राम नाम पर गरमाई राजनीति, पक्ष-विपक्ष में छिड़ी जंग, रामलला प्राण प्रतिष्ठा दिवस का फैसला वापस लेने की मांग

राजस्थान शिक्षा विभाग ने 22 जनवरी को "प्रभु श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा दिवस" का फैसला किया है। इसे सरकारी कैलेंडर में शामिल किया जाएगा। विपक्ष शिक्षा विभाग के इस फैसले को सांप्रदायिक बताते हुए वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

रामलला प्राण प्रतिष्ठा दिवस

राजस्थान के सरकारी स्कूलों में 22 जनवरी को "प्रभु श्री राम लला प्राण प्रतिष्ठा दिवस" के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाएगा। 22 जनवरी 2024 में अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। उसे ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने अपने सरकारी कैलेंडर में इस दिन को शामिल करने का फैसला लिया है। राजस्थान शिक्षा विभाग के इस फैसले के बाद से पक्ष-विपक्ष आमने सामने आ गए हैं। विपक्ष के साथ कुछ सामाजिक संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के इस फैसले के बाद से राजनीति गरमाई हुई है।

सरकारी कैलेंडर में शामिल हुआ प्रभु श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा दिवस

राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा 22 जनवरी को प्रभु श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा दिवस के रूप में सरकारी कैलेंडर में शामिल करने के बाद से विपक्ष इसे साम्प्रदायिक करार करते हुए विरोध पर उतर आया है। कांग्रेस का कहना है बीजेपी राम के नाम पर वोटों की भीख मांगती है। कांग्रेस का कहना है की 22 जनवरी बीजेपी की पेटेंट तारीख नहीं बल्कि वोट बटोरने की तारीख है। इतना ही नहीं विपक्षी दलों ने सरकार पर सांप्रायित्का फैलाने का गंभीर आरोप भी लगाया है। वहीं एक सामाजिक संगठन ने इस फैसला को समाज जहर घोलने वाला फैसला बताते हुए कहा कि 22 जनवरी न ही कोई हिंदू त्योहार है न ही कोई परंपरा।

पक्ष-विपक्ष में छड़ी जंग

राजस्थान शिक्षा विभाग के इस फैसले को सांप्रदायिक करार देते हुए कांग्रेस सड़को पर उतरने को तैयार है। इस पर बीजेपी ने भी कांग्रेस पर पलटवार करना शुरू कर दिया है। बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि कांग्रेस को सिर्फ राम, रामसेतु, हिंदू और सनातन से आपत्ति है। कांग्रेस हिंदुओं को हिंसक कहती है। उन्होंने आगे कहा कि राम हमारे आदर्श हैं और उनका उत्सव मनाना चाहिए। वार-पलटवार में कांग्रेस के विधायक मनीष यादव का कहना है बीजेपी अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए इस तरह के काम करती है।
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