Flu in Patna: पटना के जिन इलाकों में फ्लू के लक्षण वाले मरीज वहां होगी बड़े स्तर पर लोगों की जांच
Patna News: राजधानी में अब एच3एन2 वायरस का संक्रमण बढ़ने लगा है। एक महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता के तौर पर कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे संक्रमण को रोका जा सके। जांच का दायरा बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
पीएमसीएच, जिसमें फ्लू के लक्षण वाले मरीजों का हो रहा इलाज
- शहर की एक महिला की रिपोर्ट आई है पॉजिटिव
- संक्रमित व्यक्ति दूसरों से दूरी बनाकर रखें
- स्वाइन फ्लू का म्यूटेटेड वायरस है एच3एन2
H3N2 Virus in Patna: पटना के जिन इलाकों में फ्लू के अधिक मरीज पाए जाएंगे, वहां रैंडमली रोगियों के सैंपल लेकर एच3एन2 वायरस की जांच होगी। अगमकुआं स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के ब्रांच राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएमआरआई) में शहर की एक महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके पटना सिविल सर्जन ने एहतियात संबंधी निर्देश जारी किए हैं। सिविल सर्जन डॉ. श्रवण कुमार के मुताबिक भारत सरकार द्वारा 11 मार्च को जारी निर्देशों से सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को अवगत कराया गया है। इसके तहत जिन इलाकों में फ्लू के अधिक मरीज मिलेंगे, वहां के गंभीर मरीजों के रैंडमली सैंपल लेकर आरएमआरआई में एच3एन2 वायरस की जांच के लिए भेजा जाएगा।
अभी वायरल पीड़ित सभी लोगों को दूसरों से दूरी बनाकर रहने की सलाह दी जा रही है। सिविल सर्जन के मुताबिक संक्रमित महिला स्वस्थ हो चुकी है। बता दें एच3एन2 स्वाइन फ्लू (एच1एन1) का म्यूटेटेड वायरस है। इसके शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू की तरह होते हैं, लेकिन समय बीतने के साथ यह कोरोना की तरह फेफड़ों को प्रभावित करता है। इस बीमारी से देश भर में तीन लोगों की जान जा चुकी है।
सामान्य फ्लू से तीन गुना अधिक समय में ठीक होते हैं मरीजस्वास्थ्य विभाग से जारी गाइडलाइन के मुताबिक स्वाइन फ्लू की तरह यह वायरस भी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को संक्रमित करते हैं। सामान्य फ्लू की तुलना में रोगी को स्वस्थ होने में तीन गुना से अधिक समय लगता है। हालांकि यह उसकी तुलना में चार गुना तेजी से फैलता है। सामान्य वायरल फ्लू चार से पांच दिनों में खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। पीएमसीएच, एनएमसीएच से लेकर छोटे सरकारी अस्पतालों एवं निजी क्लीनिकों में वायरल बुखार के 50 प्रतिशत मरीज हैं।
बच्चों और बुजुर्गों को पड़ रही आईसीयू की जरूरतस्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पीएमसीएच एवं एनएमसीएच में सांस फूलने, सीने में घरघराहट और तेज खांसी की शिकायत लेकर आने वाले प्रत्येक 100 में से 8 मरीजों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। वहीं, आईसीएमआर के मुताबिक अस्पताल में भर्ती मरीजों में एच3एन2 पीड़ितों में से 92 प्रतिशत को तेज बुखार, 86 प्रतिशत को तेज खांसी थी। इनमें से 27 प्रतिशत को सांस फूलने, 16 प्रतिशत को घरघराहट, 16 प्रतिशत को निमोनिया और 6 प्रतिशत में दौरे के लक्षण थे। 10 प्रतिशत मरीज सांस में तकलीफ वाले मरीज थे, जिन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा।
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