बिहार में ऑटो से स्कूल जाने की छूट, फिलहाल प्रशासन ने फैसले पर लगाई रोक

पिछले दिनों बिहार राज्य में तिपहिया वाहनों से स्कूली बच्चों को लाने ले जाने पर पाबंदी लगाई गई। 1 अप्रैल से यह फैसला लागू भी हुआ लेकिन अब प्रशासन ने इसपर अपना रुख कुछ नरम किया है। फिलहाल एक सप्ताह तक बच्चे ऑटो और ई-रिक्शा से स्कूल जा सकेंगे। इन दिनों में स्कूली बच्चों को ले जाने पर ऑटो और ई-रिक्शा चालकों पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।

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ऑटो से स्कूल जाने पर रोक अस्थाई रूप से हटी

प्रदेश में तिपहिया वाहनों से होते हादसों की बढ़ती तादाद को देखते हुए सरकार एक फैसला लिया था। प्रशासन ने ऑटो और ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने पर रोक लगा दी थी। नियम के मुताबिक अगर किसी किसी को स्कूली बच्चों को ऑटो से ले जाते हुए पकड़ा गया, तो उस पर कार्रवाई करने का प्रावधान रखा गया। 1 अप्रैल से यह नियम राज्य भर में लागू भी हो गया लेकिन अब प्रशासन ने इस फैसले को लेकर अपना रवैया कुछ नरम किया है। ऑटो चालकों को एक हफ्ते की मोहलत मिली है, 9 अप्रैल से यह नियम फिर लागू हो जाएगा।

एक हफ्ते की मिली मोहलत

सरकार ने स्कूलों बच्चों को ऑटो और ई रिक्शा से ढोने पर लगी रोक अस्थाई रूप हटाने का फैसला किया है। फिलहाल 9 अप्रैल तक बच्चों को ऑटो और ई रिक्शा से स्कूल ले जाया जा सकेगा। इन दिनों में ऑटो चालक पर किसी प्रकार का कोई जुर्माना नहीं लगेगा। यह फैसला मंगलवार को ऑटो और ई-रिक्शा संगठनों के प्रतिनिधियों और पटना जिलाधिकारी बीच हुई बैठक में लिया गया।

मीटिंग में लिया गया फैसला

यातायात पुलिस अधीक्षक अपराजित लोहान और जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर ने ऑटो और ई-रिक्शा संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। मंगलवार को हुई इस मीटिंग में प्रशासन के सामने ऑटो यूनियन ने अपनी 7 सूत्रीय मांगे रखी, जिसमें स्कूल में ऑटो और ई-रिक्शा के परिचालन को लेकर लिए गए फैसले को वापस लेने की अपील थी। साथ ही वाहन के कागजात ठीक करने के लिए समय मांगा गया है कलर कोडिंग लागू करने के पहले चार्जिंग की व्यवस्था करने सहित कई मांगें की गई हैं।

इसके अलावा, ऑटो चालकों ने प्रशासन के सामने अपनी आर्थिक परेशानियां बताईं। उनका कहना है कि शहर में ई-रिक्शा और ऑटो की संख्या अधिक होने की वजह से सवारी मिलना कठिन होता है। बच्चों को स्कूल लाने ले जाने से एक निश्चित आय तय होती थी, जिससे वाहन की मासिक किस्त और मरम्मत का खर्च निकल जाता था। कुछ चालकों ने यह भी बताया कि उन्होंने अभिभावकों से एडवांस पैसे लिए थे, जिसे वे पहले ही खर्च कर चुके हैं। अब यदि वे बच्चों को स्कूल नहीं ले जाएंगे तो अभिभावक अपनी रकम वापस मांगेंगे जिसे लौटाना उनके लिए संभव नहीं है। इन दलीलों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने तिपहिया वाहन चालकों को एक हफ्ते की मोहलत दी है।

फिर लागू होगा नियम

मीटिंग में इस बात की हिदायत दी गई है कि वाहन चालक और मालिक एक सप्ताह के भीतर स्कूली बच्चों को ढोना बंद कर दें। यदि वे नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ मोटर वाहन अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई होगी। इसमें भारी जुर्माने के साथ-साथ वाहन जब्त किए जाने का भी प्रावधान है। इस फैसले से स्कूल प्रशासन भी अछूते नहीं हैं। जिन स्कूलों में तिपहिया वाहनों से बच्चों को लाने-छोड़ने की व्यवस्था होगी, उनपर भी कार्रवाई की जाएगी।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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