Best Places to Visit patna: इस मंदिर में पूजा कर, पटना समेत पूरे बिहार के लोग करते हैं नए साल की शुरुआत
Best Places to Visit patna in 2023: नए साल पर लोग घूमने और पार्टी करने के अलावा मंदिरों में भी पूजा करते हैं। नए साल पर पटना स्थित इस मंदिर में पूरे बिहार से लोग माथा टेकने आते हैं। यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। इस मंदिर से लोगों की इतनी गहरी आस्था जुड़ी है कि लोग एक दिन पहले ही पटना पहुंच जाते हैं, ताकि दर्शन करने का मौका मिल सके।
पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर से लोगों की जुड़ी है गहरी आस्था
- मंदिर के गर्भगृह में हैं भगवान हनुमान की मूर्तियां
- रामसेतु का 15 किलो का पत्थर है, यह पानी में तैरता रहता है
- मंदिर में भगवान हनुमान की हैं दो तरह की मूर्तियां
यह मंदिर पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर है। इस मंदिर की काफी मान्यता है। यहां पूजा-अर्चना करने से श्रद्धालु की हर मनोकामना पूरी होती है। भक्तों की आस्था का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि यहां हर दिर एक लाख रुपए से अधिक दान चढ़ता है। नए साल पर यहां हजारों श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं। रामनवमी पर यह संख्या और बढ़ जाती है।
मंदिर की विशेषता
मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्तियां हैं। मंदिर में भगवान हनुमान के अलावा कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। मंदिर में रामसेतु का पत्थर रखा हुआ है। पत्थर 15 किलो का है, जो पानी में तैरता रहता है। सबसे अहम बात भगवान हनुमान की मूर्ति है। हनुमान की एक साथ युग्म मूर्तियां हैं। माना जाता है कि एक मूर्ति परित्राणाय साधूनाम यानी अच्छे लोगों के काम पूरा करने वाली है। दूसरी मूर्ति विनाशाय च दुष्कृताम्बु यानी बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है।
हर दिन 25 हजार नैवेद्यम बिकते हैं
मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां लड्डू और नैवेद्यम भगवान हनुमान को चढ़ाया जाता है। हर दिन श्रद्धालुओं द्वारा करीब 25 हजार नैवेद्यम चढ़ाए जाते हैं। नैवेद्यम बिक्री से आने वाले पैसों से महावीर कैंसर संस्थान में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का इलाज होता है।
देश में दूसरा मंदिर जहां उमड़ती है रामनवमी पर सबसे अधिक भीड़
रामनवमी पर देश में सबसे अधिक भीड़ अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी में उमड़ती है। इसके बाद पटना के इस महावीर मंदिर में सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं। इस दिन पूजा-अर्चना के लिए अयोध्या से एक दर्जन पुजारियों को बुलाया जाता है। इसके अलावा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई तरह प्रबंध किए जाते हैं।
1730 में हुई थी मंदिर की स्थापना
स्वामी बालानंद ने सन् 1730 में इस मंदिर की स्थापना की थी। यह मंदिर साल 1900 तक रामानंद संप्रदाय के अधीन था। फिर गोसाईं संन्यासियों का 1948 तक मंदिर पर अधिकार रहा। पटना हाईकोर्ट ने 1948 में सार्वजनिक मंदिर घोषित किया गया। इसके बाद 1983 से 1985 के बीच आचार्य किशोर कुणाल के प्रयास से मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। उसके बाद से यह मंदिर सबके लिए खुला है।
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