सरकारी अस्पतालों में 3 दिनों तक नहीं लगेगा पर्चा! OPD बंद, मांगें नहीं मानी गईं तो डॉक्टर करेंगे आंदोलन

बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों में अगले तीन दिनों के लिए, यानी 29 मार्च तक कोई पर्चा नहीं लगेगा। बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ ने प्रशासनिक उत्पीड़न और स्टाफ की कमी जैसे मुद्दों को लेकर OPD सेवाएं बंद रखने का फैसला किया है। तीन दिनों के बहिष्कार के बाद भी अगर डॉक्टरों की मांगे नहीं मानी गईं, तो मामला आंदोलन का रुख ले सकता है।

Bihar hospitals OPD remain closed for three days

सरकारी अस्पतालों में 29 मार्च तक OPD बंद

पटना समेत बिहार के सभी सरकारी अस्पतालों में OPD सेवाएं अगले तीन दिनों के लिए बंद रहेंगी। यानी 27 मार्च से लेकर 29 मार्च तक सरकारी अस्पतालों में कोई नया या पुराना पर्चा नहीं लग पाएगा। बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ(BHSA)ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस, प्रशासनिक उत्पीड़न और स्टाफ की कमी को लेकर विरोध जताते हुए हड़ताल शुरू की है, जिस कारण मरीजों को दिक्कत उठानी पड़ सकती है। हालांकि, अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी।

क्या है मामला

BHSA के प्रवक्ता डॉ. विनय कुमार ने मीडिया को बताया कि डॉक्टरों की सुरक्षा, वेतन में देरी, गृह जिले में पोस्टिंग और सुविधाओं की कमी जैसी कई समस्याओं को लेकर सरकार से कई बार पत्राचार किया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका है। तीन दिनों के इस बहिष्कार के बाद अगर उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो मजबूर होकर डॉक्टरों को बड़ा कदम उठाना पड़ जाएगा।

क्या है डॉक्टरों की मांग

  • वेतन में देरी: कई जिलों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस की वजह से डॉक्टरों का वेतन महीनों से रुका हुआ है।
  • प्रशासनिक उत्पीड़न: डॉक्टरों का आरोप है कि प्रशासन की तरफ से निरीक्षण के नाम पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।
  • सुविधाओं की कमी: डॉक्टरों को सुरक्षा, आवास, गृह जिले में पोस्टिंग जैसी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
  • स्टाफ की कमी: हर साल लगभग 4 हजार डॉक्टर PG और सीनियर रेजिडेंसी के लिए स्टडी लीव पर जाते हैं, लेकिन सरकार उन पदों को रिक्त नहीं मानती, जिससे मौजूदा डॉक्टरों पर काम का भारी दबाव पड़ता है।
  • दुर्व्यवहार: डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि शिवहर जिले में जिलाधिकारी की मीटिंग के दौरान डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। फिलहाल शिवहर के डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन OPD बहिष्कार का निर्णय लिया है।

बढ़ सकता है आंदोलन

29 मार्च तक इस मामले में अगर कोई ठोस समाधान नहीं निकलता है तो डॉक्टर इस आंदोलन को तेज कर सकते हैं। BHSA के प्रवक्ता डॉ. विनय कुमार ने ये बात कही है कि 29 मार्च तक अगर समाधान नहीं हुआ तो ये आंदोलन बड़ा हो सकता है। इस दौरान मरीजों के लिए एक राहत की बात ये है कि इन आंदोलनों का असर इमरजेंसी सुविधाओं पर नहीं पड़ेगा।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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