पटना के IGIMS में बन रहा बड़ा Eye Hospital, जानें कब शुरू होगा इलाज

बिहार की राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में राज्य के सबसे बड़े आंख के अस्पताल का उद्घाटन होने वाला है। 188 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस हाईटेक अस्पताल में कार्निया एंड रिफ्रेक्टिव, ग्लूकोमा, रेटिना, आंखों के पर्दे, यूबिया, मोतियाबिंद समेत सभी आंख से संबंधित बीमारियों के इलाज की बेहतर सुविधा होगी।

पटना एम्स में खुलेगा बड़ा आंख का अस्पताल

मुख्य बातें
  • पटना इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में बन रहा बड़ा आंख का अस्पताल
  • 6 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री करेंगे उद्घाटन
  • कार्निया एंड रिफ्रेक्टिव, ग्लूकोमा, रेटिना, आंखों के पर्दे, यूबिया, मोतियाबिंद का होगा इलाज
पटना: बिहार के लोगों को आंखों की समस्या होने पर किसी अन्य राज्य की तरफ नहीं देखना पड़ेगा। अब राजधानी पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में बिहार का सबसे बड़ा सरकारी आंख का अस्पताल खुलने वाला है। कहा जा रहा है कि यहां मरीजों को आधुनिक इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर, सबकुछ ठीक रहा तो अगले माह के 6 सितंबर तक सुविधा मिलने लगेगी। 6 सितंबर को सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा (JP Nadda) नए अस्पताल का उद्घाटन करेंगे। हाल ही में सीएम नीतीश आईजीआईएमएस पहुंचकर अस्पताल के नए नेत्र भवन की तैयारियों का जायजा ले चुके हैं।

188 करोड़ रुपये किए जा रहे खर्च

सीएम नीतीश ने निरीक्षण के दौरान ग्राउंड, फर्स्ट और सेकेंड फ्लोर तक बनाए गए अस्पताल के निर्माण कार्यों का जायजा लिया। सीएम ने ओपीडी, वार्ड एरिया, ऑपरेशन थियेटर रूम, जनरल वार्ड इत्यादि का निरीक्षण किया। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने मुख्यमंत्री को 188 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे कुल 154 बेड के इसे नेत्र रोग अस्पताल की जानकारी दी।

1200 बेड का होगा अस्पताल

प्रभात खबर के हवाले से मुख्यमंत्री ने आईजीआईएमएस में बन रहे 500 और 1200 बेड के नए अस्पताल के निर्माण कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया। इसके निर्माण के बाद आईजीआईएमएस कुल 2500 बेड का हो जायेगा। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय का कहना है कि संस्थान में बन रहे आधुनिक आंख के अस्पताल में सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके शुरू हो जाने के बाद अब बिहार के मरीजों को इलाज के लिए दूसरे प्रदेश के अस्पतालों पर निर्भर होने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सभी प्रकार के इलाज एक ही अस्पताल में मुहैया कराए जाएंगे।
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