Gemstone के लिए जाना जाता है कालाहांडी, जानें इंद्रावन से कैसे Kalahandi नाम पड़ा

ओडिशा का कालाहाड़ी का इतिहास के बारे में जानें तो पता चलता है कि इसे पहले इंद्रानव और अटाभी भूमि के नाम से भी जाना जाता था। इसके साथ ही इस जगह के एक बुरा दौर भी देखा है। वहीं यह कीमती रत्न-पत्थर और हीरे के लिए भी जाना जाता है-

ओडिशा, कालाहांडी

ओडिशा का कालाहांडी आज धान उत्पादन में अपनी अलग पहचान बना चुका है। यह एक ऐसी जगह थी, जहां के लोग पहले भुखमरी से दम तोड़ देते थे। माएं अपने बच्चों को रोटी के लिए बेचने को मजबूर होती थी। यहां को लोग पहले जगंल के बेड़ों की पत्तियों को उबालकर खाते थे। यह बात है 80 के दशक की, जब लोग रोटी को भी मोहताज थे। लेकिन, आज ये शहर अपनी मेहनत और सरकारी की मदद से अपनी तकदीर और अपने इलाके की तस्वीर दोनों ही बदल चुका है। भारत के सबसे गरीब-पिछड़े इलाकों में गिना जाने वाला ‘कालाहांडी’ आज अपने साथ-साथ अपने आस-पास के राज्यों की भूख मिटाता है। यहां आज धान के अलाव कपास और प्याज की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। आपको बता दें कि कालाहांडी का क्षैत्रफ 8,197 km² है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 121.09 करोड़ है। यहां कुल गावों की संख्या 2243 हैं। आइए आज कालाहांडी के बारे में जरूरी बतें जानते हैं।

कैसे पड़ा कालाहांडी नाम ?

कहा जाता है कि पहले कालाहांडी क्षेत्र इंद्रावन के रूप में जाना जाता था, जहां से शाही मौर्य खजाने के लिए कीमती रत्न-पत्थर और हीरे एकत्र किए गए थे। काली मिट्टी के कारण ओडिशा का कालाहांडी कपास की खेती के लिए भी जाना जाता है। यहां के किसान आधुनिक तौर तरीकों का इस्तेमाल कर कृषि के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। कालाहांडी के ज्यादातर किसान खेती पर निर्भर हैं और यहीं उनकी कमाई का जरिया है।

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