पॉलिटिक्स मिटाएगी परिवार की दूरियां? NDA की मीटिंग में जब सामने आए चाचा तो यूं झुके चिराग, पारस ने भी गले लगा दिया आशीर्वाद

Chirag Pawan vs Pashupati Paras: वैसे, चिराग ने बताया कि उनकी पार्टी अपनी ‘चिंताओं’ पर भाजपा के साथ सकारात्मक चर्चा के बाद एनडीए में शामिल हुई। उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी हाजीपुर से चुनाव लड़ेगी, जबकि मौजूदा समय में उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस इस संसदीय सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं।

Chirag Paswan Pashupati Paras

NDA की मीटिंग में चाचा पशुपति पारस के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हुए चिराग पासवान।

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Chirag Pawan vs Pashupati Paras: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक में मंगलवार (18 जुलाई, 2023) को बिहार के बड़े सियासी परिवार (लोक जनशक्ति पार्टी) के दो चेहरे लंबी खटपट के बीच जब आमने-सामने आए तो नजारा देखने लायक था। चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी - रामविलास) के नेता) जब वहां मिले तो दृश्य देखने के बाद मानो ऐसा लगा कि उन्होंने निजी दूरियां मिटाने के लिए कोई कसर न छोड़ी। वे इस दौरान न सिर्फ मिले बल्कि एक-दूसरे को "दुआ-सलाम" करने के बाद गले भी मिले। चिराग ने इससे पहले चाचा के आगे झुककर उनके पैर छुए थे और आशीर्वाद लिया था, जिसके बाद उन्होंने भतीजे को गले लगा लिया था।

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रोचक बात है कि दोनों नेताओं के इस कदर मिलने के बाद इनके रिश्तों में गर्माहट की बात ने तूल पकड़ा। वह भी तब जब कुछ वक्त पहले पारस ने साफ कहा था कि दोनों पार्टियों (पारस और चिराग के नेतृत्व वाली) का विलय नहीं होगा। दरअसल, चाचा-भतीजे के बीच संबंध राम विलास पासवान के निधन और बिहार के विधानसभा चुनाव के बाद बिगड़ गए थे। हाल में उनके बीच हाजीपुर सीट को लेकर ठनी थी। पारस ने कहा था कि वह इस सीट को नहीं छोड़ेंगे।

खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बता चुके युवा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी अपनी ‘चिंताओं’ पर भाजपा के साथ सकारात्मक चर्चा के बाद एनडीए में शामिल हुई। साथ ही यह स्पष्ट किया कि वह हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे, जबकि मौजूदा समय में उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस इस संसदीय सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं। पारस ने भी इस सीट पर अपना दावा किया है।

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पारस का दावा है कि बड़े भाई रामविलास ने उन्हें राजनीतिक उत्तराधिकारी चुना था और उन्हें इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा था। दोनों दलों के बीच बातचीत के दौरान चिराग से कई बार मिले केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने परिवार में सुलह की वकालत करते हुए उनसे मुलाकात की थी। हालांकि, उन्होंने ऐसी किसी भी संभावना से इन्कार किया।

चिराग के दिवंगत पिता और दलित नेता रामविलास पासवान के नेतृत्व में अविभाजित लोजपा ने साल 2019 में छह लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था। भाजपा के साथ सीट के बंटवारे के तहत उसे राज्यसभा की एक सीट भी मिली थी। चिराग चाहते हैं कि उनकी पार्टी में विभाजन के बावजूद भाजपा उसी व्यवस्था पर कायम रहे। लोजपा में विभाजन के बाद बने दूसरे गुट राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस हैं, जो फिलहाल केंद्र के सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)

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अभिषेक गुप्ता author

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