बृज बिहारी हत्याकांड: RJD नेता मुन्ना शुक्ला ने कोर्ट में किया आत्मसमर्पण, जानें गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला से क्या है कनेक्शन
Brij Bihari Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला को बृज बिहारी हत्याकांड में दोषी करार देते हुए उम्र क़ैद की सजा सुनाई थी और 16 अक्टूबर को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था।मुन्ना शुक्ला ने कहा कि यह बात गलत है कि राष्ट्रीय जनता दल में आने पर हमें सजा मिली है, यह न्यायालय का फैसला है ।
मुन्ना शुक्ला
Brij Bihari Murder Case: उच्चतम न्यायालय ने 1998 में हुई बिहार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में दोषी पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला की वह याचिका बुधवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने आत्मसमर्पण के लिए समय दिए जाने का अनुरोध किया था। लिहाजा, उन्होंने बुधवार को पटना सिविल कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। अपराधी से नेता बने शुक्ला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ को बताया कि पत्नी की स्वास्थ्य समस्याओं और कामकाज के प्रबंधन के लिए उन्हें 30 दिनों का समय चाहिए।
कौन हैं मुन्ना शुक्ला
शुक्ला की याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि उसके तीन अक्टूबर के आदेश में उन्हें 15 दिन का पर्याप्त समय दिया गया है, इसलिए उन्हें और अधिक छूट नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने हत्या मामले में तीन अक्टूबर को पूर्व विधायक शुक्ला एवं आरोपी मंटू तिवारी को दोषी करार दिया था। शीर्ष अदालत ने मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को आंशिक रूप से रद्द कर दिया था और शुक्ला तथा तिवारी को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था। तिवारी दिवंगत भूपेंद्र नाथ दुबे के भतीजे हैं, जो प्रसाद की विधवा रमा देवी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी देवेंद्र नाथ दुबे के भाई थे।
गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला का केस से क्या है कनेक्शन
हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत पांच अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा। प्रभावशाली ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेता प्रसाद की गोरखपुर के गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला द्वारा की गई हत्या की घटना ने बिहार और उत्तर प्रदेश की पुलिस को हिलाकर रख दिया था। श्रीप्रकाश शुक्ला को बाद में उत्तर प्रदेश विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और अन्य ने मार गिराया था।
मामला सात मार्च, 1999 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था और केंद्रीय एजेंसी ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह तथा तीन अन्य को अपराध के साजिशकर्ता के रूप में नामित किया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि 13 जून 1998 को प्रसाद की हत्या से पहले पटना के बेउर जेल में मुन्ना शुक्ला, लल्लन सिंह और राम निरंजन चौधरी के साथ सूरजभान सिंह की बैठक हुई थी। ये चारों बेउर जेल में ही बंद थे। 24 जुलाई 2014 को उच्च न्यायालय ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था तथा निचली अदालत के 12 अगस्त 2009 के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
1998 में श्रीप्रकाश शुक्ला की हुई हत्या
आरोपी श्रीप्रकाश शुक्ला उर्फ शिव प्रकाश शुक्ला, सुधीर त्रिपाठी और अनुज प्रताप सितंबर 1998 में उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, प्रसाद और उनके अंगरक्षक की पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में हथियारबंद बंदूकधारियों ने उस समय हत्या कर दी थी जब वे टहल रहे थे। कथित इंजीनियरिंग कॉलेज प्रवेश घोटाले में आरोपी के रूप में न्यायिक हिरासत के दौरान उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अभियोजन पक्ष के कुछ गवाहों ने निचली अदालत के समक्ष अपने बयान में दावा किया था कि बृजबिहारी प्रसाद की हत्या मुन्ना शुक्ला के बड़े भाई छोटन शुक्ला की हत्या का नतीजा थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, छोटन शुक्ला की चार दिसंबर 1994 को प्रसाद के गुंडों ने हत्या कर दी थी। तब छोटन शुक्ला विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार कर घर लौट रहे थे।
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