कर्पूरी ठाकुर ने परिवारवाद को कभी नहीं दया बढ़ावा; उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कही ये बड़ी बातें

Vice President on Karpuri Thakur: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित स्मृति कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर सामाजिक न्याय के मसीहा हैं। उन्होंने आगे कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने समता युग की शुरुआत कर सदियों की जड़ता को तोड़ा और बड़ी आबादी के लिए अपार संभावनाओं के द्वार खोले। कर्पूरी जी ने परिवारवाद को कभी बढ़ावा नहीं दिया।

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति।

Bihar News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी सामाजिक न्याय के मसीहा थे और उन्होंने आरक्षण लागू कर एक बड़ी आबादी के लिए अपार संभावनाओं के द्वार खोले। समस्तीपुर बिहार में कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित स्मृति कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “भारत के ये महान सपूत कर्पूरी ठाकुर सामाजिक न्याय के मसीहा हैं। संक्षिप्त काल में कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक व राजनीतिक कायाकल्प का नया इतिहास लिखा। सदियों की जड़ता को तोड़ दिया और बड़ी आबादी के लिए संभावनाओं के अपार द्वार खोल दिये। यह वह महापुरुष हैं जिन्होंने समता युग की नई शुरुआत की। उन्होंने अपना जीवन उनके लिए समर्पित किया जो समाज के हाशिये पर थे, जिनका कोई ध्यान नहीं दे रहा था।”

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कर्पूरी ठाकुर के बारे में कही ये बड़ी बातें

कर्पूरी ठाकुर के आदर्श व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने आगे कहा “आदर्श व्यक्तित्व का उदाहरण क्या होता है यह जानने के लिए हमें कर्पूरी ठाकुर के जीवन को देख लेना चाहिए। उनका त्याग, उनका समर्पण, परिवारवाद को उन्होंने कभी बढ़ावा नहीं दिया। वह एक ऐसे राष्ट्रीय नेता थे, जाती धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर समानता को दृष्टिगत रखते हुए, विकास को संपन्न करते थे। भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर ने एक अति विशिष्ट छाप देश में सामाजिक न्याय को आगे बढ़ा कर छोड़ी, कठिन और चुनौतीपूर्ण वातावरण में उन्होंने कॉलेज की शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन में जिस व्यक्ति ने कभी कोई संपत्ति नहीं बनाई, पूरा जीवन जनता के लिए समर्पित रहा।”

'देश में पहले मुख्यमंत्री जिन्होंने राज्य में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त की'

कर्पूरी ठाकुर की दूरदर्शिता को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने कहा, “कर्पूरी जी 'स्टेट्समैन' थे! वर्तमान में काम करने के साथ-साथ भविष्य का भी चिंतन करते थे। उन्होंने आरक्षण लागू किया। किसी विरोध की परवाह नहीं की। ये एक नया अध्याय लिखा। जैसा कृषि मंत्री ने बताया, उन्होंने अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया। सरकारी दफ्तर में हिंदी कामकाज को बढ़ावा दिया। उनका उपहास भी हुआ। और अब हमें लग रहा है वो कितने दूरदर्शी थे। वो वर्तमान की भी सोचते थे और भविष्य की भी। वो पहले मुख्यमंत्री थे देश में जिन्होंने शिक्षा पर ध्यान दिया, वो पहले मुख्यमंत्री थे देश में जिन्होंने राज्य में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त की।

End Of Feed