राष्ट्रीय राजमार्गों के पास एक खास तकनीक से पेड़ लगाने की घोषणा की है। इस तकनीक से पेड़ तेजी से विकसित होंगे और बड़ा फायदा भी होगा।

हाईवे के आसपास पेड़ लगाएगा NHAI
उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में पिछले कुछ दिनों से प्रचंड गर्मी (Heatwave) का प्रकोप जारी है। सूरज से आग बरस रही है और कहीं भी कोई राहत नहीं मिल रही। विशेषतौर पर समस्या राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) पर होती है, जहां दूर-दूर तक कहीं कोई पेड़ नजर नहीं आता। लेकिन अब NHAI ने घोषणा की है कि वह दिल्ली-NCR में नेशनल हाईवे के किनारे अलग-अलग इलाकों में कुल 53 एकड़ क्षेत्र में पेड़ लगाएगा। बड़ी बात ये है कि पेड़ लगाने का यह कार्य मियावाकी तकनीक (Miyawaki plantations) से होगा।
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांस्पोर्ट एंड हाईवे ने एक बयान ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों को एक ग्रीन कवर देने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके लिए NHAI मियावाकी प्लांटेशन तकनीक का इस्तेमाल करेगी और राष्ट्रीय राजमार्गों पर कई जगह हरे-भरे पेड़ उगाएगा।
आखिर क्या है मियावाकी टेक्निक?
मियावाकी प्लांटेशन तकनीक से जिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर हरे-भरे पेड़ उगाए जाने हैं उनमें कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण हाईवे शामिल हैं। इसमें द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) पर हरियाणा में 4.7 एकड़ जमीन शामिल है। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) के दिल्ली-वडोदरा हिस्से में सोहना के पास 4.1 एकड़ जमीन पर भी हरियाली का प्रबंध किया जाएगा। हरियाणा में अंबाला कोटपुतली कॉरिडोर में NH 152डी पर छबरी और खरखरा इंटरजेंट पर भी 5-5 एकड़ क्षेत्र में मियावाकी तकनीक से पेड़ लगाए जाएंगे।
यहां भी लगेंगे पेड़NH-709बी पर शामली बायपास के करीब 12 एकड़ जमीन, गाजियाबाद के बाद ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर दुहाई इंटरचेंज के पास 9.2 एकड़ में हरियाली की जाएगी। उत्तर प्रदेश में NH-34 के मेरठ-निजामाबाद हिस्से पर भी 5.6 एकड़ में पेड़ लगाए जाएंगे।
राष्ट्रीय राजमार्गों के करीब इस तकनीक से एक हरित पट्टी बनाने की तैयारियां पहले ही शुरू की जा चुकी हैं। आने वाले बरसात के मौसम में इन सभी जगहों पर पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। इस कार्य को अगस्त 2024 के अंत तक पूरा कर लिए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
मियावाकी तकनीक ही क्यों?मियावाकी प्लांटेशन यानी मियावाकी तकनीक एक युनीक जापानी तकनीक है, जिसके जरिए इकोलॉजिकल रिस्टोरेशन किया जाता है और जंगल उगाए जाते हैं। इस तकनीक का मकसद कम समय में ही घना, क्षेत्रीय और बायोडायवर्स जंगल उगाना होता है। यह जंगल जमीन के अंदर पानी का लेवल बनाए रखते हैं और ग्राउंड वाटर टेबल को रिचार्ज करने में मदद करते हैं। इस तकनीक के जरिए पेड़ 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और घने पेड़ साउंड व डस्ट बेरियर के तौर पर काम करते हैं, यानी उन्हें रोकते हैं।
मियावकी प्लांटेशन तकनीक की सफलता के लिए स्थानीय प्रजाति के पौधों को लगाने पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। इस तरह से यह पेड़ स्थानीय वातावरण और मिट्टी में आसानी से जीवित रह पाएंगे। इस तकनीक से उगे पौधे इकोसिस्टम को और बेहतर बनाने के साथ ही पर्यावरण और स्थानीय समुदाय के लिए कई तरह से फायदेमंद होंगे।
बेहतर होगा कार्बन एब्जॉर्ब्शनइसके अपने लॉन्ग टर्म बेनिफिट भी होंगे। जिसमें हवा और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार भी शामिल है। यह बायोडायवर्सिटी के कंजर्वेशन में मददगार होने के साथ ही ग्रीन कवर के तेजी से विकास, बेहतर कार्बन एब्जॉर्ब्शन, हैबिटेड बनाने के साथ ही स्थानीय पौधों और जीवों को भी बढ़ावा मिलेगा।
NHAI की चह पहल सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक ही नहीं थमेगी, बल्कि देशभर में इस तकनीक से राष्ट्रीय राममार्गों के करीब जंगल उगाए जाएंगे। इस तरह से पेड़ उगने से न सिर्फ लोगों की सेहत में सुधार होगा, बल्कि इससे इन नेशनल हाईवे से गुजरने वाले लोगों को भी अच्छा महसूस होगा और आसपास के लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर होगा।
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