Noida News: बिल्डर-बायर पॉलिसी को योगी सरकार की मंजूरी, जल्द 50 हजार फ्लैट खरीदारों के हाथ आएगी रजिस्ट्री
नोएडा में 50 हजार प्लैटों की रजिस्ट्री अब शुरू होने के अवसर बढ़ गए हैं। राज्य सरकार ने बिल्डर-बायर मामले में आईएएस अमिताभ कांत कमेटी की पॉलिसी को मंजूरी दे दी है।
नोएडा फ्लैट रजिस्टी मामला
नोएडा: आईएएस अमिताभ कांत कमेटी की पॉलिसी का गवर्नमेंट ऑर्डर गुरुवार को प्रदेश सरकार ने जारी कर दिया। इसके तहत बिल्डर-बायर मसले पर कैबिनेट में मंजूरी मिलते ही रजिस्ट्री का मसला हल हो जाएगा। इसमें पॉलिसी को लेकर मंजूर किए गए प्रावधान स्पष्ट हो गए हैं, जिसके आधार पर माना जा रहा है कि इसके लागू होने से रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे खरीदारों को राहत मिलेगी। हालांकि, केवल उन्हीं फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री के रास्ते निकलने के आसार हैं, जिनके बिल्डर पर अथॉरिटी का बहुत ज्यादा बकाया नहीं है। ऐसे बायर्स की संख्या 50 हजार के करीब है। बड़े बकाएदार बिल्डर के प्रोजेक्टों में रजिस्ट्री शुरू होने के आसार अभी भी बेहद कम हैं। वहीं, बिल्डरों को छूट देने के जो प्रावधान किए गए हैं, उनसे बिल्डरों का फंड का क्राइसिस थोड़ा कम होगा और फंसे हुए प्रॉजेक्टों में काम शुरू करने की बिल्डर हिम्मत जुटा सकेंगे। कुल मिलाकर खरीदारों के साथ फ्लैट ऑनर को भी राहत मिलेगी।
प्राधिकरण देगा रजिस्ट्री की अनुमति
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमिताभ कांत समिति ने जो सिफारिश की थी, उसके तहत फ्लैट खरीदार रजिस्ट्री कराने के लिए अपना बकाया सीधे बिल्डर को न देकर प्राधिकरण को दे सकते हैं। अब अगर किसी खरीदार ने बिल्डर को करीब 80-90 फीसदी रकम चुका दी है और बाकी रकम रोक रखी है तो ऐसे में खरीदार बची रकम सीधे प्राधिकरण को देकर रजिस्ट्री की अनुमति पा सकते हैं। अगर खरीदार पूरी रकम अदा कर चुका है तो प्राधिकरण उसकी रजिस्ट्री की अनुमति तुरंत देगा।
50 हजार प्लैटों की रजिस्ट्री अटकी
एनबीटी की खबर के अनुसार, अब बिल्डर पर कुल बकाया राशि का 25 प्रतिशत अथॉरिटी को देने के बाद फ्लैटों की रुकी हुई रजिस्ट्री शुरू हो सकेगी। हालांकि, यह प्रावधान तीनों अथॉरिटी में पहले से लागू है, लेकिन पहले बिल्डरों को ब्याज में छूट और तीन साल का निशुल्क एक्टेंशन नहीं मिल रहा था। यही कारण था कि बिल्डरों को 25 फीसदी रकम जमा करने में बड़ी समस्या आ रही थी। अब कम फंसे हुए प्रोजेक्टों वाले बिल्डर इसे आसानी से चुका सकेंगे। उन्हें करोड़ों की छूट का फायदा मिलेगा, लेकिन 700 करोड़ से अधिक बकाया वाले बिल्डरों के लिए यह अभी भी काफी मुश्किल है। सूत्रों के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा है कि जिले में रजिस्ट्री शुरू होने का करीब डेढ़ लाख खरीदार इंतजार कर रहे हैं। इन में करीब 50 हजार प्लैटों की रजिस्ट्री अब शुरू होने के अवसर बढ़ गए हैं।
बिल्डरों को टाइम एक्सटेंशन
इस आदेश के तहत यदि बिल्डर किसी प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पा रहा है तो उसके लिए को-डिवेलपर लाने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। इसके अलाव प्रोजेक्ट सरेंडर करने की प्रक्रिया भी काफी आसान तैयार की गई है। उसे पूरे करने के दूसरे रास्ते आसानी से अब निकाले जा सकते हैं। अब बिल्ड़रों का डायरेक्ट छूट का सबसे बड़ा प्रावधान तीन साल का निशुल्क टाइम एक्सटेंशन दिए जाने का किया गया है। पहले टाइम एक्सटेंशन लेने के लिए अथॉरिटी को करोड़ों देना पड़ रहा था। 2020 से 2022 तक का जीरो पीरियड का लाभ बिल्डरों को टारगेट के अनुसार फ्लैट तैयार करने की शर्त के साथ दिया गया। इसके अलावा एनजीटी के आदेश के समय का जीरो पीरियड का लाभ भी बिल्डर प्रॉजेक्ट कंडीशन के आधार पर ले सकेंगे।
बिल्डरों को राहत
अमिताभ कांत रिपोर्ट की सिफारिश मंजूर होने पर अब अतिरिक्त एफएआर की प्रक्रिया भी बिल्डरों के लिए थोड़ा आसान हो गई है, जिससे बिल्डर अतिरिक्त फ्लैट प्रोजेक्ट बना सकेंगे और उन्हें बेचकर अधूरे फ्लैटों को पूरा कर सकेंगे। इससे फंड का क्राइसिस थोड़ा कंट्रोल होगा। बिल्डर पर 100 करोड़ का बकाया राशि एक साल में देने, 500 करोड़ का बकाया राशि दो साल में देने और 500 करोड़ से अधिक की बकाया राशि उससे ज्यादा वर्षों में देने का प्रावधान किया गया है।
बिन रजिस्ट्री के फ्लैट मिले
दरअसल, बड़ी संख्या में बायर वर्षों से अपने घर में रह रहे हैं, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। इनमें से कम फंसे हुए प्रोजेक्टों के बायर्स रजिस्ट्री कराने के लिए पैसा आदि का इंतजाम करने की तैयारी कर सकते हैं, क्योंकि कम फंसे हुए प्रोजेक्टों में अब रजिस्ट्री शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। एनबीटी के अनुसार, जिन बायर्स के प्रोजेक्ट कोर्ट के अधीन हैं, जिनमें कि आम्रपाली, जेपी, यूनिटेक आदि पर यह पॉलिसी लागू नहीं होगी और न ही स्पोर्ट्स सिटी के प्रॉजेक्टों में फंसे बायर्स को इस पॉलिसी का कोई लाभ मिलेगा।
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