बिहार के कितने उत्पादों को मिला है GI टैग, जान लीजिए नाम
बिहार के कई उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। जीआई टैग मिलने से उन उत्पादों की मांग बढ़ी है। चलिए आपको बताते हैं कि बिहार के कितने उत्पादों को जीआई टैग मिला है।
बिहार के जीआई टैग उत्पाद।
Bihar GI Tag Products: बिहार में अब तक कई उत्पादों को जीआई टैग/भौगोलिक संकेत (GI Tag) मिल चुका है। जीआई टैग किसी भी उत्पाद को उसके मूल स्थान को जोड़ने के लिए मिलता है और इसके तहत बिहार के कई उत्पादों को सरकार ने जीआई टैग दिया है। जीआई टैग मिलने से किसी भी उत्पाद की मांग बढ़ती है। साथ ही देश और दुनिया में भी इसके बारे में अधिक लोग जानने लगते हैं। चलिए आज आपको बताते हैं कि बिहार के कितने उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।
बिहार में कितने उत्पादों को मिला है जीआई टैग?
आपको बता दें कि बिहार में अब तक कुल 16 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इनमें हस्त कला से संबंधित चीजें भी शामिल हैं और कृषि उत्पाद भी। बिहार की विश्व प्रसिद्ध मिठाई को भी जीआई टैग मिल चुका है।
बिहार के जीआई टैग उत्पादों की सूची:
सिक्की घास शिल्प- सिक्की घास शिल्प बिहार का सबसे लोकप्रिय हस्तशिल्प में गिना जाता है। इसमें एक विशेष घास का प्रयोग होता है, जो घास दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी समेत उत्तर बिहार के जिलों में पाए जाते हैं।
सुजनी कढ़ाई- पहले दो-तीन कपड़ों को लपेटकर सुजनी तैयार किया जाता है। फिर इसके बाद इस पर कढ़ाई से चित्र तैयार किया जाता है। मुजफ्फरपुर की सुजनी कढ़ाई काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।
भागलपुरी जर्दालू आम- जदार्लू आम मुख्यतौर पर बिहार के भागलपुर में पाए जाते हैं। यह काफी स्वादिष्ट होता है, जिस वजह से भागलपुर के जर्दालू आम को जीआई टैग मिला है।
भागलपुरी सिल्क- भागलपुर की सिल्क साड़ी तो पूरी दुनिया में फेमस है। वैसे भी सिल्क के कपड़े हर इवेंट के लिए खास माना जाता है। यही वजह है कि भागलपुर में तैयार सिल्क को जीआई टैग दिया गया है।
कतरनी चावल- सिल्क और जर्दालू आम की तरह ही भागलपुरी कतरनी चावल को जीआई टैग मिल चुका है। यह चावल अपनी खुशबू और टेस्ट के लिए देश-विदेश में जाना जाता है। विदेशों में बड़े पैमाने पर इसकी सप्लाई की जाती है।
मगही पान- मगही पान पूरे देश में फेमस है। इसका पत्ता अन्य जगहों पर उगने वाले पान के पत्ते से काफी अलग है। इसे भी जीआई टैग मिल चुका है। मुख्य रूप से औरंगाबाद, नवादा और पटना में महगी पान उगाए जाते हैं।
शाही लीची- मुजफ्फरपुर की शाही लीची अपने स्वाद के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फेमस है। इसकी मांग विदेशों में भी काफी ज्यादा होती है। इसे भी जीआई टैग मिल चुका है।
सिलाव का खाजा- आमतौर पर मिलने वाले खाजा से सिलाव का खाजा काफी अलग होता है। इसमें 52 परतें होती हैं और यह काफी हल्का होता है। सिलाव का खाजा अपने स्वाद की वजह से जीआई टैग हासिल कर चुका है।
मधुबनी पेंटिंग- इस पेंटिंग से भला कौन नहीं परिचित होगा। बिहार के दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर में इसे बनाया जाता है। मधुबनी पेंटिंग को भी जीआई टैग हासिल हो चुका है।
पिपली कला- पिपली कला हस्तशिल्प डिजाइन है, जो काफी बारीकी से तैयार किया जाता है। बिहार के जीआई टैग उत्पादों की सूची में यह भी शामिल हो चुका है।
सिक्की घास लोगो- बिहार के सिक्की घास लोगो को भी जीआई टैग मिला हुआ है।
मंजूषा आर्ट- मधुबनी पेंटिंग की तरह ही बिहार के मंजूषा आर्ट को जीआई टैग मिल चुका है।
पिपली वर्क लोगो- बिहार में पिपली वर्क लोगो को भी जीआई टैग मिल चुका है।
सुजनी कढ़ाई लोगो- सुजनी कढ़ाई के अलावा सुजनी कढ़ाई लोगो को भी जीआई टैग हासिल हुआ है।
मिथिला मखाना- उत्तर बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समेत सीमांचल के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मखाने की खेती होती है। मिथिला के मखाना को भी जीआई टैग मिल चुका है।
मर्चा धान- मुख्य रूप से मर्चा धान का उत्पादन बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में होता है। इसका चावल काफी ज्यादा फेमस है। इसे भी जीआई टैग मिल चुका है।
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