मोतिहारी में जहरीली शराब पीने से दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत।
Bihar Hooch tragedy : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिशों एवं कार्रवाई के दावों के बावजूद बिहार में जहरीली शराब का 'खेल' धड़ल्ले से चल रहा है। यह जहरीली शराब लोगों की जिंदगियां लील रही है। राज्य में बीते 7 सालों से शराबबंदी लागू है और इस दौरान जहरीली शराब पीने से 199 लोगों की मौत हुई है। मौतों का यह आधिकारिक आंकड़ा है। शराब पीने से हुईं संदिग्ध मौतों को भी यदि इसमें जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा 269 तक चला जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि शराब के खिलाफ कानून तो 2016 में बन गया लेकिन शराब पीने से होने वाली मौत मामले में आज तक एक भी व्यक्ति को सजा नहीं हुई है।
निचली अदालत ने दोषी ठहराया, हाई कोर्ट ने छोड़ा
'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के गोपालगंज जहरीली शराब कांड में निचली अदालत ने 13 लोगों को दोषी ठहराया था। इन दोषियों को पटना हाई कोर्ट ने बीते साल 'पर्याप्त सबतों के अभाव' में छोड़ दिया। बिहार पुलिस नने 2016 से 2023 के बीच राज्य में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों पर एक आंतरिक रिपोर्ट तैयार की। हालांकि इस रिपोर्ट में पूर्वी चंपारण में जहरीली शराब से हुई मौत के आंकड़े को शामिल नहीं किया गया। यहां जहरीली शराब पीने से 26 लोगों की जान गई।
सबसे ज्यादा 2022 में 114 मौत
यह पहली बार है जब बिहार पुलिस ने बीते सात वर्षों में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों पर एक सूची तैयार की है। इसमें जहरीली शराब के सभी 30 मामलों को शामिल किया गया है। सूची से पता चलता है कि जहरीली शराब पीने से सबसे ज्यादा 114 मौत बीते साल 2022 में हुई। सबसे कम 64 मौत 2021 में हुई। सूची में दिसंबर 2022 में 42 मौत की पुष्टि की गई है। सूची में '72' मौतों को संदिग्ध बताया गया है। हालांकि, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सारण पर अपनी जांच रिपोर्ट में कुल मौत की संख्या 72 बताया है। आयोग ने जहरीली शराब से होने वाली मौत का आंकड़ा कम बताने पर राज्य सरकार की खिंचाई भी की।
जहरीली शराब कांड के 30 मामलों की जांच में पुलिस का कहना है कि 29 केस ऐसे थे जिनमें जांच तार्किक अंत तक नहीं पहुंची। जबकि 22 मामलों में 40 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए गए।
मोतिहारी में जहरीली शराब पीने से 29 की मौत
बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में संदिग्ध जहरीली शराब पीने से जान गंवाने वालों की संख्या सोमवार को बढकर 29 हो गई। इस मामले में पांच थानाध्यक्षों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। पुलिस अधीक्षक कांतेश कुमार मिश्रा ने बताया घटना के बाद संबंधित थानों के पांच थानाध्यक्षों को कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतने को लेकर निलंबित कर दिया गया है’। तुरकौलिया, हरसिद्धि, सुगौली, रघुनाथपुर और पहाड़पुर के थानाध्यक्षों को निलंबित किया गया है।
बात से पलटे नीतीश, अब देंगे 4 लाख रु. का मुआवजा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साल 2016 से ही राज्य में शराबबंदी को सख्ती से लागू करने के उपाय करते रहे हैं लेकिन कभी भी यह शराबबंदी पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई। राज्य में शराब की बिक्री और खपत पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगने के बावजूद हर साल जहरीली शराब से मौतें होती रही हैं। यूपी से सटे इलाकों में शराब माफिया सक्रिय हैं। सीएम ने कुछ समय पहले विधानसभा में कहा था कि वह जहरीली शराब कांड के पीड़ितों को मुआवजा नहीं देंगे लेकिन मोतिहारी घटना के बाद वह अपनी बात से पलटते नजर आए। सीएम ने कहा कि पीड़ित परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।