ग्रेटर नोएडा वेस्ट को उस भगीरथ का इंतजार, जिसके प्रयास से एक्सटेंशन मेट्रो पर हो सवार
नोएडा एक्सटेंशन को नोएडा एक टेंशन रूप में परिभाषित करने लगे हैं यहां के लोग। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां न तो मेट्रो आ रही है, न सिटी बस की सेवा मिल रही है। यहां तक कि क्षेत्र में श्मशान तक नहीं है। डिग्री कॉलेज, गंगा जल, सरकारी अस्पताल और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स भी चाहिए।
नोएडा एक्सटेंशन की समस्याएं
एक सपनों का शहर... इस शहर में आने वालों का एक सपना वो फिल्मी गाने 'एक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा...' जैसा नहीं था। बल्कि एक छोटा सा फ्लैट और उस फ्लैट से दफ्तर आने-जाने के लिए मेट्रो, बस जैसे सार्वजनिक वाहन का था। बिल्डर बड़े चालाक निकले... उन्होंने भी बंगले का सपना नहीं बेचा... बल्कि मेट्रो का ही सपना बेचा। आज 14 साल हो गए... कुछ बिल्डरों के तो प्रोजेक्ट ही अब तक लटके पड़े हैं, लेकिन जिन बिल्डरों ने फ्लैट हैंडओवर भी कर दिए, वहां रहने वाले ठगा सा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि नोएडा एक्सटेंशन (Greater Noida West) नाम से जिस आधुनिक सपनों के नगर को बसाया गया, वहां आज भी लोग मेट्रो के लिए हर रविवार सड़क पर खड़े होकर प्रदर्शन करते हैं। हां, रविवार को ही प्रदर्शन कर सकते हैं बेचारे... क्योंकि बाकी के छ: दिन तो रोजी-रोटी कमाने में बीत जाते हैं।
मेट्रो ठहरी रही, समय दौड़ गया
2012, 2017 और 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए यहां मतदान हो चुका है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां के लोगों ने दिल खोलकर मतदान किया। हर बार इसी उम्मीद में लोग मतदान केंद्रों तक गए कि इस बार मेट्रो और सिटी बस की सर्विस मिल जाएगी। लेकिन हर बार लोगों का यह इंतजार उन्हें अगले चुनाव में मतदान तक ले जाता। एक तरफ बिल्डर मेट्रो का सपना दिखाकर लगातार फ्लैटों के दाम बढ़ाते रहे और दूसरी तरफ जन-प्रतिनिधि भी जनता से मेट्रो के वादे करते रहे। लेकिन, इलाके के लोगों को न तो सिटी बस की सौगात मिली, न ही मेट्रो। यहां तक कि मेट्रो सेक्टर 51/52 में जहां खड़ी थी, वहां से एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई।मिन्नतों से मिला एक फुटओवर ब्रिज
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले लाखों लोग रोज सिर्फ शेयर्ड ऑटो के भरोसे हैं। जिन लोगों के पास गाड़ियां हैं, वह न चाहते हुए भी कार निकालने को मजबूर हैं। यही मजबूरी रोज सुबह और शाम को पर्थला ब्रिज से लेकर चारमूर्ति और इटैहरा गोलचक्कर तक जाम के रूप में नजर आती है। इस क्षेत्र के लोगों को सरकार और जन प्रतिनिधियों ने भगवान भरोसे छोड़ रखा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि सेक्टर 122 के पास एक फुटओवर ब्रिज है, इसके बाद पूरा नोएडा एक्सटेंशन पार करने पर भी कोई फुटओवर ब्रिज नहीं मिलता। बड़ी मिन्नतों के बाद हाल में एक फुटओवर ब्रिज जरूर एक मूर्ति चौराहे पर बना है। जबकि एक आंकड़े के अनुसार नोएडा एक्सटेंशन में करीब 10 लाख लोगों को बसाया जा रहा है और यहां अभी करीब 5 लाख लोग रह रहे हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए यहां की भीड़ भरी सड़कों को पार करना जान हथेली पर रखकर चलने जैसा है। जब स्थानीय लोग मेट्रो और फुटओवर ब्रिज के लिए आंदोलन करते हैं तो कुछ जन-प्रतिनिधि इसे कुछ लोगों का धंधा कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।नोएडा एक्सटेंशन को भगीरथ का इंतजार
