नोएडा, ग्रेटर नोएडा के बिल्डर रजिस्ट्री के समाधान को तैयार नहीं; आज होगा अहम फैसला

हजारों-लाखों को फ्लैट नहीं मिला, जिन्हें फ्लैट मिल गए उनमें से भी ज्यादातर की रजिस्ट्री नहीं हुई। ये कहानी है आधुनिकता के नाम पर बसाए गए नोएडा और ग्रेटर नोएडा की। बिल्डर मनमानी कर रहे हैं, लेकिन अथॉरिटी उन पर नकेल नहीं कस पा रही। आखिर आज एक बड़ा फैसला होने की उम्मीद है।

Action on Builders in Greater Noida West.

बिल्डरों पर कार्रवाई की तैयारी

नोए़डा-ग्रेटर नोएडा (Noida-Greater Noida) में बसने के लिए सरकार और बिल्डरों ने लोगों को कैसे-कैसे सपने दिखाए थे। हाई-राइज सोसाइटी में सपनों का घर, लिफ्ट, स्वीमिंग पूल, साफ-सफाई, 24 घंटे बिजली, बच्चों के खिलेने के लिए पार्क, 24x7 सुरक्षा और न जाने क्या-क्या वादे किए गए थे। इनमें से ज्यादातर वादे तो हवा-हवाई ही साबित हुए। कुछ लोग तो 10-12 साल से अपना फ्लैट मिलने का इंतजार ही कर रहे हैं। जिन लोगों को फ्लैट मिल भी गए हैं, उनमें से भी बहुत से लोगों की अभी तक रजिस्ट्री नहीं (No Registry) हुई है। रजिस्ट्री के सपने के पीछे बाकी सभी सपने लोग भूल चुके हैं, लेकिन बिल्डर और अथॉरिटी रजिस्ट्री भी नहीं करवा पा रहे हैं। इसके लिए भी लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ा। इसके बावजूद रजिस्ट्री नहीं हुई। आज अब बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई होने की बात तो रोज कही जा रही है, लेकिन जिन लोगों को फ्लैट नहीं मिला है उन्हें कब मिलेगा? जिन लोगों की रजिस्ट्री नहीं हुई है उनकी कब होगी, होगी भी या नहीं? इस पर जवाब देने वाला कोई नहीं है।

आज होगी बैठक

बिल्डरों ने घर खरीददारों को तो परेशान किया ही, उन्हें तो धोखा दिया ही, साथ ही अथॉरिटी का बकाया भी नहीं चुकाया। प्राधिकरण अब अपना बकाया नहीं चुकाने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। बता दे कि प्राधिकरण का बकाया नहीं चुकाए जाने की वजह से ही खर खरीददारों के फ्लैटों की रजिस्ट्री अटकी हुई है। इस मामले में आज यानी गुरुवार 16 मई को औद्योगिक विकास आयुक्त और नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज सिंह नोएडा आ रहे हैं।

बिल्डरों का प्लॉट अलॉटमेंट होगा रद्दआज होने वाले समीक्षा बैठक में अपना बकाया नहीं चुकाने वाले बिल्डरों के खिलाफ कोई बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। इस बैठक में बकाया नहीं चुकाने वाले बिल्डरों का भूखंड आवंटन (Plot Allotment) निरस्त करने के साथ ही उनकी अन्य संपत्तियां (Property) अटैच करने की कार्रवाई पर भी फैसला हो सकता है।

अमिताभकांत समिति की सिफारिशें

अमिताभकांत समिति की सिफारिशों को दिसंबर 2023 में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। इस पर शासनादेश भी जारी किया गया, जिसके अनुसार बिल्डरों को 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2022 तक जीरो पीरियड का लाभ दिया गया था। इस शासनादेश के बाद नोएडा प्राधिकरण के वित्त विभाग ने बिल्डरों पर बकाए की गणना सुरू कर दी ती। फरवरी में गणना का कार्य पूरा भी कर लिया गया। इसके बाद सभी 57 परियोजनाओं के बिल्डरों को बकाए से जुड़ी चिट्ठी भेजना भी शुरू कर दिया।

बिल्डरों ने नहीं जमा करायी बकाया राशि

अथॉरिटी के अधिकारियों के अनुसार 12 फरवरी 2024 तक सभी बिल्डरों को उनके बकाए के बारे में जानकारी दे दी गई थी। शासनादेश के अनुसार अथॉरिटी की तरफ से बकाए की जानकारी मिलने के 60 दिन के भीतर बिल्डरों को अपने कुल बकाए में से 25 फीसद राशि जमा करनी थी। 60 दिन की यह मियाद 12 अप्रैल को समाप्त हो चुकी है। लेकिन इस स्कीम का फायदा उठाने में ज्यादातर बिल्डरों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। सिर्फ 20 बिल्डरों ने ही कुल बकाए में से 25 फीसद राशि जमा करवाई।
दैनिक हिंदुस्तान अखबार के मुताबिक 20 बिल्डरों ने अब तक कुल 170 करोड़, 77 लाख रुपये जमा करवाए हैं। भविष्य में इन बिल्डरों से प्राधिकरण को 450 करोड़ रुपये और मिलेंगे। अब तक जिन बिल्डरों ने पैसे जमा करवाए हैं, उनमें से 530 फ्लैटों की रजिस्ट्री हो चुकी है और 1500 फ्लैटों की रजिस्ट्री अभी होना बाकी है।

वादा करके मुकर गए बिल्डर

अमिताभकांत समिति की सिफारिशों के आधार पर लाई गई स्कीम को 13 बिल्डरों ने सहमति नहीं दी है। यही नहीं 24 बिल्डर ऐसे भी हैं, जिन्होंने पैकेज को सहमति तो दी, लेकिन पैसे जमा नहीं करवाए। ऐसे में आज यानी 16 मई को होने वाली बैठक काफी अहम है। इस बैठक में बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। अब देखना होगा कि घर खरीददारों को धोखा देने और जिस अथॉरिटी से जमीन मिली उसकी बात भी नहीं सुनने वाले बिल्डरों के खिलाफ अथॉरिटी क्या निर्णय लेती है। साथ ही यह भी देखना होगा कि अथॉरिटी घर खरीददारों के फ्लैटों की रजिस्ट्री पर कोई फैसला ले पाती है या नहीं।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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