शुद्ध हवा के बीच होगा सफर, जेवर एयरपोर्ट होगा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा; बसाया जा रहा जंगल
Noida International Airport : जेवर एयरपोर्ट के आसपास और परिसर में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के साथ पर्यावरण (Environment) का भी ख्याल रखा गया है। यहां शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिहाज से ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे (Greenfield Airport) के तौर पर पेड़ लगाकर पर्यावरण को बढ़ावा देने की दिशा में काम चल रहा है।



जेवर एयरपोर्ट ग्रीनफील्ड परिसर
Noida International Airport : नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (जेवर एयरपोर्ट) के संचालन से पहले आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की दिशा में कार्य तेजी से चल रहा है। एयरपोर्ट से आसपास के शहरों के साथ कनेक्टिविटी को बेहतर किया जा रहा है। साथ ही एयरपोर्ट के आसपास और परिसर में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के साथ पर्यावरण का भी ख्याल रखा गया है। नोएडा एयरपोर्ट के सीईओ क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने बताया कि शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिहाज से इसे ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के तौर पर विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट निर्माण से पहले पर्यावरण के सकारात्मक प्रभाव के लिए कुछ मानदंड रखे थे, जिसके आधार पर हमने एयरपोर्ट निर्माण की योजना और डिजाइन टीमों का चयन किया गया।
580 पेड़ों का प्रत्यारोपण
सीईओ ने बताया कि शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन सुविधा होने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, जेवर स्थित नोएडा हवाई अड्डे के आसपास आठ एकड़ का जंगल, 133 हेक्टेयर समर्पित हरित क्षेत्र होगा। इसके कुछ स्थानों पर पहले से शुद्ध हवा के लिए पीपल और बरगद सहित 580 पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया है। जैसा कि नोएडा एयरपोर्ट को 5,000 हेक्टेयर भूमि पर चार चरणों में विकसित किया जा रहा है। इसका पहला चरण 1300 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
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सीईओ क्रिस्टोफ श्नेलमैन के मुताबिक, आठ एकड़ भूमि के वन अभ्यारण्य में स्थानीय प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए हवाई अड्डे की भूमि के भीतर एक विशिष्ट क्षेत्र चुना गया है। उन्होंने बताया कि हवाई अड्डे के आसपास पौधों की प्रजातियों को संरक्षित की दिशा में 580 पेड़ों को प्रत्यारोपित किया गया है।
इन पेड़ों का प्रत्यारोपण
यहां पर नीम आम, शीशम, जंड, लसोरा, पीपल, बरगद और कुछ अन्य प्रजातियों को पहले ही प्रत्यारोपित किया जा रहा है। इसमें प्रत्यारोपण प्रक्रिया प्रूनिंग, रूट बॉल तैयार करना, पेड़ शिफ्टिंग और रोपण के वैज्ञानिक सिद्धांतो पर की जा रही है, जिससे जैव विविधिता का किसी प्रकार तनिक भी नुकसान न हो। रोपाई प्रक्रिया में जैविक खाद का उपयोग देखा जा रहा है। नोएडा हवाई अड्डा कई हरित पहलों का गवाह बन रहा है। इन पहलों में नवीनीकरण ऊर्जा, वर्षा जल संचन, एक ऑनसाइट अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा, एक सीवेज उपचार संयंत्र और इलेक्ट्रिक ग्राउंड सपोर्ट उपकरण का उपयोग होगा।
इसके अलावा सीईओ ने बताया कि हमारे ईपीसी (इंजीनियरिंग खरीद और निर्माण) ठेकेदार ने नैनोजेंस कैटलिस्ट के ब्रेकथ्रू तकनीक का भी लाभ उठाया जाएगा जो एक पेटेंट एक्टिवेटर है जो सीमेंट सामाग्री की बाध्यकारी क्षमता को बढ़ाता है। इस आधार पर यह भारत का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा होगा।
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