मर कर भी चमक बिखेर गया बिहार का चमकलाल, दो की जिंदगी रोशन की; कुल 6 को दी नई जिंदगी

बिहार के मूल निवासी चमकलाल सूरत में क्रेन ऑपरेटर का कार्य करते थे। डॉक्टरों द्वारा ब्रेन डेड घोषित करने के बाद चमकलाल के परिवार ने उनके ऑर्गन डोनेट करने का फैसला लिया, जिससे एक दो लोगों की नहीं बल्कि 6 गुजरातियों की जान बचाई गई है। अंगदान करने से चमकलाल मरकर भी अमर हो गए हैं और लोगों के लिए एक बड़ी मिसाल बन गए हैं।

Patna News

मर कर भी चमक बिखेर गया बिहार का चमकलाल

कहा जाता है कि किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा और नेक काम कुछ नहीं होता है। लेकिन मरकर कई लोगों को जिंदगी देने वाले के लिए क्या कहा जाए। अब आप सोच रहे होंगे की मरकर कोई किसी को कैसे बचा सकता है। लेकिन यह सच है, बिहार के भागलपुर के रहने वाले चमकलाल ने मौत के बाद एक या दो नहीं 6 लोगों की जिंदगी बचाई है। चमकलाल ने मौत के बाद अंगदान कर गुजरात के 6 लोगों को नई जिंदगी दी है। आइए आज आपको मरकर भी लोगों में अमर होने वाले और अंगदान के लिए लोगों को प्रेरित करने वाले चमकलाल के बारे में विस्तार से बताएं-

अंगदान करने वाले चमकलाल ने दी 6 लोगों को नई जिंदगी

42 वर्षीय चमकलाल बिहार के भागलपुर के शिवनारायणपुर थाना क्षेत्र के बभनगामा स्थित कलगीगंज गांव के निवासी थे, जो गुजरात के सूरत में एक क्रेन ऑपरेटर के तौर पर कार्य करते थे। बताया जा रहा है कि एक हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया। ब्रेन डेड होने की खबर मिलते ही पूरे परिवार में मातम पसर गया। लेकिन बड़ी हिम्मत करते हुए उनके परिवार ने चमकलाल की किडनी, लीवर, हार्ट और आंखें दान करने का बड़ा फैसला लिया। बता दें कि सूरत से अहमदाबाद ग्रीन कॉरिडोर का प्रयोग करते हुए 2 घंटे में सभी अंगों को जरूरतमंद लोगों के पास पहुंचाया गया। बताया जा रहा है कि चमकलाल के ब्रेन डेड होने की जानकारी मिलते ही अंगदान संस्था ‘डोनेट लाइफ’ ने उनके परिजनों से संपर्क किया और परिवार ने देहदान की सहमति दी। इसके बाद उनका दिल, लीवर, दोनों किडनी और आंखें जरूरतमंद मरीजों को दान की गईं।

मृतक के तीन बेटों की पढ़ाई का खर्च उठाएगा संस्थान

अंगदान संस्था ने मृतक चमकलाल के शव को हवाई मार्ग से उनके गांव भिजवाया। इतना ही नहीं उनके तीन बेटों की पढ़ाई का खर्च उठाने का वादा भी किया। अंगदान पर मृतक की पत्नी ललिता देवी ने गर्व जताया और कहा कि उनके पति ने अपनी जान देकर छह जिंदगी बचा ली। इस घटना के बाद प्रशासन और श्रम संसाधन विभाग ने भी मामले को संज्ञान में लिया है। प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इस घटना के बाद चमकलाल का नाम अब अंगदान करने वाले उन गिने-चुने लोगों में जुड़ गया है, जिन्होंने अपनी जिंदगी खोकर दूसरों की जिंदगी बचाई है। आज चमकलाल और उनका परिवार बिहार से गुजरात तक मानवता की एक अनूठी मिसाल बन गया।

एक अंगदाता बचा सकता है 8 लोगों की जान

अंगदान के महत्व को लेकर देश में कई अभियान चलाए गए हैं और समय-समय पर चलाए जाते हैं। लेकिन आज भी बहुत से लोग इसे लेकर जागरूक नहीं है। क्या आप जानते हैं अंगदान करने से एक व्यक्ति कितने लोगों की जान बचा सकता है। बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि एक अंगदाता (Organ Donor) 8 लोगों का जान बचा सकता है और 75 से अधिक लोगों का जीवन बेहतर बना सकता है। लेकिन फिर भी कई लोग अंगदान करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहे हैं। वहीं अंगदान के महत्व को समझते हुए बिहार के मजदूर ने मरकर भी 6 लोगों की जान बचाई है। वह केवल अपने परिवार या राज्य के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गया है।

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varsha kushwaha author

वर्षा कुशवाहा टाइम्स नाऊ नवभारत में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रही हैं। नवबंर 2023 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। वह इंफ्रा, डे...और देखें

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