दिवालिया होने की कगार पर नोएडा की ये 5 परियोजना, अब IRP के पास दावा दायर कर सकेंगे अलॉटी
नोएडा की पांच आवासीय परियोजना में घर खरीदने वाला आवंटियों को यूपी रेरा ने अंतरिम समाधान पेशेवरों के पास अपना दावा दायर करने के लिए कहा है। ये उन लोगों के लिए है को कॉरपोरेट दिवाला से गुजर रहे हैं। बता दें कि नोएडा की 5 परियोजनाएं दिवालियेपन की कगार पर है। इस स्थिति को देखते हुए दावा दायर करने को कहा जा रहा है।
यूपी रेरा
नोएडा की पांच आवासीय परियोजनाओं में घर खरीदने वाले लोग, जिन्हें कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजना पड़ रहा हैं उन्हें अब परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। यूपी रेरा अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने कहा कि यह लोग अंतरिम समाधान पेशेवरों (Interim Resolution Professional) के पास अपना दावा दायर कर सकते हैं। बता दें कि इस दौरान यूपी रेरा ने अधिनियम धारा 7 और 3 का उल्लंघन करने वाले डेवलपर्स पर करोड़ों का जुर्माना लगाया है। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताएं -
दिवालियेपन की कगार पर ये 5 परियोजना
बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने कुछ डेवलपर्स को दिवालियापन की कार्रवाई शुरू करने की अनुमति दी थी। इसमें सुपरटेक रियलटर्स प्राइवेट लिमिटेड के सुपरनोवा (फेस 1, 2, 3 और 4) और सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, गोल्फ कंट्री (फेस 1, 2, 3 और 4), ले गार्डन (टावर ए, बी और सी), रुद्र बिल्डवेल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का KBNWUS अपार्टमेंट, गायत्री हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड का गायत्री ऑरा सहित पांच डेवलपर शामिल हैं।
गाजियाबाद की 3 परियोजनाओं समेत 72 का रजिस्ट्रेशन रद्द
इस मामले पर रेरा के चेयरमैन ने कहा कि "किसी प्रोजेक्ट के खिलाफ सीआईआरपी शुरू होने के बाद, यूपी रेरा ऐसे प्रोजेक्ट के सभी आवंटियों को आईआरपी के पास अपने दावे दाखिल करने के लिए सूचित करता है। ताकि किसी भी देरी या दावे दाखिल न करने के कारण उन्हें नुकसान न उठाना पड़े।" इस स्थिति में इन परियोजनाओं में घर खरीदने वाले लोगों को अपना दावा दायर करने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि इस नियम के अनुसार, जब कोई सीआईआरपी में अपना प्रोजेक्ट शामिल करता है तो कोई अदालत या न्यायाधिकरण देनदार कंपनी के खिलाफ शिकायत या मामला नहीं उठा सकते हैं। रेरा अधिनियम की धारा 7 के तहत उल्लंघन के विभिन्न आधारों को देखते हुए यूपी में शुरू होने वाले 72 परियोजनाओं के पंजीकरण को रद्द किया गया है। इसमें तीन परियोजनाएं गाजियाबाद जिले की भी हैं।
क्या कहती है धारा 7
जानकारी के लिए बता दें कि अधिनियम धारा 7 के कहा गया है कि यदि कोई परियोजना नियमों या विनियमों की आवश्यकता को पूरा करने में असफल रहती है या फिर अनुमोदन की शर्तों या नियमों का उल्लंघन करती है तो इस स्थिति में यूपी रेरा द्वारा उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।
यूपी रेरा ने लगाया डेवलपर्स पर करोड़ों का जुर्माना
TOI की खबर के अनुसार, आदेशों का पालन न करने वाले 115 डेवलपर्स के खिलाफ यूपी रेरा ने 37.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। भ्रामक विज्ञापन देने वाले 120 डेवलपर्स पर 9 करोड़ रुपये का जुर्माना, 1048 परियोजनाओं के संबंध में हर तीन महीने में दाखिल होने वाली प्रगति यानी प्रोग्रेस रिपोर्ट न दर्ज कर पाने की स्थिति में 18 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा यूपी रेरा अधिनियम की धारा 3 का उल्लंघन करने वाले 225 प्रमोटरों पर 10 करोड़ रुपये करीब का जुर्माना लगाया गया है। रेरा के एक अधिकारी ने बताया कि जीबी नगर से करीब 60 प्रतिशत मामले ई-कोर्ट में दर्ज किए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि उन्होंने सुलह मंच के माध्यम से करीब 1500 मामलों में आवंटियों की 600 करोड़ रुपये की संपत्तियों का का निपटान सुनिश्चित किया है।
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वर्षा कुशवाहा टाइम्स नाऊ नवभारत में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रही हैं। नवबंर 2023 से Timesnowhindi.c...और देखें
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