Padma Shri Awards 2024: खुद व्हील चेयर पर लेकिन दिन-रात कर रहे असहायों की सेवा, कौन हैं हरियाणा के गुरुविंदर सिंह जिन्हें मिलेगा पद्म श्री

Gantantra Diwas Padam Shri Awards Vijeta 2024: साल 2024 के पद्मश्री विजेताओं में हरियाणा के सिरसा निवासी दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह को इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा। उनके सामाजिक कार्यों में अटूट समर्पण और योगदान से प्रभावित होकर उन्हें पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान किया गया है।

Padma Shri Award Winners Gurvinder Singh

सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह

Padma Shri Award Winners on Gantantra Diwas 2024: 75 वें गणतंत्र दिवस (Republic Day 2023) की पूर्व संध्या पर पद्मश्री अवार्ड की घोषणा (Padma shree Awards Announces) कर दी गई। 26 जनवरी से ठीक एक दिन पहले कुल 132 पद्म पुरस्कारों की लिस्ट सामने आई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की 110 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार देने का ऐलान हुआ, जिसमें हरियाणा के सिरसा निवासी दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह (Gurvinder Singh) का भी पद्मश्री पुरस्कार विजेता में नाम शामिल है। अब उन्हें दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी।

निराश्रितों की सेवा का फल

मीडिया रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, गुरविंदर सिंह बेघरों, निराश्रितों, महिलाओं, अनाथों और दिव्यांगजनों की भलाई का कार्य लंबे समय से करते आ रहे हैं। उन्होंने बाल गोपाल धाम नामक बाल देखभाल संस्थान की स्थापना की। इस संस्था के जरिए 300 बच्चों के सपनों को संजोया है। सामाजिक कार्यों में अटूट समर्पण और योगदान से प्रभावित होकर सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने का ऐलान किया है।

ट्रक एक्सीडेंट से लकवाग्रस्त हैं गुरविंदर सिंह

गुरविंदर सिंह चलने में असमर्थ हैं। दरअसल, ट्रक एक्सीडेंट के बाद उनके कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है। इसके बाद से ही वह व्हीलचेयर पर हैं। इस हादसे के बाद उन्होंने अपना जीवन दूसरों की भलाई में लगा दिया। अमर उजाला की खबर के मुताबिक, गुरविंदर सिंह 6,000 से अधिक दुर्घटना पीड़ितों और गर्भवती महिलाओं को मुफ्त एंबुलेंस की सेवा भी प्रदान कर चुके हैं।

19 साल से मानवता की सेवा

गुरविंदर सिंह हिसार रोड स्थित भाई कन्हैया आश्रम (Kanhaiya Ashram) के संचालक हैं। 19 साल से मानवता की भलाई का कार्य करते हुए उन्होंने 700 से ज्यादा बेसहारा लोगों की मदद की है। 500 से ज्यादा लोगों को अपने परिवारों से मिलवा चुके हैं। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए स्कूल का भी संचालन कर रहे हैं, जहां विधवा, आर्थिक कमजोर बच्चों और तलाकशुदा महिलाओं के बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती।

1954 में पुरस्कारों की शुरुआत

जानकारी के लिए बताते चलें कि साल 1954 में भारत सरकार ने दो सर्वोच्च नागरिकों की शुरुआत की थी, जिन्हें भारत रत्न और पद्म विभूषण कहा गया। पद्म विभूषण को तीन भागों में बांटा गया- पहला वर्ग, दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग। लेकिन, 8 जनवरी 1955 को एक राष्ट्रपति (President) अधिसूचना जारी करके इनका नाम पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री रख दिया गया।

ये हस्तियां होती हैं अवार्ड की हकदार

इस पुरस्कार के हकदार नस्ल, लिंग, हैसियत, व्यवसाय के आधार पर नहीं चुने जाते, बल्कि किसी भी खास गतिविधि या किसी क्षेत्र में अद्भुत या विशिष्ट उपलब्धि या योगदान देने के आधार पर चयनित होते हैं। इनमें से कुछ खास क्षेत्र हैं, जैसे-कला, सामाजिक कार्य, पब्लिक अफेयर, विज्ञान और प्रोद्योगिकी यानी साइंस एंड इंजीनियरिंग। इसके अलावा व्यापर, उद्योग या ट्रेड एंड इंडस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य और शिक्षा, सिविल सेवा, स्पोर्ट्स और अन्य क्षेत्रों में बेहतर करने वाले विजेता चुने जाते हैं। हालांकि, PSUS में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी, (डॉक्टर और वैज्ञानिकों को छोड़कर) इन पुरस्कारों के पात्र नहीं हैं।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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