Indo-Nepal Border Road: भारत और नेपाल के बीच बड़ी संख्या में लोग आवागमन करते हैं। पड़ोसी देश होने के नाते दोनों देशों के लोग व्यापार, घूमने फिरने या अन्य कामकाज के वास्ते ट्रैवेल करते हैं। लिहाजा, भारत सरकार (Central Government) और राज्य सरकार (State Government) के सहयोग से यात्रा को सुगम बनाने के लिए इंडो-नेपाल बॉर्डर तक सड़क का निर्माण किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, निर्माण कार्य को इसी साल दिसंबर माह तक पूरा कर लिया जाएगा। खासकर, इस रोड के जरिए बिहार के सात जिलों को सीधे तौर पर फायदा होने वाला है। इसके अतिरिक्त तीन राज्यों का पड़ोसी देश नेपाल से सीधा कनेक्शन हो जाएगा। इस सड़क के खुलने से नेपाल, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), उत्तराखंड (Uttrakhand) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) पहुंचने में कम समय लगेगा। बिहार में इंडो-नेपाल बॉर्डर सड़क के करीब 375 किमी. हिस्से का निर्माण करीब 2300 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। हालांकि, सड़क के 178 किमी. हिस्से का निर्माण पहले ही पूरा किया जा चुका है। इस लिहाज से इस सड़क की कुल लंबाई 552 किमी. होगी। आइये जानते हैं इस सड़क मार्ग के जरिए किन राज्यों के साथ किन-किन जिलों के लोगों को सीधे तौर पर फायदा होने वाला है?
इंडो-नेपाल बॉर्डर सड़क रूट मैप (Indo Nepal Border Road Route Map)
सड़क निर्माण का कार्य अपने अंतिम चरण में है। 90 फीसदी कार्य के पूरा होने की जानकारी है। जानकारी के मुताबिक, इस सड़क का निर्माण साल 2013 से जारी था, इसके बाद कार्य में काफी सुस्ती देखी गई, लेकिन वर्तमान में कार्य को तेजी से संपादित करने की तैयारी चल रही है। अब महज फिनिशिंग का कार्य शेष है। अगर, तय समय में कार्य पूरा होता है तो इसके दिसंबर माह तक खुलने के आसार हैं। इसके संचालित होने से बिहार के सात जिलों को सीधे कनेक्टिविटी मिलेगी। इसमें पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल हैं। इस पूरे कॉरिडोर पर 121 छोटे बड़े पुलों का निर्माण होना था, जिसमें 119 कंपलीट हैं, जबकि दो निर्माणाधीन पुलों को अंतिम टच दिया जा रहा है।
बिहार के सात जिलों से गुजरेगी इंडो-नेपाल बॉर्डर सड़क
- पश्चिमी चंपारण
- सीतामढ़ी
- मधुबनी
- सुपौल
- अररिया
- किशनगंज
इस सड़क का निर्माण होने से बॉर्डर के किनारे बसे गांव, कस्बों में आर्थिक समृद्धि
(Economic Prosperity) के द्वार खुलेंगे। साथ ही सीमावर्ती इलाकों में यातायात की सुविधा भी बेहतर होगी। आंकड़ों के मुताबिक, बिहार और नेपाल लगभग 729 किलोमीटर सीमा साझा करते हैं, जिसमें 552 किमी. सड़क मार्ग के जरिए कवर की जा रही है। वैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में 1372 किमी. सड़क का निर्माण होना है। बिहार में यह पश्चिम चंपारण के मदनपुर से शुरू होकर रक्सौल, बैरगनिया, सुप्पी, सोनबरसा, परिहार, सुरसंड से गुजरते हुए जयनगर, सुपौल में बीरपुर, अररिया में सिकटी से किशनगंज के गलगलिया तक कवर करेगी।
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सड़क का नाम | इंडो-नेपाल बॉर्डर सड़क |
सड़क की लंबाई | 552 किमी. |
परियोजना की लागत | 2300 करोड़ रुपये |
किन राज्यों को फायदा | यूपी, उत्तराखंड, बिहार |
सड़क पर पुलों की संख्या | 121 |
निर्माणकर्ता कंपनी | भारत सरकार/राज्य सरकार |
कार्य पूरा होने की तिथि | दिसंबर 2024 |
इस कॉरिडोर के विकसित होने से बॉर्डर के किनारे बसे तमाम गांवों को सीधा लाभ मिलेगा और उनका संपर्क बेहतर होगा। विकास के साथ रोजगार
(Employment) के अवसर भी खुलेंगे। इसके अतिरिक्त सड़क के किनारे ढाबे, रेस्टोरेंट, बाजार, उद्योग धंधो को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार के भी रास्ते सुगम होंगे। ऐसा माना जा रहा है कि इस सड़क मार्ग के बनने से तस्करी
(Smuggling)पर भी लगाम लगेगा और अतरराष्ट्रीय अपराध
(International Crime)पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा।