Bihar Teachers Recruitment: अधिवास नियम समाप्त करने के विरोध में प्रदर्शन
Bihar Teacher Recruitment: बिहार शिक्षक भर्ती में दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की अनुमति देने के सरकार के फैसला का बिहार में जोरदार विरोध हो रहा है। इस परीक्षा में शामिल होने वाले बिहार के अभ्यर्थियों ने पटना में इसका विरोध प्रदर्शन किया। बिहार पुलिस ने शनिवार को केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) के अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज किया। क्योंकि वे अधिवास नियम (Domicile Rule) समाप्त होने को लेकर पटना में राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी भर्ती में अधिवास नीति (Domicile policy ) लागू करने की मांग कर रहे हैं। मध्य पटना स्थित डाक बंगला चौराहे पर युवाओं और युवतियों ने जमकर प्रदर्शन किया, जिसकी वजह से यातायात बाधित हुआ। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बलप्रयोग किया और हंगामा कर रहे कुछ अभ्यर्थियों को हिरासत में भी लिया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस की कार्रवाई सरकार की उदासीनता को दर्शाती है। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि उन्होंने केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) और बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा (बीटेट) जैसी परीक्षाएं पास की हैं। एक अभ्यार्थी ने कहा कि क्या इन लोगों को शर्म नहीं आती? हम पढ़े-लिखे लोग हैं और अपनी जायज मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। फिर भी ये बल प्रयोग कर रहे हैं और हमें गिरफ्तार कर रहे हैं जैसे कि हम अपराधी हैं।
पुलिस ने अभ्यर्थियों पर की कार्रवाई
डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर कोतवाली नुरुल हक ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। वे सड़कों पर उतर रहे हैं, जिससे ट्रैफिक जाम हो रहा है, स्कूली छात्रों को रोका जा रहा है और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए उन्हें जेल जाना होगा। पुलिस उन्हें नियंत्रित करने के लिए लाठियां बरसाकर हटाई। यह धरना प्रदर्शन बिना प्रशासन की अनुमति के किया जा रहा था। हम प्रदर्शनकारियों को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि जो भी वे कर रहे हैं गलत है। बल प्रयोग अंतिम उपाय रहा है। हिरासत में लिए गए पुरुषों और महिलाओं की संख्या के सवाल पर पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि फिलहाल हम संख्या बताने की स्थिति में नहीं हैं। हम इस पर काम करेंगे और प्रभावित इलाके में कानून-व्यवस्था बहाल होने के बाद ज्यादा जानकारी दी जाएगी।
बीजेपी ने नीतीश सरकार पर हमला बोला
विधानसभा में बीजेपी नेता विजय कुमार सिन्हा ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि बीते 30 वर्षों में बिहार में शिक्षा की दुर्गति हुई है, जिसे 2005 तक पहले 15 साल के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बर्बाद किया और उसके बाद नीतीश कुमार ने उसे बर्बाद करने का काम किया। नीतिश के साथ एक साल पहले तक सत्ता साझा करने वाली भाजपा के नेता ने 'चरवाहा विद्यालय' योजना को लेकर राजद प्रमुख तंज कसा और आरोप लगाया कि यह शिक्षा के प्रति सत्तारूढ़ दल के तुच्छ रवैये को दर्शाता है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि ‘विधानसभा मार्च’ गांधी मैदान से शुरू होगा जिसमें शिक्षकों और अभ्यर्थियों की अन्य मांगों का भी समर्थन किया जाएगा। चौधरी ने कहा कि राज्य के लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली लंबी परीक्षा प्रक्रिया के बजाय हम सीटेट (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) और बीटेट (बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा)पास अभ्यर्थियों की शिक्षक के रूप में सीधी भर्ती की मांग का समर्थन करते हैं।
किसी भी राज्य के अभ्यर्थी कर सकते हैं आवेदन
इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक के बाद राज्य सरकार ने घोषणा की कि सभी राज्यों के योग्य उम्मीदवार राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक की नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पहले मूल निवासी ही कर सकते थे आवेदन
इसे लागू करने से पहले एक नियम था जिसमें कहा गया था कि केवल बिहार के मूल निवासी आवेदक राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षण नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
ये है पूरा मामला
गौर हो की कि नीतिश कुमार सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में शिक्षकों की भर्ती के लिए 'नो डोमिसाइल' नीति अपनाने की घोषणा की थी, जिसके बाद विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ-साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने इसका विरोध किया था। भाकपा (एमएल) महागठबंधन सरकार का बाहर से समर्थन करती है। राज्य के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के एक बयान के बाद हालात और बिगड़ गए, जिसमें उन्होंने कहा था कि ये नीति राज्य में प्रतिभाशाली लोगों की कमी के मद्देनजर लाई गई है। इस बीच बीजेपी ने शिक्षकों की भर्ती में अभ्यर्थियों की मांग के समर्थन में 13 जुलाई को ‘विधानसभा मार्च’ आयोजित करने की घोषणा की है।