पांच साल में 4 गुना बढ़े ई-रिक्शा, परिमट जरूरी नहीं, लाइसेंस बनाते नहीं; मुसीबत में लोगों की जान
नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और दादरी क्षेत्र में यानी गौतमबुद्ध नगर जिले में पिछले चार साल में ई-रिक्शा की संख्या चार गुना बढ़ चुकी है। परमिट की आवश्यकता तो ई-रिक्शा के लिए है नहीं, कई ड्राइवरों के पास तो जरूरी लाइसेंस तक नहीं होता है। इनकी वजह से सड़कों पर अराजकता फैलती है।
ई-रिक्शा बने मुसीबत
नोएडा : छोटी दूरी तय करने में ई-रिक्शा बड़े मददगार साबित होते हैं। इनसे छोटी दूरी को आसानी से तय किया जा सकता है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट होने के नाते लोगों को अपनी गाड़ी निकालने की आवश्यकता भी नहीं होती है। लेकिन नोएडा में ई-रिक्शा मौत के सौदागर बनकर घूम रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर जिले की सड़कों पर ई-रिक्शा की तेजी से बढ़ती संख्या लोगों के लिए सिरदर्द बन गई है। छोटे-छोटे बच्चे भी ई-रिक्शा चलाते हुए देखे जाते हैं। सवारी ढोने के लिए बने ई-रिक्शा पर सामान ढोते और कई बार तो खतरनाक तरीके से सरिया आदि ढोते हुए देखा जाता है।
तेजी से बढ़ रही है संख्यापरिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दैनिक हिदुस्तान में खबर छापी गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों में गौतमबुद्ध नगर जिले में यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, दादरी और जेवर इलाके में ई-रिक्शा की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हुई है। यह संख्या तेजी से बढ़ती चली जा रही है। एक ओर ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ रही है और दूसरी ओर ई-रिक्शा चालक ट्रैफिक नियमों का धड़ल्ले से उल्लंघन करते हैं, जिससे लोगों को सड़क पर जाम के साथ ही अन्य कई मुसीबतों से गुजरना पड़ता है।
कितने ई-रिक्शापरिवहन विभाग के अनुसार जिले में साल 2019 में सिर्फ 1946 ई-रिक्शा ही रजिस्टर्ड थे। जबकि, 2024 में अब तक 3100 ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हो चुके हैं। 2019 से अब तक हर साल रजिस्टर्ड हुए ई-रिक्शा सड़क पर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। इसके अलावा लोगों की शिकायतें रहती हैं कि बिना रजिस्ट्रेशन के भी ई-रिक्शा चल रहे हैं। यहां टेबल में देखें कि साल-दर-साल कितने ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हुए।
साल | ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हुए |
2019 | 1703 |
2020 | 811 |
2021 | 1149 |
2022 | 4084 |
2023 | 7825 |
2024 | 3100 |
सिर्फ रजिस्टर्ड ई-रिक्शा उतर रहे सड़कों परARTO प्रशासन डॉ. सियाराम वर्मा के अनुसार कुछ वर्ष पहले तक बड़ी संख्या में बिना रजिस्ट्रेशन के चलने वाले ई-रिक्शा की एक बड़ी संख्या थी। उनका कहना है कि अब रजिस्टर्ड ई-रिक्शा ही सड़कों पर उतर रहे हैं, ऐसा प्रवर्तन टीम की सख्ती के कारण संभव हुआ है। उन्होंने बताया कि अवैध तरीके से ई-रिक्शा बेचने वाले केंद्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।
बिना लाइसेंस चला रहे ई-रिक्शाहालांकि, ई-रिक्शा चालकों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस जरूरी है, लेकिन बहुत से ड्राइवर बिना लाइसेंस के ही धड़ल्ले से जिले की सड़कों पर ई-रिक्शा दौड़ा रहे हैं। परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस की टीम समय-समय पर जांच अभियान चलाती है और इस दौरान कई ड्राइवरों के पास लाइसेंस नहीं मिलता है। बिना लाइसेंस के ई-रिक्शा चलाने वाले ड्राइवरों का चालान किया जाता है, लेकिन लोगों को बिना लाइसेंस चलने वाले ई-रिक्शा के आतंक से मुक्ति नहीं मिल रही।
ई-रिक्शा के जमावड़े से लग रहा जामजिले में मेट्रो स्टेशनों और प्रमुख चौराहों पर अक्सर ई-रिक्शा का जमावड़ा देखने को मिलता है, विशेषतौर पर सुबह और शाम के समय। इसकी वजह से जाम लगता है और वहां से गुजरने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सवारी बिठाने की होड़ में ई-रिक्शा चालक ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं और जहां-तहां अचानक ब्रेक लगाकर सवारी बिठाने लगते हैं। इससे एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।
चालान की कार्रवाईARTO प्रवर्तन डॉ. उदित नारायण पांड़े का कहना है कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाले ई-रिक्शा के खिलाफ चालान की कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा कई बार ई-रिक्शा को जब्त भी कर लिया जाता है। हालांकि, इसका असर ई-रिक्शा चालकों पर दिख नहीं रहा है और लोगों को छुट्टी के दिन भी जाम से जूझना पड़ रहा है।
ई-रिक्शा के लिए परमिट जरूरी नहींलोगों की दिक्कतों की सबसे बड़ी वजह ये है कि ई-रिक्शा के लिए परमिट जरूरी नहीं है, क्योंकि यह बैटरी से चलते हैं। यही कारण है कि बैटरी रिक्शा किसी भी रूट पर चल पड़ते हैं। परिवहन विभाग की ओर से रूट तय नहीं होने की वजह से पुलिसकर्मी भी इन ई-रिक्शा को रोक नहीं पाते हैं। बता दें कि ई-रिक्शा और इलेक्ट्रिक ऑटो दोनों के लिए ही रूट परमिट की किसी तरह की पाबंदी नहीं है।
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खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्...और देखें
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