जिस तरह से राजा भगीरथ स्वर्ग से गंगा को धरती पर लाए थे, उसी तरह का एक भगीरथ ग्रेटर नोएडा वेस्ट को भी चाहिए, जो नोएडा सेक्टर 51/52 से मेट्रो को आगे बढ़ा सके। हाल में मेट्रो के पुराने रूट को भी बदल दिया गया, लेकिन काम आज भी चालू नहीं हो पाया है। अब चुनाव नजदीक हैं, तो एक बार फिर स्थानीय लोगों ने कमर कस ली है। हर बार की तरह स्थानीय लोग इस बार भी अपने प्रतिनिधियों और उम्मीदवारों से मेट्रो का वादा ले लेना चाहते हैं। स्थानीय लोगों के लिए फिलहाल मेट्रो यहां का सबसे बड़ा मुद्दा है। मेट्रो ही है, जो नोएडा एक्सटेंशन के लोगों को जाम से मुक्ति दिला सकता है, मंजिल तक जल्दी पहुंचा सकती है, ऑटो रिक्शा वालों की मनमानी से बचा सकती है।कई फुटओवर ब्रिज चाहिए
यहां फुटओवर ब्रिज, आवारा कुत्तों का आतंक, जाम, सीजीएचएस डिस्पेंशरी, सरकारी अस्पताल और स्कूल तो मुद्दे हैं ही, लेकिन सबसे बड़ा और ज्वलंत मुद्दा मेट्रो ही है। इन मुद्दों पर Timesnowhindi.com ने स्थानीय लोगों से बात की। स्थानीय निवासी संजीव सक्सेना कहते हैं अगर यहां मेट्रो होती तो जाम की समस्या नहीं होती। उन्होंने सीटी बस का मुद्दा भी उठाया। उनका कहना है - जाम की समस्या अब बढ़ती ही जा रही है। सुबह और शाम के समय कुछ किमी का सफर तय करने में घंटों लग जाते हैं। उन्होंने अतिक्रमण के मुद्दे पर जोर डालते हुए कहा कि तमाम बिल्डरों ने हर सर्विस लेन को घेर रखा है। कम क्षेत्रफल और घनी आबादी के कारण यहां हर चौराहे पर अंडरपास या फुट ओवर ब्रिज बनाए जाने की मांग भी वह करते हैं।एक श्मशान तक नहीं
एक अन्य स्थानीय निवासी दीपांकर कुमार ने जाम का मुद्दा उठाया, उन्होंने कहा - यहां पर लोगों की किसी भी परेशानी का हल ही नहीं किया गया। जाम की स्थिति ऐसी है कि अगर किसी को अस्पताल जाना हो तो जाम में फंसने के कारण घंटों बर्बाद हो जाते हैं। उन्होंने एक बहुत ही अहम मुद्दे की तरफ ध्यान दिलाया और कहा कि यहां पर एक श्मशान तक नहीं है। इसके अलावा उन्होंने यहां कोई भी अच्छा सरकारी स्कूल और केंद्रीय विद्यालय न होने की बात भी कही। दीपांकर तो यहां तक कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियों ने हम मिडिल क्लास को बंधुआ वोटर समझ लिया है, वे कुछ करें, भले न करें... वोट तो मिल ही जाएंगे। वह नोएटा एक्सटेंशन को नोएडा एक टेंशन के रूप में परिभाषित करते हैं।डिग्री कॉलेज होना चाहिए
मनीष कुमार सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और स्थानीय निवासी भी। उनका मानना है कि क्षेत्र में सरकारें बस सेवा, मेट्रो और अन्य मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने में विफल रही हैं। उनका कहना है कि फ्लैट बायर की समस्या बहुत बड़ी है, आज भी हजारों लोगों को फ्लैट नहीं मिले हैं और जिनको फ्लैट मिल भी गए हैं, वह वर्षों से रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे हैं। चुनावी मौसम में जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने क्षेत्र में एक भी रामलीला मैदान न होने, स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स न होने और यहां तक की सेक्टरों में अथॉरिटी का पार्क तक न होने के मुद्दे गिनाए। उन्होंने कहा क्षेत्र में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है, लोग सरकारी स्कूल के आभाव में जैसे-तैसे प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन कोई डिग्री कॉलेज तो यहां होना ही चाहिए। उनके अनुसार क्षेत्र में गंगा जल की सप्लाई न होना भी एक मुद्दा है। पूरे नोएडा एक्सटेंशन में अथॉरिटी जमीन से पानी पंप करके लोगों को पिला रही है। देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | नोएडा (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
Digpal Singh author
खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें
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