पांचवां केदार : यहां शिव शंकर की जटाओं की होती है पूजा, पहुंचना भी बहुत आसान

इन दिनों लोग चार धाम यात्रा पर जा रहे हैं। अमरनाथ यात्रा भी शुरू हो गई है और भोले के भक्त हर-हर महादेव के जयकारों के साथ वहां दर्शनों के लिए जा रहे हैं। लेकिन पंच केदारों में से एक कल्पेश्वर केदार भी है, जहां जाकर आप भगवान शिव का आशीर्वाद ले सकते हैं। यहां पहुंचना भी बहुत आसान है, पूरी गाइड यहां है -

Kalpeshwar temple uttrakhand.

पांचवां केदार है कल्पेश्वर

Panchkedar: पंचकेदार के दर्शन की अभिलाषा के साथ हमारी 'भोले की खोज में' जारी है। आज हम पंचकेदारों में से सबसे अंतिम कल्पेश्वर मंदिर (Kalpeshwar Temple) की यात्रा करेंगे। इससे पहले हम तुंगनाथ (Tungnath), रुद्रनाथ (Rudranath) और मधमहेश्वर (Madhmaheshwar) के दर्शन कर चुके हैं। तुंगनाथ की यात्रा जहां बहुत ही आसान थी, वहीं रुद्रनाथ और मधमहेश्वर का ट्रैक भोले के भक्तों की अच्छी परीक्षा लेता है। अब पांचवे केदार कल्पनाथ की यात्रा पर निकल रहे हैं तो हर-हर महादेव के नारे के साथ सफर की शुरुआत करें। बता दें कि पांचों केदारों में कल्पेश्वर ही अकेला ऐसा केदार है, जो मंदिर बारहों महीने खुला रहता है-

कहां है कल्पेश्वर मंदिरकल्पनाथ (Kalpnath) का कल्पेश्वर मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में समुद्रतल से 7217 फीस की ऊंचाई पर मौजूद है। यह मंदिर कल्पगंगा नदी (Kalpganga River) के किनारे उर्गम घाटी (Urgam Valley) में उर्गम गांव के पास मौजूद है। जोशीमठ (Joshimath) के पास हेलंग (Helang) से कल्पेश्वर जाते समय रास्ते में आपको अलकनंदा (Alaknanda) और कल्पगंगा का संगम भी दिखेगा। कप्लगंगा नदी घने जंगलों के बीच से उर्गम घाटी में बहती है। इस घाटी में सेब के बगीचे भी हैं। यहां पर आलू की खेती भी अच्छी मात्रा में होती है।
कल्पनाथ के दर्शनों के लिए जा रहे हैं तो यहां आपको बहुत ही खूबसूरत नजारे भी दिखेंगे। यहां घने पहाड़ी जंगलों के साथ ही मखमली खास के मैदान यानी बुग्याल आपके कदम थामने को तैयार हैं। पहाड़ों के छोटे-छोटे गांव और उन गावों से उठता धुआं आपको अलग ही दुनिया में ले जाएगा। कल्पनाथ का मंदिर भी बहुत ही साधारण लेकिन अद्भुत है। मंदिर में भगवान शिव के बालों की पूजा होती है। यहां स्वयंभू शिवलिंग आपके अंदर ऊर्जा का संचार करते हैं। मंदिर के अंदर का शांत माहौल आपको ध्यान लगाने और शिव की भक्ति में लीन कर देता है।

कैसे जाएं कल्पनाथ

कल्पनाथ जाने के लिए आपको सड़क मार्ग और ट्रैक दोनों का ही सहारा लेना पड़ेगा। सबसे पहले चमोली जिले के जोशीमठ पहुंचें। यहां के लिए दिल्ली और उत्तराखंड के बड़े शहरों से बसें आसानी से मिल जाती हैं। जोशीमठ से आपको करीब पौने घंटे की बस यात्रा करके 22 किमी दूर हेलंग गांव पहुंचना होगा। आप यहां से ट्रैक कर सकते हैं। बता दें कि हेलंग से सागर गांव तक 58 किमी लंबी सड़क भी है। जीप में सवार होकर आप इस रोड से उर्गम गांव पहुंच सकते हैं। उर्गम गांव से छोटा सा ट्रैक करके कल्पनाथ मंदिर में कल्पेश्वर के दर्शन कर सकते हैं।
कल्पनाथ मंदिर के कपाट सुबह 6 बजे खुलते हैं और इसी समय सुबह की आरती भी होती है। शाम की आरती के बाद 7 बजे मंदिर के कपाट रातभर के लिए बंद हो जाते हैं। कल्पनाथ मंदिर के कपाट बारहों महीने खुले रहते हैं, लेकिन यहां जाने का सबसे अच्छा समय मई से अक्तूबर के बीच है। गर्मियों में यहां का मौसम सुहावना बना रहता है, जबकि मानसून के बाद साफ आसमान और हरियाली मन मोह लेते हैं। बेहतर होगा कि सर्दियों में यहां न जाएं, क्योंकि सर्दियों में यहां काफी बर्फ गिरती है।

कल्पनाथ मंदिर के आसपास

कल्पेश्वर मंदिर के आसपास अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता है। यहां कई अन्य धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं। चलिए जानते हैं यहां आप और कहां-कहां जा सकते हैं -
  • उर्गम घाटी - अपनी अद्भुत खूबसूरती के लिए जानी जाती है उर्गम घाटी। यहां की हरियाली और खूबसूरती प्रकृति प्रेमियों के मन में बस जाती है।
  • ध्यान बद्री मंदिर - यह मंदिर पंच बद्री सर्किट का हिस्सा है। पंच केदार के बाद हम पंच बद्री के दर्शनों के लिए भी जाएंगे। ध्यान बद्री, भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां आकर आप विष्णु का आशीर्वाद ले सकते हैं।
  • जोशीमठ - कल्पनाथ के पास सबसे नजदीकी शहर जोशीमठ ही है। जोशीमठ मशहूर धार्मिक स्थल है और बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी के लिए गेटवे की तरह है। यहां से हिमालय का भी शानदार नजारा होता है। यहां पर नरसिंह का मंदिर है, जो विष्णु के अवतार भगवान नरसिम्हा को समर्पित है।
  • औली - मशहूर हिल स्टेशन ऑली भी कल्पेश्वर से सिर्फ 50 किमी की दूरी पर मौजूद है। औली को सर्दियों में स्कीईंग के लिए काफी ख्याति मिली है।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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