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जेवर एयरपोर्ट पर Equipments की टेस्टिंग पूरी, पहली उड़ान के लिए तैयार हो रहा हवाईअड्डा

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर नेविगेशन और रडार सिस्टम की जांच पूरी कर ली गई है। इसके बाद अब जल्द ही पहली उड़ान भरी जाएगी, जिसकी तैयारी चल रही है। ये जांच भी इसी तैयारी की एक हिस्सा थी।

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फाइल फोटो।

नोएडा के जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जल्द ही पहली उड़ान भरती हुई नजर आएगी। नोएडा एयरपोर्ट ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। एयरपोर्ट पर स्थापित किए गए नेविगेशन और रडार सिस्टम की चार दिन तक चली गहन जांच पूरी हो गई है। भारतीय विमानन पत्तन प्राधिकरण के विमान ने कई बार उड़ान भरकर इन उपकरणों का परीक्षण किया है। इस परीक्षण में इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) और प्रिसिजन अप्रोच पाथ इंडिकेटर (पीएपीआई) जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों की जांच की गई। ये उपकरण खराब मौसम में भी विमानों को सुरक्षित रूप से उतरने में मदद करेंगे।

ILS का जांच पूरी

बता दें कि नोएडा एयरपोर्ट पर स्थापित किए गए इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) की हाल ही में सफलतापूर्वक जांच की गई है। यह सिस्टम खराब मौसम या कम दृश्यता की स्थिति में विमानों को सुरक्षित रूप से उतरने में मदद करता है। 10 से 14 अक्टूबर के बीच एयरक्राफ्ट बीच किंग एयर 360 ईआर विमान से आईएलएस सिस्टम की जांच की गई। इस जांच से यह सुनिश्चित हुआ है कि सिस्टम सही ढंग से काम कर रहा है और विमानों को सुरक्षित उतरने में सक्षम बनाएगा।

उड़ानों की शुरुआत के लिए क्या-क्या जरूरी है?
  • लाइसेंस: एयरपोर्ट से उड़ानें शुरू करने के लिए कई तरह के लाइसेंस लेने होते हैं।
  • समय सीमा: ये लाइसेंस 90 दिन के भीतर प्राप्त करने होते हैं। अगर ये लाइसेंस समय पर नहीं मिलते हैं तो उड़ानों की शुरुआत में 6 महीने तक की देरी हो सकती है।
  • डीजीसीए की अनुमति: 25 नवंबर तक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से फ्लाइट ट्रायल के लिए अनुमति लेनी होगी।

आईएलएस क्या है?

आईएलएस एक विशेष प्रकार का रेडियो नेविगेशन सिस्टम है, जो पायलट को विमान को रनवे की ओर ले जाने और सुरक्षित लैंडिंग करने में मदद करता है। इसमें मुख्यतः दो हिस्से होते हैं - लोकलाइजर और ग्लाइड पाथ एंटीना। ये एंटीना विमान को रनवे के केंद्र और सही उतरने के कोण के बारे में सटीक जानकारी देते हैं।

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